श्रीनगर: करगिल जंग में जीत का परचम फहराने की 20 वीं वर्षगांठ के मौके पर सेना 'ऑपरेशन विजय' की जीत के दृश्यों को 26 जुलाई को फिर से प्रदर्शित करेगी.
बटालिक सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वाले लोगों ने कहा कि वे उस क्षण को फिर से जीना चाहते हैं, जब सैनिकों ने भीषण युद्ध के बाद तिरंगा फहराया था.
मई 1999 में बटालिक सेक्टर में ही कुछ लोगों ने पाकिस्तान की सैनिकों को घुसपैठ करते हुए देखा था.
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन विजय की वर्षगांठ ' रिमेम्बर , रिज्वाइस एंड रिन्यू की थीम पर मनाई जाएगी.'
उन्होंने बताया कि इस दैरान सेना की तीन बटालियनों के सैनिक उन पर्वत की चौटियों पर जाएंगे, जहां उनकी टुकड़ियों ने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए कठिन परिस्थितियों में जंग लड़ी थी.
अधिकारी ने शनिवार को जानकारी दी कि 'हम अपने शहीद नायकों के बलिदान को याद (रिमेम्बर) करेंगे.हम करगिल में हमारी जीत का जश्न (रिजाइस) मनाएंगे और हम तिरंगे के सम्मान की रक्षा करने के अपने संकल्प को दोहराएंगे (रिन्यू).
उन्होंने कहा कि 2 राजपूताना राइफल्स के सैनिक तोतोलिंग शिखर पर जाएंगे, 13 जम्मू कश्मीर रायफल्स के जवान प्वाइंट 4875 पर जाएंगे और 1/9 गोरखा राइफल खलुबर शिखर पर जाएंगे.
करगिल में युद्ध लड़ चुके एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 'हर कोई तोतोलिंग और टाइगर हिल की बात करता है लेकिन खलुबर, जुबर और खुकरथांग में युद्ध और भी कठिन था.क्योंकि यहां तापमान शुन्य से भी था.
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उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी घुसबैठिये काफी अंदर तक घुस आए थे और हमें कम कम संसाधनों के साथ कहीं अधिक पर्वत चोटियों से दुश्मनों को खदेड़ना था और वहां फिर से कब्जा करना था.
बता दें कि बटालिक सेक्टर में मुश्किल परिस्थितियों में जंग के लिए लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे को देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
मीडिया से बात करते हुए जम्मू कश्मीर को गर्खों गांव के निवासियों ने कहा कि उन्हें देश की सेना पर गर्व है. जिसने कठिन परिस्थितियों में जंग लड़ी और जीत हासिल की.
वहीं, गांव के ही एक अन्य ग्रामीण डी नाम्गयाल ने कहा, 'हम ऑपरेशन विजय की 20 वीं वर्षगांठ में भाग लेने के लिए उत्सक हैं.हम सैन्य बलों और टुकड़ियों को जीत के दृश्य को फिर से प्रदर्शित करते देखना चाहते हैं.'
बता दें कि 3 मई से 26 जुलाई तक चले भारत- पाक करगिल युद्ध के बाद सेना 26 जुलाई को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाती है. इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटा कर जीत हासिल की थी.