नई दिल्ली : 13 दिसंबर का दिन भारत के इतिहास में अहम स्थान रखता है. साल 2001 में भारत की संसद पर आतंकी हमला हुआ था. आतंकी हमले में एक माली और 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे.
13 दिसंबर की वह काली सुबह आज से ठीक 18 साल पहले आई थी, जब आतंक का काला साया देश के लोकतंत्र की दहलीज तक आ पहुंचा था. 13 दिसंबर, 2001 को पांच आतंकी संसद भवन परिसर में घुस आए थे. इस हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को फांसी दी गई थी. भारतीय संसद पर हमले में दोषी करार दिए गए अफजल गुरु के शव को तिहाड़ जेल के अंदर ही दफना दिया गया था.
आज इस आतंकी हमले की 18वीं बरसी पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने संसद भवन परिसर में शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
13 दिसंबर, 2001 के हमले पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, हमारी संसद पर हुए आतंकवादी हमले को असफल कर लोकतंत्र की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सुरक्षा बलों के अमर शहीदों को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.' उन्होंने शहीदों के परिजनों के प्रति कृतज्ञतापूर्वक संवेदना भी व्यक्त की.
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि अमर बलिदानियों का त्याग हमें स्मरण कराता है कि आतंकवाद लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों के लिए सबसे बड़ा खतरा है. कई अन्य नेताओं ने भी संसद भवन परिसर में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
देश की राजधानी के बेहद महफूज माने जाने वाले इलाके में शान से खड़ी संसद भवन की इमारत में घुसने के लिए आतंकवादियों ने सफेद रंग की एम्बेसडर का इस्तेमाल किया था.
आतंकी सुरक्षाकर्मियों को गच्चा देने में कामयाब रहे था. हालांकि, उनके कदम लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र कर पाते उससे पहले ही सुरक्षा बलों ने उन्हें ढेर कर दिया. हर साल 13 दिसंबर को कृतज्ञ राष्ट्र शहीदों को श्रद्धांजलि देता है.
इतिहास में 13 दिसंबर का दिन आतंकवाद से जुड़ी एक अन्य घटना का भी गवाह है. 1989 में आतंकवादियों ने जेल में बंद अपने कुछ साथियों को रिहा कराने के लिए देश के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की पुत्री का अपहरण कर लिया था.
सरकार ने 13 दिसंबर को आतंकवादियों की मांग को स्वीकार करते हुए पांच आतंकवादियों को रिहा कर दिया गया था.