नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना ने मंगलवार को अपने 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन को करीब 20 साल बाद एक बार फिर से शुरू करने की उम्मीद जताई है, जो बहु-भूमिका राफेल लड़ाकू जेट को उड़ाने वाली पहली इकाई होगी.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायु सेना प्रमुख बी एस धनोआ मंगलवार को अंबाला एयर फोर्स स्टेशन में एक कार्यक्रम में 17 स्क्वाड्रन को फिर से शुरू करेंगे.
बता दें कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान एयर चीफ मार्शल धनोआ द्वारा 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी.
गौरतलब है कि भटिंडा एयर बेस से संचालित स्क्वाड्रन को 2016 में भारतीय मूल के मिग 21 जेट विमानों से धीरे-धीरे चरणबद्ध करने के बाद भंग कर दिया गया था.
17 स्क्वाड्रन को 1951 में बनाया गया था, जो शुरुआत में डेहविल्लैंड वैम्पायर एफ एम के 52 विमान उड़ाता था.
भारत को आशा है कि वो इस माह के अंत तक राफेल जेट प्राप्त कर लेगा. भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू विमान का स्वागत करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और पायलटों के प्रशिक्षण सहित तैयारी पूरी कर ली है.
सूत्रो्ं के अनुसार विमान का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयर स्टेशन पर तैनात किया जाएगा जो देश के सबसे महत्वपूर्ण एयर बेस में से एक है. यहां से भारत पाक सीमा केवल 220 किमी दूर है.इसके अलावा दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हसीमारा एयर बेस पर तैनात किया जाएगा.
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बता दें कि भारत ने फ्रांस सरकार से सितंबर 2018 में 58 हजार करोड़ में 36 राफेलल जेट खरीदे थे. राफेल जेट विभिन्न भारत-विशिष्ट संशोधनों के साथ आएंगे, जिनमें इज़राइली हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, कम बैंड जैमर, 10 घंटे की उड़ान डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम शामिल हैं.
हालांकि राफेल डील को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार पर डील में घोटाला करने का आरोप लगाती आई है, जबकि सरकार कांग्रेस के आरोपों को नकारते आए हैं.
वहीं, आईएएफ ने दोनों विमान के हैंगर और रखरखाव सुविधाओं जैसी आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च किए.
इसके अलावा 2017 में एयर चीफ बी एस धनुआ ने अपने फ्रांस दौरे के दौरान सेंट डिजियर एयर बेस से विमान उड़ा कर अनुभव किया. डील के अनुसार फ्रांस को 67 माह में राफेल की आपूर्ति करनी है.