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सबसे युवा नोबेल विजेता ने दुनियाभर में कैसे जगाई शिक्षा की अलख

पूरे विश्व में आज मलाला दिवस मनाया जाता है. लड़कियों के शिक्षा के अधिकारों के लिए लड़ने वाली मलाला यूसुफजई का जन्म आज ही के दिन हुआ था. आज ही के दिन उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भाषण दिया था. मलाला के सम्मान में और लड़कियों की शिक्षा के अधिकारों और महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है.

12 JULY as MALALA DAY
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Published : Jul 12, 2020, 10:00 AM IST

Updated : Jul 12, 2020, 1:43 PM IST

हैदराबाद : हर वर्ष 12 जुलाई को विश्वभर में मलाला दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य पाकिस्तानी नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई की ओर ध्यान केंद्रित करना है.

वर्ष 2013 में 12 जुलाई को ही लड़कियों की शिक्षा के अधिकार और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली मलाला ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में प्रेरक भाषण दिया था, जिसके लिए वैश्विक नेताओं ने खड़े होकर उनका अभिनंनद किया था. गौरतलब है कि 12 जुलाई को ही मलाला का जन्मदिन भी होता है. इसके बाद से इस युवा कार्यकर्ता के सम्मान में इसे मलाला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

12 JULY as MALALA DAY
मलाला से जुड़ी कुछ बातें

कौन हैं मलाला
मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई, 1997 को मिंगोरा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्वात घाटी का सबसे बड़ा शहर है. मलाला के परिवार में उनके पिता जियाउद्दीन, माता तोर पेकाई यूसुफजई और दो छोटे भाई हैं.

मलाला को लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए और तालिबान के खिलाफ बोलने के लिए तेहरीक-ए-तालिबान नौ अक्टूबर, 2012 में गोली मार दी थी. इसके बाद से मलाला लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई की अंतरराष्ट्रीय प्रतीक बन गईं.

2009 में मलाला ने एक ब्लॉग लिखना शुरू किया था. ब्लॉग में उन्होंने अपने गृह राज्य में बढ़ती सैन्य गतिविधि का जिक्र किया था. उन्हें डर था कि उनके स्कूल पर हमला होगा. बता दें कि वह अपना ब्लॉग एक उपनाम से लिखती थीं. पहचान उजागर होने के बाद भी मलाला और उनके पिता शिक्षा के अधिकारों पर जोर देते रहे.

जब मलाला पर हमला हुआ तो वह स्कूल से लौट रही थीं. पूरी दुनिया में हमले की निंदा हुई. पाकिस्तान में ही, दो मिलियन से अधिक लोगों ने शिक्षा के अधिकार से जुड़ी एक पेटिशन पर पर हस्ताक्षर किया. यही नहीं नेशनल असेंबली ने पाकिस्तान के पहले राइट टू फ्री एंड कंपल्सिव एजुकेशन विधेयक को मजूरी देदी.

तालिबान के हमले के बावजूद मलाला पहले से मजबूत इरादों के साथ लौटीं और लड़कियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाना जारी रखा. ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहते हुए उन्होंने 'मलाला फंड' की स्थापना की, जो लड़कियों को स्कूल जाने में मदद करता है. उन्होंने एक किताब 'आई एम मलाला' का सह लेखन भी किया, जो अंतर्राष्ट्रीय बेस्टसेलर बनी.

2012 में पाकिस्तान सरकार ने उन्हें पहला राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार प्रदान किया. दिसंबर 2014 में वह सबसे कम उम्र की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बनीं.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने लड़कियों की शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करने के लिए मलाला को 2017 में संयुक्त राष्ट्र मैसेंजर ऑफ पीस के रूप में नामित किया. मलाला यूसुफजई ने जून 2020 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की.

मलाला के बारे में रोचक तथ्य

  • मलाला सबसे कम उम्र की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं. जब उन्हें सम्मानित किया गया था वह 17 वर्ष की थीं.
  • 11 वर्ष की आयु में मलाला ने पहली बार अपना ब्लॉग लिखा था, जिसका शीर्षक था 'आई एम अफ्रेड'. उस ब्लॉग में उन्होंने तालिबान शासन में रहने के अपने अनुभव और भय के बारे में लिखा था. इसके बाद वह लड़कियों की शिक्षा के अधिकारों की प्रतीक बन गईं.
  • अक्टूबर 2013 में यूरोपीय संसद ने मलाला को उनके ब्लॉग के लिए प्रतिष्ठित सखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया.
  • 2015 में मलाला के सम्मान में एक एट्रायड का नाम उनके नाम पर रखा गया था.
  • 2017 में मलाला को संयुक्त राष्ट्र की शांति दूत बनाया गया.
  • उन्हें कनाडा की मानद नागरिकता से सम्मानित किया गया है और वह कनाडा में हाउस ऑफ कॉमन्स को संबोधित करने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं.

हैदराबाद : हर वर्ष 12 जुलाई को विश्वभर में मलाला दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य पाकिस्तानी नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई की ओर ध्यान केंद्रित करना है.

वर्ष 2013 में 12 जुलाई को ही लड़कियों की शिक्षा के अधिकार और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली मलाला ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में प्रेरक भाषण दिया था, जिसके लिए वैश्विक नेताओं ने खड़े होकर उनका अभिनंनद किया था. गौरतलब है कि 12 जुलाई को ही मलाला का जन्मदिन भी होता है. इसके बाद से इस युवा कार्यकर्ता के सम्मान में इसे मलाला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

12 JULY as MALALA DAY
मलाला से जुड़ी कुछ बातें

कौन हैं मलाला
मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई, 1997 को मिंगोरा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्वात घाटी का सबसे बड़ा शहर है. मलाला के परिवार में उनके पिता जियाउद्दीन, माता तोर पेकाई यूसुफजई और दो छोटे भाई हैं.

मलाला को लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए और तालिबान के खिलाफ बोलने के लिए तेहरीक-ए-तालिबान नौ अक्टूबर, 2012 में गोली मार दी थी. इसके बाद से मलाला लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई की अंतरराष्ट्रीय प्रतीक बन गईं.

2009 में मलाला ने एक ब्लॉग लिखना शुरू किया था. ब्लॉग में उन्होंने अपने गृह राज्य में बढ़ती सैन्य गतिविधि का जिक्र किया था. उन्हें डर था कि उनके स्कूल पर हमला होगा. बता दें कि वह अपना ब्लॉग एक उपनाम से लिखती थीं. पहचान उजागर होने के बाद भी मलाला और उनके पिता शिक्षा के अधिकारों पर जोर देते रहे.

जब मलाला पर हमला हुआ तो वह स्कूल से लौट रही थीं. पूरी दुनिया में हमले की निंदा हुई. पाकिस्तान में ही, दो मिलियन से अधिक लोगों ने शिक्षा के अधिकार से जुड़ी एक पेटिशन पर पर हस्ताक्षर किया. यही नहीं नेशनल असेंबली ने पाकिस्तान के पहले राइट टू फ्री एंड कंपल्सिव एजुकेशन विधेयक को मजूरी देदी.

तालिबान के हमले के बावजूद मलाला पहले से मजबूत इरादों के साथ लौटीं और लड़कियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाना जारी रखा. ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहते हुए उन्होंने 'मलाला फंड' की स्थापना की, जो लड़कियों को स्कूल जाने में मदद करता है. उन्होंने एक किताब 'आई एम मलाला' का सह लेखन भी किया, जो अंतर्राष्ट्रीय बेस्टसेलर बनी.

2012 में पाकिस्तान सरकार ने उन्हें पहला राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार प्रदान किया. दिसंबर 2014 में वह सबसे कम उम्र की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बनीं.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने लड़कियों की शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करने के लिए मलाला को 2017 में संयुक्त राष्ट्र मैसेंजर ऑफ पीस के रूप में नामित किया. मलाला यूसुफजई ने जून 2020 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की.

मलाला के बारे में रोचक तथ्य

  • मलाला सबसे कम उम्र की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं. जब उन्हें सम्मानित किया गया था वह 17 वर्ष की थीं.
  • 11 वर्ष की आयु में मलाला ने पहली बार अपना ब्लॉग लिखा था, जिसका शीर्षक था 'आई एम अफ्रेड'. उस ब्लॉग में उन्होंने तालिबान शासन में रहने के अपने अनुभव और भय के बारे में लिखा था. इसके बाद वह लड़कियों की शिक्षा के अधिकारों की प्रतीक बन गईं.
  • अक्टूबर 2013 में यूरोपीय संसद ने मलाला को उनके ब्लॉग के लिए प्रतिष्ठित सखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया.
  • 2015 में मलाला के सम्मान में एक एट्रायड का नाम उनके नाम पर रखा गया था.
  • 2017 में मलाला को संयुक्त राष्ट्र की शांति दूत बनाया गया.
  • उन्हें कनाडा की मानद नागरिकता से सम्मानित किया गया है और वह कनाडा में हाउस ऑफ कॉमन्स को संबोधित करने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं.
Last Updated : Jul 12, 2020, 1:43 PM IST
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