नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार 2.0 के 100 दिन पूरे हो चुके हैं. इस दौरान सरकार ने कई ऐतिहासिक फैसले लिये, तो वहीं विपक्ष ने भी जमकर इस सरकार पर हमला बोला. आईये आपको विस्तार से बताते हैं कि मोदी सरकार के 100 दिनों का कैसा रहा सफर...
370 और 35 ए के निर्माण को हटाना, जम्मू-कश्मीर (पुनर्वास) विधेयक, 2019:
केंद्रीय गृह मामलों के मंत्री, श्री अमित शाह, ने आज जम्मू और कश्मीर के संबंध में दो बिल और दो प्रस्ताव पेश किए. जो इस प्रकार हैं.
⦁ संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश, 2019 {संदर्भ, भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 (1)} - भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 से संबंधित 1954 के आदेश को वापस करने के लिए जारी किया गया.
⦁ भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का संकल्प {संदर्भ, अनुच्छेद 370 (3)}
⦁ (जम्मू और कश्मीर (पुनर्गठन) विधेयक, 2019 {संदर्भ, भारत के संविधान का अनुच्छेद 3}
⦁ जम्मू और कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019
⦁ 2019 के शुरुआती महीनों में चुनाव प्रचार के दौरान मामला चर्चा का विषय बन गया जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू और कश्मीर को नुकसान पहुंचाने के लिए धारा 370 को दोषी ठहराया. उन्होंने इसे राज्य के कुछ परिवारों के लिए 'ब्लैकमेल का उपकरण' बताया.
⦁ उन्होंने अनुच्छेद पर हमला करते हुए कहा कि इसने राज्य में निवेश के आने से को रोक दिया और जम्मू और कश्मीर के युवाओं के लिए विकास और रोजगार को भी आने नहीं दिया.
⦁ 'कश्मीर दिवालिया हो रहा है. आतंकवादियों ने राज्य में पर्यटन को समाप्त कर दिया है. अनुच्छेद 370 और 35A के कारण कोई निवेश नहीं हुआ. अब, कश्मीर में लोगों को लगता है कि बदलाव की जरूरत है.'
⦁ उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 को संसदीय बहस के दौरान, गृह मंत्री ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को लिंग, वर्ग, जाति और मूल स्थान के आधार पर भेदभाव करने वाला करार दिया. युवाओं को राजनीतिक विशिष्ट वर्ग द्वारा दौड़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह प्रावधान पहले स्थान पर अस्थायी था और इसे जम्मू-कश्मीर के लोगों के बड़े हित में खत्म किया जाना था.
⦁ इस अनुच्छेद को संविधान से हटा दिया गया और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया, जहां लद्दाख UT बनकर एक विजेता के रूप में उभरा.
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकार का प्रावधान) विधेयक, 2019
⦁ कानून और न्याय मंत्री, श्री रविशंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री के नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान 17 वें लोकसभा चुनावों में प्रमुख गेम चेंजर रहे बिल पर रोशनी डाली. यह बिल रविशंकर प्रसाद द्वारा पेश किए गए थे.
⦁ बिल हर तरह की तलाक को चाहे वो लिखित में हों या इलेक्ट्रॉनिक रूप में हों सभी को गैर कानूनी बनाता है.यह एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा सुनाई गई ताल्क-ए-बिद्दत या किसी भी अन्य रूप में तालक को परिभाषित करता है, जिसके परिणामस्वरूप तत्काल और अपरिवर्तनीय तलाक होता है. तालाक-ए-बिद्दत का मतलब मुस्लिम व्यक्तिगत कानूनों के तहत आता है, जिसके तहत मुस्लिम व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के लिए एक शब्द को तीन बार 'तलाक' शब्द बोल देता है और तात्कालिक और अपरिवर्तनीय तलाक हो जाता है.
बिल को दोनों सदनों से पारित करवाना नरेंद्र मोदी सरकार की प्रमुख जीत में से एक है.
कुलभूषण जाधव मामला :
मोदी सरकार के 100 दिनों में भारत को बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत मिली. इस दौरान कुलभूषण जाधव मामले में सरकार ने पाकिस्तान से बाजी मारी. कुलभूषण जाधव मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने पाकिस्तान को अपने फैसले की समीक्षा करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही ICJ ने जाधव की फांसी की सजा पर भी रोक लगा दी. साथ ही अदालत ने इस्लामाबाद से नई दिल्ली को जल्द से जल्द कांसुलर एक्सेस की अनुमति देने का भी हुकम दिया.
ये भी पढ़ें: और फिर PM के गले लगकर रोने लगे ISRO चीफ, मोदी ने बढ़ाया हौसला
गल्फ देशों द्वारा नरेंद्र मोदी को मिले पुरस्कार :
इस कड़ी में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'ऑर्डर ऑफ जायद' से नवाजा. इसके अलावा बहरीन में नरेंद्र मोदी को 'द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां' से सम्मानित किया गया.
कश्मीर की मौजूदा स्थिति में प्रधानमंत्री का इन सम्मानों से नवाजा जाना काफी अहम है. ये इस बात का संकेत है कि भारत ने सफलतापूर्वक विश्व को ये दिखाया कि मुस्लिम देश भी कश्मीर पर पाकिस्तान के विरोध का समर्थन नहीं कर रहे हैं.
कश्मीरी मुद्दे पर पाकिस्तान का अलगाव :
कश्मीर मुद्दे पर चीन को छोड़कर किसी भी देश ने पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया. अधिकांश देश यही चाहते थे कि भारत और पाकिस्तान अपने विवाद को द्विपक्षीय चर्चा से हल करें.
वेतन संहिता, 2019
यह संहिता सभी रोजगार जैसे व्यापार, व्यवसाय या निर्माण में नियमित भत्ते और बोनस के भुगतान को नियमित करता है.
सरकार ने पुराने कानून के बदले निम्नलिखित नए चार कानून बनाए हैंः
(i) वेतन का भुगतान अधिनियम, 1936
(ii) न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
(iii) बोनस भुगतान अधिनियम, 1965
(iv) समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
लोकसभा में पेश किए गए वेतन संहिता बिल के अनुसार, केंद्र सरकार भौगोलिक क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय मजदूरी तय करेगी.
इस तरह से एक राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी के बजाय, सरकार कई सारे फ्लोर रेट्स पर जा सकती है.
केंद्र सरकार फ्लोर वेज तय करने से पहले एक एजवाइजरी बोर्ड या राज्य सरकारों की सलाह ले सकती है.
न्यूनतम वेतन की समीक्षा की जाएगी और इसे हर पांच साल में संशोधित किया जाएगा.
नेशनल डिफेंस फंड के अंतर्गत प्रधानमंत्री स्कोलरशिप योजना
प्रधानमंत्री ने आतंकवादी या माओवादी हमलों में शहीद हुए पुलिस कर्मियों के वार्डों के लिए नेशनल डिफेंस फंड के तहत एक छात्रवृत्ति योजना को मंजूरी दी.
जहां छात्रवृत्ति की दर प्रति माह 2,000 रुपये से बढ़ाकर लड़कों के लिए 2,500 रुपये प्रति माह और लड़कियों के लिए 2,250 रुपये प्रति माह से 3,000 रुपये प्रति माह कर दी गई.
छात्रवृत्ति योजना राज्य पुलिस कर्मियों के वार्डों तक बढ़ाई गई थी, हर साल वितरित की जाने वाली छात्रवृत्ति की लिमिट 500 थी और यह छात्रवृत्ति उन लोगों के लिए थी जो आतंक / नक्सल हमलों के दौरान शहीद हो गए थे.
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण वाला बिल या पॉक्सो अमेंडमेंट बिल 2019
इस बिल में संशोधन करने पर पार्टी लाइनों में कटौती हुई. और इसके बाद हर पार्टी ने इसका स्वागत किया. संशोधनों में बाल पोर्नोग्राफी पर अंकुश लगाने के लिए जुर्माना और कारावास का प्रावधान है.
यह विधेयक न्यूनतम सजा को बढ़ाकर सात से दस साल तक कर देता है. इसमें यह कहा गया है कि यह कोई व्यक्ति 16 साल के कम उम्र के बच्चे के साथ यौन अपराध करता है तो उसे जुर्माने के साथ 20 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. वर्तमान समय में बढ़ते हुए यौन हमले की सजा 10 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माना है.
विधेयक में न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 साल कर दी गई है. और सबसे अधिकतम सजा मृत्युदंड कर दी गई है.
अधिनियम में जो भी संशोधन किए गए हैं, वे सभी सरकार के समाज के एक कमजोर समूह के साथ खड़े होने के रुख को बताते हैं.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
इस अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं के विवादों का समय पर और एक प्रभावी प्रशासन द्वारा निपटारा करना है.
कुछ विवाद और खामियां..
NPE के तहत तीन-भाषा फार्मूला
⦁ केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE) का एक मसौदा जारी किया. ये मसौदा अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट थी.
⦁ इस मसौदे में स्कूली छात्रों को भाषा चुनने का नियम पेश किया गया. इसमें कहा कि जो भी छात्र तीन भाषाओं को बदलना चाहते हैं, वह ग्रेड में ऐसा कर सकते हैं. इसमें कहा गया, 'हिंदी भाषी राज्यों में छात्रों द्वारा तीन भाषाओं के अध्ययन में हिंदी, अंग्रेजी और भारत के अन्य हिस्सों में से कोई भी एक आधुनिक भारतीय भाषा इसमें शामिल होगी.' वहीं इसमें कहा गया कि गैर-हिंदी भाषी राज्यों में छात्रों द्वारा भाषाओं के अध्ययन में क्षेत्रीय भाषा, हिंदी और अंग्रेजी शामिल होगी.
⦁ केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ कई गैर-हिंदी भाषी राज्यों में इसके लिए विरोध प्रदर्शन किया गया. उनका मानना था कि सरकार अनिच्छुक राज्यों पर हिंदी को लागू करने के लिए ऐसा कर रही है.
⦁ केंद्र सरकार ने स्थिति को संभालते हुए कहा कि यह केवल एक मसौदा है और इसे अंतिम रूप दिया जाना अभी बाकी है.
⦁ इसके बाद समिति द्वारा इस मसौदे से हिंदी के संदर्भ को हटा दिया गया और इस कमेटी ने दोबारा विचार करना शुरू किया. इसके बाद कहा गया कि छात्र ग्रेड 6 या 7 में अपनी भाषा की प्राथमिकता बदल सकते थे.
⦁ वहीं केंद्र ने गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी शिक्षकों की नियुक्ति का समर्थन करने के लिए स्कूलों में तीन-भाषा फॉर्मूला के तहत इस साल के 50 करोड़ का बजट आवंटित किया.
ये भी पढ़ें: चंद्रयान-2 मिशन पर बोले PM, हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है
RTI संशोधन विधेयक, 2019
⦁ लोकसभा ने राज्यों में मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) और केंद्र और सूचना आयुक्तों (आईसी) की नियुक्ति के नियमों और शर्तों में बदलाव के साथ आरटीआई संशोधन विधेयक 2019 पारित किया. इसके साथ ही सीआईसी और आईसी के लिए निर्धारित कार्यकाल को भी नए संशोधनों में स्पष्ट किया गया. इसके अलावा वेतन में भी तबदीली की गई.
⦁ सरकार के इस कदम का विपक्ष और कार्यकर्ताओं ने विरोध किया. उनका कहना था कि इससे सरकार को CIC और IC को वेतन और उनके पद से हटाने का अधिकार मिल जाएगा.
कंपनी संशोधन बिल, 2019
⦁ सरकार ने कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2019 में संशोधन किया. इसके तहत ये कहा गया कि सीएसआर प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में कंपनी INR 50,000 (यूएस $ 700) के न्यूनतम दंड शुल्क के लिए उत्तरदायी होगी. साथ ये सजा INR 25 लाख तक बढ़ सकती है (यूएस) $ 35,034)
⦁ इसके अलावा कंपनी के प्रत्येक डिफॉल्टिंग अधिकारी पर तीन साल तक की कैद या INR पांच लाख (US $ 7,023) या दोनों का जुर्माना लग सकता है.
⦁ सरकार ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित हालिया आर्थिक सुधारों में अपना रुख बदल दिया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सीएसआर उल्लंघनों को अपराध नहीं माना जाएगा बल्कि केवल एक नागरिक दायित्व के रूप में ही माना जाएगा.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2019
⦁ राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019 में इसके विभिन्न कार्यों की देखभाल के लिए चार स्वायत्त बोर्ड होने का प्रस्ताव पेश किया गया.
⦁ इसके तहत केंद्र सरकार को एनएमसी और उसके स्वायत्त बोर्डों की नीति और अन्य निर्देश देने की शक्ति दी गई, जो अंतिम होंगे.
भारत की गिरती आर्थिक स्थिति
⦁ जनवरी-मार्च में भारत की जीडीपी वृद्धि पिछले पांच साल के निचले स्तर 5.8 प्रतिशत पर आ गई. वहीं अधिकांश विश्लेषकों ने इसके और ज्यादा गिरने की आशंका जताई है.
⦁ एक प्रमुख आर्थिक संकेतक मानी जाने वाली घरेलू यात्री वाहन की जुलाई में बिक्री दर में 31 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. ये दो दशकों में दर्ज की गई सबसे भारी गिरावट थी.
⦁ कंपनियों ने पहले ही अपने कर्मचारियों में कटौती करना शुरू कर दिया. ऑटो सेक्टर ने अकेले अप्रैल से अब तक लगभग 350,000 श्रमिकों को सेवा से निकाल दिया.
⦁ भारत की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को देखते हुए व्यापार क्षेत्र और अन्य विशेषज्ञों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई. इसके मद्देनजर सरकार के रवैये की भारी आलोचना हुई. विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि सरकार अहम मुद्दों से हटकर अन्य मुद्दों पर राष्ट्र का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. लोगों ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और सही निवेश करने का कोई तरीका नजर नहीं आ रहा.
⦁ विशेषज्ञों ने कमजोर निवेश, मौन मौद्रिक संचार और धीमी जीएसटी संग्रह को उद्धृत किया. विशेषज्ञों ने इन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बताया.
⦁ पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त (नं. 2) अधिनियम, 2019 द्वारा लगाए गए अधिभार को वापस लेने का फैसला किया गया है. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 20 उपायों की घोषणा की.