बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार के प्रस्तावित धर्मांतरण रोधी कानून पर सवाल उठ रहे हैं. बेंगलुरु आर्चडायसिस के आर्चबिशप डॉ. पीटर मचाडो (Dr Peter Machado) ने प्रस्तावित धर्मांतरण रोधी कानून का विरोध किया है और इसकी जरूरत पर सवाल उठाए हैं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने 12 नवंबर को कहा था कि राज्य में जल्द ही एक धर्मांतरण रोधी कानून होगा और इस संबंध में अन्य राज्यों के इस तरह के कानूनों का अध्ययन किया जा रहा है.
मचाडो ने मुख्यमंत्री को दिए एक ज्ञापन में कहा, 'कर्नाटक में समस्त ईसाई समुदाय एक स्वर में धर्मांतरण रोधी विधेयक के प्रस्ताव का विरोध करता है और ऐसे समय में इस तरह की कवायद की जरूरत पर सवाल उठाता है जब मौजूदा कानूनों के उद्देश्य से किसी तरह के विचलन पर निगरानी रखने के लिए पर्याप्त कानून और अदालत के निर्देश मौजूद हैं.'
उन्होंने इस ओर संकेत किया कि कर्नाटक के पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने राज्य में सरकारी और गैर-सरकारी ईसाई मिशनरियों तथा संस्थानों के सर्वेक्षण का आदेश दिया है.
आर्चबिशप ने कहा, जब सारे संबंधित आंकड़े सरकार के पास हैं तो हमें एक और ऐसी कवायद की क्या जरूरत है?
उन्होंने सरकार को यह साबित करने की चेतावनी दी कि ईसाई शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे तथा ईसाई संगठनों द्वारा संचालित अस्पतालों में इलाज करा रहे लोगों को कभी भी उनका धर्म बदलने के लिए प्रभावित या बाध्य किया गया है.
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आर्चबिशप ने आशंका जताई कि धर्मांतरण रोधी कानून शरारती तत्वों के लिए कानून हाथ में लेने का हथियार बन सकता है. उन्होंने कहा, 'हम मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल से पुरजोर अपील करते हैं कि समाज में सौहार्द और शांति के हित में इस अवांछनीय तथा भेदभाव वाले विधेयक को बढ़ावा नहीं दिया जाए.'
(पीटीआई-भाषा)