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WB का सीतारमण को पत्र : GST काउंसिल में बहुमत के बजाय सर्वसम्मति से लें निर्णय

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Published : Jun 29, 2022, 8:54 AM IST

पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीएसटी परिषद की चल रही बैठक में बहुमत के बजाय सर्वसम्मति से निर्णय लेने की अपील की है. पश्चिम बंगाल वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा इससे न केवल जीएसटी काउंसिल की भविष्य में विश्वसनीयता बनी रहेगी बल्कि इस प्रतिष्ठित निकाय की समृद्ध परंपरा भी कायम रहेगी.

श्चिम बंगाल वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य
श्चिम बंगाल वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीएसटी परिषद की बैठक में बहुमत के बजाय सर्वसम्मति से निर्णय लेने की अपील की है. चंडीगढ़ में आयोजित जीएसटी काउंसिल की 47 मीटिंग में भाग लेने आयी पश्चिम बंगाल वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों में बदलाव को मंजूरी देने के अलावा और राज्यों को सोने और कीमती पत्थरों के अंतर-राज्य आवाजाही के लिए ई-वे बिल जारी करने की भी अनुमति दी गई है.

जीएसटी परिषद ने मंगलवार को मंत्रियों के समूह (जीओएम) की एक अंतरिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. जो अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत दरों को तर्कसंगत बनाने पर विचार कर रही है. इसने कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों में बदलाव को भी मंजूरी दी है. साथ ही राज्यों को भी सोने और कीमती पत्थरों की अंतर-राज्यीय आवाजाही के लिए ई-वे बिल जारी करने की अनुमति दी है. जीओएम ने व्यवसायियों द्वारा आवासीय उपयोग के लिए आवासों को किराए पर देने की छूट का "समर्थन" किया.

सीतारमण को लिखे दो पन्नों के पत्र में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वित्त विभाग की प्रधान मुख्य सलाहकार डॉ अमित मित्रा ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला दिया हैं. राज्य के पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद जीएसटी परिषद के लिए यह आवश्यक हो गया है कि जीएसटी परिषद हर निर्णय सर्वसम्मति से करे और बहुमत के आधार पर निर्णय लेने से परहेज करे. इससे न केवल जीएसटी काउंसिल की भविष्य में विश्वसनीयता बनी रहेगी बल्कि इस प्रतिष्ठित निकाय की समृद्ध परंपरा भी कायम रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को फैसला सुनाया कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें केंद्र और राज्य के लिए बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन एक प्रेरक मूल्य है क्योंकि देश में एक सहकारी संघीय संरचना है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत, और विक्रम नाथ ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के पास जीएसटी पर कानून बनाने की शक्तियां एक साथ हैं, लेकिन काउंसिल को एक प्रेक्टिकल समाधान के लिए सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए.

मित्रा ने पत्र में कहा, "माननीय के इस अत्यंत महत्वपूर्ण अवलोकन की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट, जीएसटी परिषद के लिए किसी भी निर्णय के लिए आम सहमति पर पहुंचना बेहद जरूरी हो गया है. भट्टाचार्य ने कहा कि बुधवार को जून 2022 से परे राज्यों को मुआवजे के विस्तार पर चर्चा होगी. ज्यादातर मुद्दों पर मंगलवार को इस पर चर्चा हुई थी. कल हॉर्स रेसिंग, कैसिनो और ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने पर चर्चा होगी. बता दें कि कर प्रणाली को और अधिक सक्षम बनाने के उद्देश्य से मंत्रिस्तरीय समितियों द्वारा दी गई प्रमुख सिफारिशों पर विचार करने के लिए चंडीगढ़ में दो दिवसीय जीएसटी परिषद की 47 वीं बैठक चल रही है.

यह भी पढ़ें-डिब्बा बंद दही, पनीर पर अब लगेगा जीएसटी, क्षतिपूर्ति व्यवस्था आगे भी जारी रखने की मांग

पीटीआई

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीएसटी परिषद की बैठक में बहुमत के बजाय सर्वसम्मति से निर्णय लेने की अपील की है. चंडीगढ़ में आयोजित जीएसटी काउंसिल की 47 मीटिंग में भाग लेने आयी पश्चिम बंगाल वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों में बदलाव को मंजूरी देने के अलावा और राज्यों को सोने और कीमती पत्थरों के अंतर-राज्य आवाजाही के लिए ई-वे बिल जारी करने की भी अनुमति दी गई है.

जीएसटी परिषद ने मंगलवार को मंत्रियों के समूह (जीओएम) की एक अंतरिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. जो अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत दरों को तर्कसंगत बनाने पर विचार कर रही है. इसने कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों में बदलाव को भी मंजूरी दी है. साथ ही राज्यों को भी सोने और कीमती पत्थरों की अंतर-राज्यीय आवाजाही के लिए ई-वे बिल जारी करने की अनुमति दी है. जीओएम ने व्यवसायियों द्वारा आवासीय उपयोग के लिए आवासों को किराए पर देने की छूट का "समर्थन" किया.

सीतारमण को लिखे दो पन्नों के पत्र में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वित्त विभाग की प्रधान मुख्य सलाहकार डॉ अमित मित्रा ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला दिया हैं. राज्य के पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद जीएसटी परिषद के लिए यह आवश्यक हो गया है कि जीएसटी परिषद हर निर्णय सर्वसम्मति से करे और बहुमत के आधार पर निर्णय लेने से परहेज करे. इससे न केवल जीएसटी काउंसिल की भविष्य में विश्वसनीयता बनी रहेगी बल्कि इस प्रतिष्ठित निकाय की समृद्ध परंपरा भी कायम रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को फैसला सुनाया कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें केंद्र और राज्य के लिए बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन एक प्रेरक मूल्य है क्योंकि देश में एक सहकारी संघीय संरचना है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत, और विक्रम नाथ ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के पास जीएसटी पर कानून बनाने की शक्तियां एक साथ हैं, लेकिन काउंसिल को एक प्रेक्टिकल समाधान के लिए सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए.

मित्रा ने पत्र में कहा, "माननीय के इस अत्यंत महत्वपूर्ण अवलोकन की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट, जीएसटी परिषद के लिए किसी भी निर्णय के लिए आम सहमति पर पहुंचना बेहद जरूरी हो गया है. भट्टाचार्य ने कहा कि बुधवार को जून 2022 से परे राज्यों को मुआवजे के विस्तार पर चर्चा होगी. ज्यादातर मुद्दों पर मंगलवार को इस पर चर्चा हुई थी. कल हॉर्स रेसिंग, कैसिनो और ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने पर चर्चा होगी. बता दें कि कर प्रणाली को और अधिक सक्षम बनाने के उद्देश्य से मंत्रिस्तरीय समितियों द्वारा दी गई प्रमुख सिफारिशों पर विचार करने के लिए चंडीगढ़ में दो दिवसीय जीएसटी परिषद की 47 वीं बैठक चल रही है.

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