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SC का मौत की सजा घटाने की राजोआना की अपील पर केंद्र को दो माह में फैसला करने का निर्देश - न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह (former Punjab chief minister Beant Singh) की हत्या मामले में बलवंत सिंह राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो महीने में निर्णय लेने के लिए कहा है. बलवंत ने 26 वर्ष से जेल में बंद होने के मद्देनजर सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का अनुरोध किया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : May 2, 2022, 3:31 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र सरकार को बलवंत सिंह राजोआना की उस याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया, जिसमें उसने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (former Punjab chief minister Beant Singh) की 1995 में हुई हत्या मामले में खुद को सुनाई गई मौत की सजा को लगभग 26 साल से जेल में कैद होने के आधार पर आजीवन कारावास में बदलने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित (Justice Uday Umesh Lalit) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले में शीर्ष अदालत में अन्य सह-दोषियों की अपीलों का लंबित होना राजोआना की याचिका पर फैसला लेने के आड़े नहीं आएगा. पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए एक विस्फोट में संलिप्तता का दोषी ठहराया गया था. इस विस्फोट में बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ें - देशद्रोह कानून की जरूरत पर जवाब, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांगा समय

सर्वोच्च अदालत राजोआना की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने इस आधार पर मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की है कि वह 26 साल से जेल में है. जुलाई 2007 में एक विशेष अदालत ने बेअंत सिंह हत्या मामले में राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र सरकार को बलवंत सिंह राजोआना की उस याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया, जिसमें उसने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (former Punjab chief minister Beant Singh) की 1995 में हुई हत्या मामले में खुद को सुनाई गई मौत की सजा को लगभग 26 साल से जेल में कैद होने के आधार पर आजीवन कारावास में बदलने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित (Justice Uday Umesh Lalit) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले में शीर्ष अदालत में अन्य सह-दोषियों की अपीलों का लंबित होना राजोआना की याचिका पर फैसला लेने के आड़े नहीं आएगा. पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए एक विस्फोट में संलिप्तता का दोषी ठहराया गया था. इस विस्फोट में बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी.

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सर्वोच्च अदालत राजोआना की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने इस आधार पर मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की है कि वह 26 साल से जेल में है. जुलाई 2007 में एक विशेष अदालत ने बेअंत सिंह हत्या मामले में राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी.

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