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टीवी चैनल लिंग आधारित हिंसा के चित्रण पर संयम बरतें : बीसीसीसी - exercise restraint on depiction of gender based violence

टीवी कार्यक्रमों में लिंग आधारित हिंसा दिखाए जाने को लेकर बीसीसीसी ने टीवी चैनलों को संयम बरतने के लिए कहा है. बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों में संशोधन किया है.

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Published : Jul 1, 2021, 6:03 PM IST

नई दिल्ली : प्रसारण विषयवस्तु शिकायत परिषद (बीसीसीसी) ने बृहस्पतिवार को गैर समाचार टीवी चैनलों से महिलाओं, बच्चों और एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध संबंधी विषयवस्तु के चित्रण में संयम बरतने को कहा है.

टीवी कार्यक्रमों में लिंग आधारित हिंसा दिखाए जाने के बारे में विस्तृत परामर्श जारी करते हुए परिषद ने चैनलों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि महिलाओं, बच्चों और एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा के काल्पनिक दृश्य कम से कम हों, लेकिन यह संदेश स्पष्ट हो कि इस प्रकार की हिंसा अस्वीकार्य है और इसे रोका जाना चाहिए.

परामर्श में कहा गया है, बीसीसीसी इस बात पर पुन: जोर देना चाहता है कि चैनलों को पटकथा लिखते वक्त, फिल्मांकन के दौरान और संपादन के दौरान जरूरी सावधानी और एहतियात बरतना चाहिए.

इसमें कहा गया कि टीवी चैनलों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि टेलीविजन पर हिंसा के ऐसे किसी भी चित्रण के साथ ही स्क्रीन पर अंग्रेजी, हिंदी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में यह संदेश हो कि, लिंग आधारित हिंसा एक दंडनीय अपराध है. यह चैनल लिंग आधारित हिंसा के किसी भी रूप का और किसी भी प्रकार की प्रताड़ना का न तो समर्थन करता है और न ही उसकी वकालत करता है.

परिषद ने परामर्श में कहा, बीसीसीसी ऐसे व्यक्तियों को टेलीविजन पर विभिन्न प्रकार की हिंसा के शिकार के रूप में चित्रित करते समय संवेदनशीलता दिखाने की मांग करती है और उम्मीद करती है कि चैनल टेलीविजन के प्रभाव और पहुंच का इस्तेमाल रचनात्मक और सुधारात्मक उद्देश्यों के लिए करेंगे.

बीसीसीसी का यह परामर्श ऐसे वक्त में आया है जब दो सप्ताह पहले केंद्र सरकार ने टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित होने वाली सामग्री के संबंध में मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के लक्ष्य से केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों में संशोधन किया है.

पढ़ें :- 'नफरत और हिंसा फैलाने के लिए हो रहा साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल'

बीसीसीसी की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल ने कहा, यह प्रसारकों के लिए महिलाओं, बच्चों और एलजीबीटीक्यू समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों से संबंधित विषयवस्तु को चित्रित करने पर संयम बरतने का परामर्श है. यौन और घरेलू हिंसा समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है और इससे पूरी गंभीरता के साथ निपटा जाना चाहिए.

गौरतलब है कि केंद्र ने टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित की जाने वाली सामग्री के संबंध में मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए 17 जून को त्रिस्तरीय वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के वास्ते केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों में संशोधन किया था.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 को 17 जून को एक आधिकारिक गजट (परिपत्र) में प्रकाशित करके उसे अधिसूचित किया.

संशोधित नियम शिकायतों के निपटारे का त्रिस्तरीय तंत्र बनाते हैं. प्रसारकों द्वारा स्व-नियमन, प्रसारकों के स्व-नियमन निकायों द्वारा स्व-नियमन और केंद्र सरकार के तंत्र के माध्यम से निगरानी.

चैनलों पर प्रसारित किसी भी कार्यक्रम से परेशानी होने पर दर्शक उस संबंध में प्रसारक से लिखित शिकायत कर सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : प्रसारण विषयवस्तु शिकायत परिषद (बीसीसीसी) ने बृहस्पतिवार को गैर समाचार टीवी चैनलों से महिलाओं, बच्चों और एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध संबंधी विषयवस्तु के चित्रण में संयम बरतने को कहा है.

टीवी कार्यक्रमों में लिंग आधारित हिंसा दिखाए जाने के बारे में विस्तृत परामर्श जारी करते हुए परिषद ने चैनलों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि महिलाओं, बच्चों और एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा के काल्पनिक दृश्य कम से कम हों, लेकिन यह संदेश स्पष्ट हो कि इस प्रकार की हिंसा अस्वीकार्य है और इसे रोका जाना चाहिए.

परामर्श में कहा गया है, बीसीसीसी इस बात पर पुन: जोर देना चाहता है कि चैनलों को पटकथा लिखते वक्त, फिल्मांकन के दौरान और संपादन के दौरान जरूरी सावधानी और एहतियात बरतना चाहिए.

इसमें कहा गया कि टीवी चैनलों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि टेलीविजन पर हिंसा के ऐसे किसी भी चित्रण के साथ ही स्क्रीन पर अंग्रेजी, हिंदी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में यह संदेश हो कि, लिंग आधारित हिंसा एक दंडनीय अपराध है. यह चैनल लिंग आधारित हिंसा के किसी भी रूप का और किसी भी प्रकार की प्रताड़ना का न तो समर्थन करता है और न ही उसकी वकालत करता है.

परिषद ने परामर्श में कहा, बीसीसीसी ऐसे व्यक्तियों को टेलीविजन पर विभिन्न प्रकार की हिंसा के शिकार के रूप में चित्रित करते समय संवेदनशीलता दिखाने की मांग करती है और उम्मीद करती है कि चैनल टेलीविजन के प्रभाव और पहुंच का इस्तेमाल रचनात्मक और सुधारात्मक उद्देश्यों के लिए करेंगे.

बीसीसीसी का यह परामर्श ऐसे वक्त में आया है जब दो सप्ताह पहले केंद्र सरकार ने टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित होने वाली सामग्री के संबंध में मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के लक्ष्य से केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों में संशोधन किया है.

पढ़ें :- 'नफरत और हिंसा फैलाने के लिए हो रहा साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल'

बीसीसीसी की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल ने कहा, यह प्रसारकों के लिए महिलाओं, बच्चों और एलजीबीटीक्यू समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों से संबंधित विषयवस्तु को चित्रित करने पर संयम बरतने का परामर्श है. यौन और घरेलू हिंसा समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है और इससे पूरी गंभीरता के साथ निपटा जाना चाहिए.

गौरतलब है कि केंद्र ने टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित की जाने वाली सामग्री के संबंध में मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए 17 जून को त्रिस्तरीय वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के वास्ते केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों में संशोधन किया था.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 को 17 जून को एक आधिकारिक गजट (परिपत्र) में प्रकाशित करके उसे अधिसूचित किया.

संशोधित नियम शिकायतों के निपटारे का त्रिस्तरीय तंत्र बनाते हैं. प्रसारकों द्वारा स्व-नियमन, प्रसारकों के स्व-नियमन निकायों द्वारा स्व-नियमन और केंद्र सरकार के तंत्र के माध्यम से निगरानी.

चैनलों पर प्रसारित किसी भी कार्यक्रम से परेशानी होने पर दर्शक उस संबंध में प्रसारक से लिखित शिकायत कर सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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