नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को मानहानि के एक मुकदमे में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी (बीबीसी) को समन जारी किया है. केस में दावा किया गया था कि 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' शीर्षक वाली दो भागों की डॉक्यूमेंट्री ने भारत, उसकी न्यायपालिका और स्वयं प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाया है.
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने समन जारी करते हुए मामले में आगे की सुनवाई सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया. मानहानि का यह मुकदमा जस्टिस ऑन ट्रायल नामक गुजरात स्थित एक एनजीओ द्वारा दायर किया गया है. संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे पेश हुए और कहा कि डॉक्यूमेंट्री ने भारत और न्यायपालिका सहित पूरी व्यवस्था को बदनाम किया है.
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बता दें कि इससे पहले, दिल्ली की एक जिला अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता बिनय कुमार सिंह द्वारा इस डॉक्यूमेंट्री के संबंध में दायर मानहानि के मुकदमे पर बीबीसी को समन जारी किया था. सिंह ने यह कहते हुए न्यायालय का रुख किया था कि भारत सरकार द्वारा डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि, एक विकिपीडिया पृष्ठ डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए लिंक प्रदान करता है. डॉक्यूमेंट्री की सामग्री अभी भी इंटरनेट आर्काइव पर उपलब्ध है.
इसलिए सिंह ने बीबीसी, विकिपीडिया और इंटरनेट आर्काइव के खिलाफ एक निषेधाज्ञा के लिए प्रार्थना की थी ताकि उन्हें आरएसएस और वीएचपी के खिलाफ डॉक्यूमेंट्री या किसी अन्य सामग्री को प्रकाशित करने से रोका जा सके. इस दलील के जवाब में बीबीसी ने तर्क दिया था कि अदालत के पास मानहानि के मामले से निपटने का अधिकार क्षेत्र नहीं है. उस मामले को अब बहस के लिए 26 मई को सूचीबद्ध किया गया है. उल्लेखनीय है कि अप्रैल में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुघ को कथित रूप से डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालय से प्रतिबंधित कर दिया गया था.