गोरखपुर : बसंत पंचमी का दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की उपासना के साथ ही जाग्रत मुहूर्त के लिए भी जाना जाता है. लंबे समय से किसी कार्य के नकारात्मक परिणाम आ रहे हों तो बसंत पंचमी के दिन उस कार्य को फिर से शुरू करने या किसी नए संकल्पित कार्य का आरंभ इस जाग्रत मुहूर्त में किया जाए तो आशातीत सफलता अवश्य मिलती है.
बसंत पंचमी ज्ञानदायी माता सरस्वती का प्राकट्योत्सव का दिन है. विद्यार्थियों के लिए तो यह दिन बेहद ही खास है. प्राचीन काल में जब गुरुकुल परम्परा थी तब लोग अपने बच्चों को बसंत पंचमी के ही दिन गुरुकुल में ऋषि महर्षि को ज्ञानार्जन के लिए सौंपते थे. ज्ञानदेवी माता का यह प्राकट्योत्सव आदिशक्ति के विशेष पूजनकाल गुप्त नवरात्रि के दौरान होने से इसकी महत्ता अनिर्वचनीय होती है.
गुप्त नवरात्रि में मां आदिशक्ति की आराधना दस महाविद्याओं की सिद्धि के लिए की जाती है. उस नवरात्रि की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी के दिन पूजन का विशेष प्रभाव देखने को मिलता है. इस बार बसंत पंचमी के दिन 16 फरवरी को विशेष पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6.59 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक है.
इन मंत्रो का करें जाप
माता सरस्वती का पूजन करने के लिए यदि बहुत से मंत्र श्लोकों का स्मरण न हो तो 'या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥' या फिर 'सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्। देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: ॥' के उच्चारण मात्र से भी विद्या देवी की कृपा प्राप्त की जा सकती है.
यदि कोई गहन पूजन करने में खुद को असमर्थ पाता है तो वह सामान्य उपायों से भी अभीष्ट फल प्राप्त कर सकता है. बसंत पंचमी के दिन मुहूर्त काल में पीले रंग के कपड़े पहनने से, घर की कोई दीवार पीले रंग में रंगने से, पीला भोजन करने, पीले फूल से देवी देवताओं की पूजा करने मात्र से भी संकल्प की सिद्धि की जा सकती है. बसंत पंचमी के दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है, इसके लिए अलग से कोई मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती.
सनातन संस्कृति में दार्शनिक मान्यता है कि मनुष्य के जीवन का अभीष्ट मोक्ष या योनि बंधनो से मुक्ति है. वास्तविक अर्थों में विद्या का मूल कार्य भी मुक्ति है. विद्या के निहितार्थ को समझने के लिए ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की जयंती अर्थात बसंत पंचमी से श्रेष्ठ अवसर और क्या हो सकता है.
पंडित सचिन्द्रनाथ
ज्योतिषशास्त्री, गोरखपुर