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बसंत पंचमी: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मान्यताएं - शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी

बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरुआत करने के लिए ये दिन बेहद शुभ माना जाता है.

बसंत पंचमी
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Published : Feb 16, 2021, 7:54 AM IST

Updated : Feb 16, 2021, 9:06 AM IST

वाराणसी : माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस साल 16 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी. लोग पीले रंग का वस्त्र पहनकर सरस्वती मां की पूजा करते हैं. इस दिन लोग विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं.

बसंत ऋतु में जहां पृथ्वी का सौंदर्य निखर उठता है, वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है. बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया है कि इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रहा है.

पूजा विधि और मान्यताएं

पंचमी तिथि 15 फरवरी की रात्रि 3:36 से प्रारंभ हो जाएगी. 16 फरवरी को पूरा दिन पंचमी तिथि का मान होगा, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पंचमी तिथि की पूजा सुबह सूर्य उदय से लेकर 9:00 बजे तक करना ही श्रेयस्कर माना जाता है क्योंकि यह मूर्ति सबसे उत्तम मोड़ तो होता है. पूजा पाठ के लिए सरस्वती मां की आराधना करने के लिए इस वक्त की गई पूजा विशेष फलदाई होती है.

ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी के मुताबिक बसंत पंचमी के मौके पर माता सरस्वती की आराधना करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले माता सरस्वती की मिट्टी की प्रतिमा या तस्वीर जो भी उपलब्ध हो उसे एक साथ स्थान पर किसी लकड़ी के पाटे या फिर साफ स्थल पर रखें. उसके बाद जल भरे कलश में आम के पत्ते पर नरियल रखकर उस पर देवी का अह्वान करें. देवी का आह्वान करने के साथ ही माता की प्रतिमा को धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पित करें.

इन पुष्प और फलों से करें माता की आराधना

सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बसंत पंचमी एक बदलते हुए मौसम की शुरुआत मानी जाती है. इसलिए इस ऋतु में जो भी फल और पुष्प उपलब्ध होते हैं, वह माता सरस्वती को अर्पित करना उत्तम माना जाता है. सरसों के फूल, लाल गुड़हल का फूल, पीले गेंदे के फूल, सूरजमुखी का फूल माता को अर्पित करना लाभकारी होता है.

इसके अलावा बेर, रसभरी, संतरा आदि फल माता को अर्पित करने चाहिए. इसके अलावा पीला मिष्ठान माता को चढ़ाया जाना आवश्यक होता है. इसमें पीला पेड़ा, पीली बर्फी या फिर अन्य किसी भी तरह की पीली खाद्य सामग्री शामिल की जा सकती है.

विद्यार्थी रखें इन बातों का ध्यान

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता सरस्वती की आराधना करने के लिए साल में एक दिन पड़ने वाला यह पर्व बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि बसंत पंचमी के बाद ही परीक्षाओं की शुरुआत होती है. छात्र मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए उनका पूजन और अनुष्ठान करते हैं. कुछ बातें हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस दिन किताब और कॉपियों को अध्ययन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह माता सरस्वती की पूजा का दिन होता है.

मान्यता है कि बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है और उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है. इस दिन ज्ञान अर्जन के लिए माता की आराधना करनी चाहिए. मां को पुष्प, रोली, अक्षत अर्पित करने के बाद हाथ जोड़कर उनका ध्यान करना चाहिए. मां की आरती करने के साथ पुस्तकों की भी आरती उतारनी चाहिए. कमजोर छात्रों को माता सरस्वती की पूजा करने के बाद हवन भी करना चाहिए. ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं.

वाराणसी : माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस साल 16 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी. लोग पीले रंग का वस्त्र पहनकर सरस्वती मां की पूजा करते हैं. इस दिन लोग विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं.

बसंत ऋतु में जहां पृथ्वी का सौंदर्य निखर उठता है, वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है. बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया है कि इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रहा है.

पूजा विधि और मान्यताएं

पंचमी तिथि 15 फरवरी की रात्रि 3:36 से प्रारंभ हो जाएगी. 16 फरवरी को पूरा दिन पंचमी तिथि का मान होगा, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पंचमी तिथि की पूजा सुबह सूर्य उदय से लेकर 9:00 बजे तक करना ही श्रेयस्कर माना जाता है क्योंकि यह मूर्ति सबसे उत्तम मोड़ तो होता है. पूजा पाठ के लिए सरस्वती मां की आराधना करने के लिए इस वक्त की गई पूजा विशेष फलदाई होती है.

ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी के मुताबिक बसंत पंचमी के मौके पर माता सरस्वती की आराधना करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले माता सरस्वती की मिट्टी की प्रतिमा या तस्वीर जो भी उपलब्ध हो उसे एक साथ स्थान पर किसी लकड़ी के पाटे या फिर साफ स्थल पर रखें. उसके बाद जल भरे कलश में आम के पत्ते पर नरियल रखकर उस पर देवी का अह्वान करें. देवी का आह्वान करने के साथ ही माता की प्रतिमा को धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पित करें.

इन पुष्प और फलों से करें माता की आराधना

सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बसंत पंचमी एक बदलते हुए मौसम की शुरुआत मानी जाती है. इसलिए इस ऋतु में जो भी फल और पुष्प उपलब्ध होते हैं, वह माता सरस्वती को अर्पित करना उत्तम माना जाता है. सरसों के फूल, लाल गुड़हल का फूल, पीले गेंदे के फूल, सूरजमुखी का फूल माता को अर्पित करना लाभकारी होता है.

इसके अलावा बेर, रसभरी, संतरा आदि फल माता को अर्पित करने चाहिए. इसके अलावा पीला मिष्ठान माता को चढ़ाया जाना आवश्यक होता है. इसमें पीला पेड़ा, पीली बर्फी या फिर अन्य किसी भी तरह की पीली खाद्य सामग्री शामिल की जा सकती है.

विद्यार्थी रखें इन बातों का ध्यान

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता सरस्वती की आराधना करने के लिए साल में एक दिन पड़ने वाला यह पर्व बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि बसंत पंचमी के बाद ही परीक्षाओं की शुरुआत होती है. छात्र मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए उनका पूजन और अनुष्ठान करते हैं. कुछ बातें हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस दिन किताब और कॉपियों को अध्ययन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह माता सरस्वती की पूजा का दिन होता है.

मान्यता है कि बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है और उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है. इस दिन ज्ञान अर्जन के लिए माता की आराधना करनी चाहिए. मां को पुष्प, रोली, अक्षत अर्पित करने के बाद हाथ जोड़कर उनका ध्यान करना चाहिए. मां की आरती करने के साथ पुस्तकों की भी आरती उतारनी चाहिए. कमजोर छात्रों को माता सरस्वती की पूजा करने के बाद हवन भी करना चाहिए. ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं.

Last Updated : Feb 16, 2021, 9:06 AM IST
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