मुंबई : मुंबई की अदालत ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बीएआरसी) के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि कथित टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) घोटाले में उनकी 'अहम भूमिका' है.
अदालत ने यह आदेश चार जनवरी को पारित किया था और उसकी प्रति बुधवार को उपलब्ध हुई. दासगुप्ता को पिछले महीने मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था. मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुधीर भजिपले ने सोमवार को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. दासगुप्ता ने 30 दिसंबर को जमानत के लिए आवेदन दाखिल किया था.
मजिस्ट्रेट ने आदेश में कहा कि जो भी दस्तावेज पेश किए गए हैं, उनसे लगता है कि आरोपी कथित अपराध में शामिल था. उन्होंने अपने आदेश में कहा, 'मौजूदा याचिकाकर्ता (दासगुप्ता) ने अपराध में अहम भूमिका निभाई.' अदालती आदेश के मुताबिक दासगुप्ता जून 2013 से नवंबर 2019 तक बीएआरसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थे.
अदालत ने टिप्पणी की कि जांच अधिकारी द्वारा जमा किए गए सबूत दिखाते हैं कि दासगुप्ता ने बीएआरसी के सीईओ के पद का इस्तेमाल करते हुए कुछ खास चैनलों के लिए टीआरपी रेटिंग में छेड़छाड़ की.
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी सबसे प्रभावशाली व्यक्ति है जिसने सीईओ के तौर पर काम किया और अन्य व्यक्तियों या आरोपियों से अब भी पूछताछ बाकी है. अदालत ने कहा, ' ऐसी परिस्थितियों में आगे की जांच की जरूरत है कि मौजूदा आरोपी को वांछित आरोपियों और अन्य सामग्री एवं गवाह से दूर रखने की जरूरत है.'
अदालत का यह मानना था कि दासगुप्ता को रिहा करने से मामले में चल रही जांच बाधित होगी. उल्लेखनीय है कि जमानत के लिए अन्य तथ्यों के साथ मामले में बीएआरसी के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी रोमिल पनगढ़िया सहित अन्य को मिली जमानत को आधार बनाया गया था.
यह घोटाला उस समय सामने आया जब बीएआरसी ने हंसा रिसर्च ग्रुप के जरिये शिकायत दर्ज कराई कि कुछ चैनल टीआरपी के अंकों में धोखाधड़ी कर रही है.
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बता दें कि दासगुप्ता जून 2013 से नवंबर 2019 तक बार्क के सीईओ रहे. दासगुप्ता फर्जी टीआरपी मामले में गिरफ्तार किए गए 15वें व्यक्ति हैं. मामले के ज्यादातर आरोपी अभी जमानत पर हैं.