लखनऊ: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनैतिक संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) उत्तर प्रदेश की राजधानी में पैर पसार रहा है. संगठन का प्रदेश कार्यालय लखनऊ में खोला गया है. कई राज्यों में इस संगठन पर दंगे भड़काने, राजनैतिक हत्याएं करवाने के अलावा बेंगलुरु में दंगा भड़काने का आरोप लग चुका है. केंद्र सरकार ने कई राज्यों में इस संगठन पर प्रतिबंध भी लगाया है. इसके बावजूद बिना किसी प्रशासनिक और पुलिस इजाजत के संगठन का प्रदेश कार्यालय लखनऊ में खुल गया है. पिछले दो दिनों से बैठकें जारी हैं. हुसैनगंज में सड़कों पर इस राजनीतिक संगठन के झंडे दिखाई दे रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने संगठन की गतिविधियों को लेकर पुलिस प्रशासन को चेताया है. भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि एसडीपीआई की गतिविधियों पर नजर रखी जाए. संगठन पहले से ही अलगाववादी गतिविधियों को लेकर सक्रिय रहा है.
एसडीपीआई के प्रदेश मीडिया प्रभारी इमरान ने बताया कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप गलत हैं. उन्होंने कहा कि हमारा एक राजनीतिक संगठन है. हमने हाल ही में कर्नाटक में चुनाव लड़ा है. अब हम उत्तर प्रदेश में लोकसभा का चुनाव भी लड़ेंगे. इसके लिए हमने अपना प्रदेश कार्यालय शुरू किया है. हमारा किसी भी प्रकार की अलगाववादी गतिविधियों से कोई लेना देना नहीं है. यह सारे झूठे आरोप हैं. पार्टी की बैठक में नेशनल वाइस प्रेसिडेंट मोहम्मद शफी ने मौजूद पदाधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए.
एसडीपीआई पर आरोप
केरल में माकपा, यूथ लीग और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की हत्याओं का आरोप है. पीएफआई और एसडीपीआई के नौ कार्यकर्ताओं को 2008 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई-एम) के एक कार्यकर्ता की हत्या का दोषी पाया गया था.एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं को कोझिकोड में एक मुस्लिम यूथ लीग कार्यकर्ता की हत्या का दोषी पाया गया था. चावक्कड़ में एक कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या के आरोप में एसडीपीआई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. कन्नूर जिले के नारथ में संदिग्ध हथियार-प्रशिक्षण शिविर और हथियारों के भंडार जब्त किए गए. पीएफआई और एसडीपीआई के कार्यालयों और अन्य केंद्रों से हालांकि पार्टी ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर चार्जशीट में पीएफआई और एसडीपीआई को पूरे केरल में स्वास्थ्य-जागरूकता शिविरों और योग कक्षाओं के रूप में हथियार-प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने का दोषी ठहराया गया था.
आरएसएस के सदस्यों की हत्या
फरवरी 2021 में एक 23 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता की कथित तौर पर एसडीपीआई कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया है. एक पुलिस जांच में पाया गया कि केरल के मुसलमान मंगलुरु विरोधी सीएए हिंसा में शामिल थे. पुलिस ने आरोप लगाया कि पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े समूहों द्वारा भड़काऊ संदेश साझा किए गए. हिंसा के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था और पीएफआई और एसडीपीआई के सदस्यों सहित 30 अन्य को नोटिस जारी किए गए थे.
ये भी पढ़ेंः उमेश पाल हत्याकांड में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी