मुंबई : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा ने शुक्रवार को कहा कि उसने संकट में घिरे अडाणी समूह की कंपनियों को कर्ज में पिछले दो साल में कटौती की है और बकाया कर्ज की गुणवत्ता को लेकर उसे कोई चिंता नहीं है. बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव चड्ढा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अडाणी समूह की इकाइयों को दिया गया कर्ज एलईएफ के तहत स्वीकृत सीमा का एक चौथाई ही है. हालांकि उन्होंने अडाणी समूह को बैंक की तरफ से दिए गए कर्ज की राशि नहीं बताई.
भारतीय रिजर्व बैंक कहता है कि बड़े कर्जों के लिए निर्धारित रूपरेखा (एलईएफ) के तहत किसी एक समूह से जुड़ी कंपनियों को दिया गया कुल कर्ज किसी बैंक के पास उपलब्ध पात्र पूंजीगत आधार के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है. चड्ढा ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा की तरफ से अडाणी समूह को दिए गए कर्जों का एक-तिहाई हिस्सा या तो सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ गठित संयुक्त उद्यमों का है या फिर कर्ज को सरकारी स्वामित्व वाली इकाइयों से गारंटी मिली है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में बैंक के कुल कर्ज बहीखाते में अडाणी समूह की प्रतिशत हिस्सेदारी घटी है. अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट होने से उसे दिए गए कर्जों की गुणवत्ता को लेकर किसी तरह की चिंता से साफ इनकार करते हुए चड्ढा ने कहा, 'अडाणी समूह की तरफ से बकाया कर्ज को पुनर्वित्त करने का कोई भी अनुरोध नहीं आया है.' इसके साथ ही चड्ढा ने कहा कि बैंक किसी भी कंपनी को शेयर कीमतों के आधार पर कर्ज नहीं देते हैं, इसके लिए वे कंपनी के वास्तविक मूल्य और परिसंपत्तियों को जमानत के तौर पर देखते हैं. उन्होंने कहा कि कंपनियों को दिया जाने वाला अधिकांश कर्ज सुरक्षित होता है और कार्यशील पूंजी कर्ज को नकद प्रवाह से सुरक्षित किया जाता है. उन्होंने कहा कि बैंक का कंपनियों को आवंटित कर्ज का बहीखाता काफी अच्छी स्थिति में है और दिसंबर तिमाही में इसमें सिर्फ 13 करोड़ रुपये ऐसे कर्ज हैं, जो फंसा है, जो पहले हजारों करोड़ रुपये था.
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(पीटीआई-भाषा)