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बच्चों का अनोखा बैंक, जिसे बच्चे ही चलाते हैं - बच्चों का अपना बैंक

देशभर में सैकड़ों बैंक हैं, सरकारी, गैर-सरकारी, निजी और अंडरटेकिंग. लेकिन रांची का ये बैंक अनोखा है और बेहद खास है. क्योंकि इस बैंक के ग्राहक भी बच्चे हैं और इसके मैनेजर भी बच्चे ही हैं. आइये जानते हैं कि क्यों खास है बाल विकास खजाना बैंक.

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Published : Aug 4, 2021, 5:55 PM IST

रांची : बचपन से ही छोटी-छोटी बचत की आदत इंसान को वक्त पड़ने पर काफी सहायक साबित होता है. कुछ ऐसे ही सोच के साथ रांची के जगरनाथपुर के बच्चों ने बैंकिंग सिस्टम को संचालित कर दिखाया है. इनकी शुरुआत भले ही छोटी है, मगर इनकी सोच वाकई में बहुत बड़ी है. इस सोच का नाम है बाल विकास खजाना बैंक.

आपने सरकारी, गैर-सरकारी कई बैंकों का नाम सुना होगा, मगर बच्चों का अपना बैंक नहीं सुना होगा. रांची के जगरनाथपुर में बच्चों की ओर से संचालित बैंक में बच्चे खुद मैनेजर हैं और खुद ही ग्राहक हैं. इस बैंक में लगभग 450 ग्राहक वाले बच्चों के लाखों रुपए जमा हैं. बाल विकास खजाना के नाम से संचालित इस बैंक में डिपोजिट से लेकर लोन जैसी सुविधा भी उपलब्ध है. जिसे बच्चे अनोखे ढंग से चलाते हैं.

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बच्चों का बैंक पासबुक.
बच्चे ऐसे बनते हैं ग्राहकबच्चों की ओर से संचालित बाल विकास खजाना बैंक में ग्राहक बनने के लिए कई मापदंड निर्धारित किए गए हैं. वैसे ही बच्चे ग्राहक बनने की पात्रता रखते हैं जिनकी उम्र 9 से 18 वर्ष की बीच होगी. आवेदन देने पर बच्चों का इस बैंक में खाता 2 रुपया से खुलता है. बैंक में खाता खुलने के बाद बच्चों को फोटो युक्त पासबुक दी जाती है. 200 रुपया से ज्यादा की हर निकासी और इतनी या इससे अधिक की राशि जमा करने पर ग्राहक को कारण बताना आवश्यक है. बच्चे आवेदन के साथ पैसे कहां से लाए हैं, ये भी जानकारी देते हैं. इसके अलावा पैसा क्यों निकाल रहे हैं, उसकी भी जानकारी देना आवश्यक है.
बच्चों का अनोखा बैंक.

बैंक मैनेजर और सहायक बैंक मैनेजर का होता है चुनाव
बच्चों की ओर से संचालित इस बाल विकास खजाना में लोकतांत्रिक तरीके से हर 6 महीने पर बैंक मैनेजर और सहायक बैंक मैनेजर का चुनाव होता है. जिसमें बैंक के ग्राहक बने बच्चे वोट देकर अगले 6 महीने के लिए बैंक का संचालन का जिम्मा सौंपते हैं. वोटिंग की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए ग्राहक बने सदस्य बच्चों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है.

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बच्चों का अपना बैंक.

बच्चों के इस बैंक में लोन की भी व्यवस्था उपलब्ध है. जिसे बच्चे एडवांस के रूप में जानते हैं. एडवांस की राशि ग्राहक बने बच्चे के खाता में जमा राशि का पांच गुणा तक हो सकता है. जिसे बच्चे इंस्टॉलमेंट में जमा करते हैं. 18 वर्ष पूरा होने के बाद ग्राहक का जमा सारा पैसा वापस करते हुए, उसका एकाउंट किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खोल दिया जाता है.

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ऐसे होता है काम.

बच्चों के खाते में लाखों रुपए
बच्चों की ओर से जमा की जा रही राशि को तीन स्तर पर रखा जाता है. स्थानीय बाल विकास खजाना ब्रांच के अलावा इस राशि को रांची के आईडीबीआई (IDBI) में खाता में राशि रखी गई है. जिसमें अब तक दो लाख रुपये से अधिक जमा हो चुके हैं. बाल विकास खजाना में जमा बच्चों के पैसे पर हर वर्ष 10 प्रतिशत ब्याज दिया जाता है.

जगरनाथपुर इलाके में चल रहे बच्चों के इस अनोखे बैंक में लेजर से लेकर कैश ट्रांजेक्शन की सारी कमर्शियल व्यवस्था को देखकर आप वाकई में दंग रह जाएंगे. स्वयं सेवी संस्था प्रतिज्ञा के सहयोग से चल रहे इस अनोखे बैंक के बारे में बताते हुए स्वयंसेवक चंदन बताते हैं कि इसमें सारी सुविधाएं हैं जो एक बैंक में होती है. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि बच्चों में शुरू से ही बचत करने की प्रवृत्ति हो और वो बैंक के बारे में जान सकें.

बैंक मैनेजर रेणुका कुमारी जो चाइल्ड वॉलेंटियर मैनेजर के रूप में जानी जाती हैं, बताती हैं कि बच्चों को घर में मिलनेवाली पॉकेट मनी या अवसर विशेष पर रिश्तेदार से मिले पैसे यहां जमा किए जाते हैं. बचपन से ही छोटी बचत की आदत इंसान को वक्त पड़ने पर काफी सहायक साबित होता है. कुछ ऐसे ही सोच के साथ इन बच्चों ने बैंकिंग सिस्टम को संचालित कर दिखाया है. शुरुआत भले ही छोटी है, मगर सोच वाकई में बहुत बड़ी है.

कब शुरु हुआ बाल विकास खजाना

साल 2011 में संस्था प्रतिज्ञा के सहयोग से महज 10 बच्चों ने इसकी शुरुआत की. इसमें ऐसे बच्चे शामिल थे जो जगरनाथपुर बस्ती में रहते थे. शुरुआत में इसमें ऐसे भी बच्चे शामिल रहे जो नशापान करते थे. नशापान करने वाले ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने का काम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया. आज बाल विकास खजाना का चार ब्रांच रांची में है.

जगरनाथपुर के स्लम क्षेत्र में बड़ी आबादी रहती है. करीब 10 वर्ष के इस सफर में कई बच्चे अब 18 वर्ष से अधिक होने के कारण अब इसके ग्राहक नहीं हैं. बाल विकास खजाना में संस्था प्रतिज्ञा का काम मॉनिटरिंग का है, बाकी प्रबंधन और संचालन जैसे कार्य पूरी तरह बच्चों पर ही है.

पढ़ेंः CBSE 10th Result : कोरोना काल में माता-पिता को खोया, पर नहीं हारी हिम्मत, वनिशा ने हासिल किए 99.8 % अंक

रांची : बचपन से ही छोटी-छोटी बचत की आदत इंसान को वक्त पड़ने पर काफी सहायक साबित होता है. कुछ ऐसे ही सोच के साथ रांची के जगरनाथपुर के बच्चों ने बैंकिंग सिस्टम को संचालित कर दिखाया है. इनकी शुरुआत भले ही छोटी है, मगर इनकी सोच वाकई में बहुत बड़ी है. इस सोच का नाम है बाल विकास खजाना बैंक.

आपने सरकारी, गैर-सरकारी कई बैंकों का नाम सुना होगा, मगर बच्चों का अपना बैंक नहीं सुना होगा. रांची के जगरनाथपुर में बच्चों की ओर से संचालित बैंक में बच्चे खुद मैनेजर हैं और खुद ही ग्राहक हैं. इस बैंक में लगभग 450 ग्राहक वाले बच्चों के लाखों रुपए जमा हैं. बाल विकास खजाना के नाम से संचालित इस बैंक में डिपोजिट से लेकर लोन जैसी सुविधा भी उपलब्ध है. जिसे बच्चे अनोखे ढंग से चलाते हैं.

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बच्चों का बैंक पासबुक.
बच्चे ऐसे बनते हैं ग्राहकबच्चों की ओर से संचालित बाल विकास खजाना बैंक में ग्राहक बनने के लिए कई मापदंड निर्धारित किए गए हैं. वैसे ही बच्चे ग्राहक बनने की पात्रता रखते हैं जिनकी उम्र 9 से 18 वर्ष की बीच होगी. आवेदन देने पर बच्चों का इस बैंक में खाता 2 रुपया से खुलता है. बैंक में खाता खुलने के बाद बच्चों को फोटो युक्त पासबुक दी जाती है. 200 रुपया से ज्यादा की हर निकासी और इतनी या इससे अधिक की राशि जमा करने पर ग्राहक को कारण बताना आवश्यक है. बच्चे आवेदन के साथ पैसे कहां से लाए हैं, ये भी जानकारी देते हैं. इसके अलावा पैसा क्यों निकाल रहे हैं, उसकी भी जानकारी देना आवश्यक है.
बच्चों का अनोखा बैंक.

बैंक मैनेजर और सहायक बैंक मैनेजर का होता है चुनाव
बच्चों की ओर से संचालित इस बाल विकास खजाना में लोकतांत्रिक तरीके से हर 6 महीने पर बैंक मैनेजर और सहायक बैंक मैनेजर का चुनाव होता है. जिसमें बैंक के ग्राहक बने बच्चे वोट देकर अगले 6 महीने के लिए बैंक का संचालन का जिम्मा सौंपते हैं. वोटिंग की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए ग्राहक बने सदस्य बच्चों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है.

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बच्चों का अपना बैंक.

बच्चों के इस बैंक में लोन की भी व्यवस्था उपलब्ध है. जिसे बच्चे एडवांस के रूप में जानते हैं. एडवांस की राशि ग्राहक बने बच्चे के खाता में जमा राशि का पांच गुणा तक हो सकता है. जिसे बच्चे इंस्टॉलमेंट में जमा करते हैं. 18 वर्ष पूरा होने के बाद ग्राहक का जमा सारा पैसा वापस करते हुए, उसका एकाउंट किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खोल दिया जाता है.

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ऐसे होता है काम.

बच्चों के खाते में लाखों रुपए
बच्चों की ओर से जमा की जा रही राशि को तीन स्तर पर रखा जाता है. स्थानीय बाल विकास खजाना ब्रांच के अलावा इस राशि को रांची के आईडीबीआई (IDBI) में खाता में राशि रखी गई है. जिसमें अब तक दो लाख रुपये से अधिक जमा हो चुके हैं. बाल विकास खजाना में जमा बच्चों के पैसे पर हर वर्ष 10 प्रतिशत ब्याज दिया जाता है.

जगरनाथपुर इलाके में चल रहे बच्चों के इस अनोखे बैंक में लेजर से लेकर कैश ट्रांजेक्शन की सारी कमर्शियल व्यवस्था को देखकर आप वाकई में दंग रह जाएंगे. स्वयं सेवी संस्था प्रतिज्ञा के सहयोग से चल रहे इस अनोखे बैंक के बारे में बताते हुए स्वयंसेवक चंदन बताते हैं कि इसमें सारी सुविधाएं हैं जो एक बैंक में होती है. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि बच्चों में शुरू से ही बचत करने की प्रवृत्ति हो और वो बैंक के बारे में जान सकें.

बैंक मैनेजर रेणुका कुमारी जो चाइल्ड वॉलेंटियर मैनेजर के रूप में जानी जाती हैं, बताती हैं कि बच्चों को घर में मिलनेवाली पॉकेट मनी या अवसर विशेष पर रिश्तेदार से मिले पैसे यहां जमा किए जाते हैं. बचपन से ही छोटी बचत की आदत इंसान को वक्त पड़ने पर काफी सहायक साबित होता है. कुछ ऐसे ही सोच के साथ इन बच्चों ने बैंकिंग सिस्टम को संचालित कर दिखाया है. शुरुआत भले ही छोटी है, मगर सोच वाकई में बहुत बड़ी है.

कब शुरु हुआ बाल विकास खजाना

साल 2011 में संस्था प्रतिज्ञा के सहयोग से महज 10 बच्चों ने इसकी शुरुआत की. इसमें ऐसे बच्चे शामिल थे जो जगरनाथपुर बस्ती में रहते थे. शुरुआत में इसमें ऐसे भी बच्चे शामिल रहे जो नशापान करते थे. नशापान करने वाले ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने का काम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया. आज बाल विकास खजाना का चार ब्रांच रांची में है.

जगरनाथपुर के स्लम क्षेत्र में बड़ी आबादी रहती है. करीब 10 वर्ष के इस सफर में कई बच्चे अब 18 वर्ष से अधिक होने के कारण अब इसके ग्राहक नहीं हैं. बाल विकास खजाना में संस्था प्रतिज्ञा का काम मॉनिटरिंग का है, बाकी प्रबंधन और संचालन जैसे कार्य पूरी तरह बच्चों पर ही है.

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