नई दिल्ली : कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रह चुके विष्णु प्रकाश ने कहा कि चीन ने पिछले 35 वर्षों में विश्वास कायम करने वाले सभी उपायों और समझौतों को मजबूत किया है. चीनी सैनिक गलवान घाटी (Galwan Valley) में आक्रामक थे, जिसके चलते भारत ने अपने वीर जवानों को खोया.
उन्होंने कहा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन को यथास्थिति बहाल करनी होगी, तभी दोनों देशों के बीच सार्थक रूप से द्विपक्षीय संबंध बहाली की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इसलिए धैर्य रखना बहुत जरूरी है और हमें (भारत को) यह सुनिश्चित करना है कि हमारे के लिए क्या सही है, न कि जो चीन कर रहा है क्योंकि चीन तेवर दिखाने में माहिर है. हम अपनी रक्षा को मजबूत करना जारी रख रहे हैं और भारत लंबी दौड़ के लिए तैयार है.
पिछले साल पूर्वी लद्दाख की गालवान घाटी में जून महीने के मध्य में भारत-चीन के बीच हुए संघर्ष के एक साल होने को हैं, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए थे. 1980 के बाद दोनों देशों के बीच पहली बार एलएसी पर खूनी संघर्ष हुआ था.
गलवान घाटी संघर्ष के एक साल बाद, सीमा विवाद को हल करने के लिए दोनों देशों के बीच 11 दौर की उच्च स्तरीय वार्ता हो चुकी है. लेकिन अब भी भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर कुछ संघर्ष बिंदुओं पर आमने-सामने हैं. विवाद को सुलझाने की तमाम अटकलों और चर्चाओं के बीच एक बात बिल्कुल साफ है कि चीन एलएसी पर कुछ प्रमुख बिंदुओं से पीछे हटने का इरादा रखता है.
सीमा विवाद को सुलझाने के लिए धैर्य की जरूरत
पूर्व राजनयिक प्रकाश ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए धैर्य रखने की जरूरत है और यह बताने में सक्षम होना चाहिए कि हम जो कहते हैं, हम ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत को चीन को एक स्पष्ट संदेश देना होगा कि ऐसी स्थिति में दोनों देशों के बीच संबंध बहाल नहीं हो सकते हैं कि चीन बल प्रयोग से सीमा पर यथास्थिति का उल्लंघन करे. साथ ही पहले की तरह व्यापार की उम्मीद रखे है. यह संभव नहीं है.
उन्होंने कहा, भारत एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है जहां मुकाबला है और चीन एक विरोधी के रूप में सामने आया है. हम चीन के साथ शत्रुतापूर्ण संबंध नहीं रखना चाहते. हालांकि, हमारे बीच गंभीर मतभेद हैं, लेकिन हम पड़ोसी हैं, हमारी एक लंबी महाद्वीपीय सीमा है. अगर हम दोस्त नहीं भी हो सकते हैं, तो एक व्यवस्था करना वांछनीय है ताकि हम शांति से रह सकें. लेकिन दोनों देशों को आगे आने की जरूरत है और भारत की स्थिति बहुत स्पष्ट है.
चीन का विस्तारवाद है चुनौती
प्रकाश ने आगे कहा कि चीन का आक्रामक रुख जग जाहिर है और ऐसा माना जाता है कि चीन के 18 देशों के साथ क्षेत्रीय और अन्य विवाद हैं. यह चीन का विस्तारवाद है जो चुनौती है. दुनिया भर में चीनी व्यवहार के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया है.
उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में कहा था कि वह चाहते हैं कि चीन फिर से एक प्यारा देश बने, लेकिन मुझे नहीं पता कि कोई कैसे किसी देश से प्यार कर सकता है, देश के साथ अच्छे संबंध ही हो सकते हैं. इसलिए यह चीन को तय करना है कि वह शांति से रहना चाहता है या सभी के साथ कटु संबंध रखना चाहता है. भारत की स्थिति बहुत स्पष्ट है कि हम सौहार्दपूर्ण संबंध चाहते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि हम धक्का-मुक्की नहीं कर रहे हैं. हम अपने क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम हैं.
सीमा पर शांति के लिए बातचीत महत्वपूर्ण
यह पूछे जाने पर कि क्या निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच झड़प की कोई संभावना है, विष्णु प्रकाश ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि सीमा पर शांति कायम रहेगी. बातचीत महत्वपूर्ण है इसलिए इसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए. हम आशा करते हैं कि बेहतर समझ बनी रहे, लेकिन इस स्थिति में समस्या यह है कि दुर्घटना होने का खतरा हमेशा बना रहता है. मुझे उम्मीद है कि चीन किसी भी शत्रुतापूर्ण गतिविधियों में शामिल नहीं होने की परिपक्वता दिखाएगा.
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बीते बुधवार को, चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग (Sun Weidong) ने कहा था कि नई दिल्ली और बीजिंग को एक-दूसरे को कमतर करने के बजाय एक-दूसरे को सफल होने में मदद करने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, एक-दूसरे के साथ समान व्यवहार करना चाहिए, बातचीत और परामर्श करना चाहिए और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए मतभेदों को ठीक से संबोधित करना चाहिए.
चीनी राजदूत ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के शताब्दी समारोह के अवसर पर यह बाते कही थीं.