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MP में कारोबारी के साथ हुआ कुछ ऐसा कि 11 करोड़ की संपत्ति दान कर परिवार के साथ सांसारिक जीवन छोड़ा

बालाघाट के सराफा कारोबारी राकेश सुराना ने अपनी लगभग 11 करोड़ों रुपये की संपत्ति गरीबों को दान कर दी. अब वो बेटे और पत्नी के साथ सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम और आध्यात्म के पथ पर निकल गए हैं. 22 मई को विधिवत तरीके से पूरे परिवार के साथ जयपुर में दीक्षा लेंगे. (Balaghat jewellery trader take initiation in jaipur)

Balaghat jewellery trader take initiation in jaipur
जयपुर में बालाघाट के सराफा कारोबारी लेगें दीक्षा
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Published : May 17, 2022, 8:17 PM IST

बालाघाट। सराफा कारोबारी राकेश सुराना अपनी लगभग 11 करोड़ की संपत्ति छोड़कर पत्नी और बेटे के साथ 22 मई को विधिवत तरीके से जयपुर में दीक्षा लेंगे. उन्होंने अपनी संपत्ति गौशाला और अन्य धार्मिक संस्थाओं को दान कर दी है. परिवार ने गुरु महेंद्र सागर जी से प्रेरित होकर सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम और आध्यात्म के पथ पर जाने का फैसला लिया. (Balaghat jewellery trader take initiation in jaipur)

जयपुर में बालाघाट के सराफा कारोबारी लेगें दीक्षा

लोगों ने पूरे परिवार की निकाली शोभायात्रा: राकेश सुराना ने अपनी 11 करोड़ की संपत्ति गोशाला और धार्मिक संस्थाओं को दान कर दी. उन्होंने पत्नी लीना और 11 साल के बेटे अमय के साथ सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम पथ पर चलने का फैसला किया है. दीक्षा ग्रहण करने से पहले राकेश सुराना (40 वर्ष), उनकी पत्नी लीना सुराना (36 वर्ष) और बेटे अमय सुराना (11 साल) को शहर के लोगों ने शोभायात्रा निकालकर विदाई दी.

पैसे कमाना उसे भोगना ही जीवन नहीं है. जीवन का मूल अर्थ है, अपने आत्मस्वरूप को पहचानना, क्योंकि इंसान की इच्छाएं कभी खत्म नहीं हो सकती. मुझे धर्म अध्यात्म और आत्म स्वरूप को पहचानने की प्रेरणा गुरु महेंद्र सागर जी महाराज और मनीष सागर जी के प्रवचन और उनके सानिध्य में रहते हुए मिली. मेरी पत्नी ने बचपन में ही संयम पथ पर जाने की इच्छा जाहिर कर दी थी. वहीं मेरा बेटा अमय सुराना महज 4 साल की उम्र में ही संयम के पथ पर जाने का मन बना चुका था.

-राकेश सुराना, सराफा कारोबारी

छोटी सी ज्वेलरी की दुकान से शुरू किया कारोबार: राकेश बालाघाट में सोने-चांदी के कारोबार से जुड़े हैं. कभी छोटी-सी दुकान से ज्वेलरी का कारोबार शुरू करने वाले राकेश ने अपने दिवंगत बड़े भाई की प्रेरणा, अपनी कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से इस क्षेत्र में दौलत और शोहरत दोनों कमाई. आधुनिकता के इस दौर की सुखमय जीवन की तमाम सुविधाएं उनके घर-परिवार में थीं. उन्होंने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की, लेकिन सुराना परिवार अपनी सालों की जमा पूंजी दानकर आध्यात्म की तरफ रुख कर रहे हैं. (Balaghat jewellery trader donate 11 crores property)

Balaghat jewellery trader news
दीक्षा लेने की प्रक्रिया के दौरान का दृष्य

जूना अखाड़े में दीक्षा लेंगे 1000 से ज्यादा नागा संन्यासी, जानें प्रक्रिया

लीना सुराना की मां ने भी ली थी दीक्षा: लीना सुराना ने प्रारंभिक शिक्षा अमेरिका से ली और बाद में बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. सुराना ने बताया कि साल 2017 में उनकी मां ने भी दीक्षा ली थी. उनकी माता चंदा देवी सुराना ने प्रज्ञा श्रीजी मासा के सानिध्य में दीक्षा ली थी. तब उनका नाम परम पूज्य चैतन्य निधि श्रीजी था, लेकिन दीक्षा लेने के महज 7 दिन बाद उनका देहांत हो गया. वह कैंसर से पीड़ित थीं. इनके अलावा राकेश सुराना की बहन नेहा सुराना ने मणिप्रभा श्रीजी के सानिध्य में साल 2008 में दीक्षा ली थी, जिसके बाद से उनका नाम साध्वी सौम्यनिधि श्रीजी हो गया.

बालाघाट। सराफा कारोबारी राकेश सुराना अपनी लगभग 11 करोड़ की संपत्ति छोड़कर पत्नी और बेटे के साथ 22 मई को विधिवत तरीके से जयपुर में दीक्षा लेंगे. उन्होंने अपनी संपत्ति गौशाला और अन्य धार्मिक संस्थाओं को दान कर दी है. परिवार ने गुरु महेंद्र सागर जी से प्रेरित होकर सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम और आध्यात्म के पथ पर जाने का फैसला लिया. (Balaghat jewellery trader take initiation in jaipur)

जयपुर में बालाघाट के सराफा कारोबारी लेगें दीक्षा

लोगों ने पूरे परिवार की निकाली शोभायात्रा: राकेश सुराना ने अपनी 11 करोड़ की संपत्ति गोशाला और धार्मिक संस्थाओं को दान कर दी. उन्होंने पत्नी लीना और 11 साल के बेटे अमय के साथ सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम पथ पर चलने का फैसला किया है. दीक्षा ग्रहण करने से पहले राकेश सुराना (40 वर्ष), उनकी पत्नी लीना सुराना (36 वर्ष) और बेटे अमय सुराना (11 साल) को शहर के लोगों ने शोभायात्रा निकालकर विदाई दी.

पैसे कमाना उसे भोगना ही जीवन नहीं है. जीवन का मूल अर्थ है, अपने आत्मस्वरूप को पहचानना, क्योंकि इंसान की इच्छाएं कभी खत्म नहीं हो सकती. मुझे धर्म अध्यात्म और आत्म स्वरूप को पहचानने की प्रेरणा गुरु महेंद्र सागर जी महाराज और मनीष सागर जी के प्रवचन और उनके सानिध्य में रहते हुए मिली. मेरी पत्नी ने बचपन में ही संयम पथ पर जाने की इच्छा जाहिर कर दी थी. वहीं मेरा बेटा अमय सुराना महज 4 साल की उम्र में ही संयम के पथ पर जाने का मन बना चुका था.

-राकेश सुराना, सराफा कारोबारी

छोटी सी ज्वेलरी की दुकान से शुरू किया कारोबार: राकेश बालाघाट में सोने-चांदी के कारोबार से जुड़े हैं. कभी छोटी-सी दुकान से ज्वेलरी का कारोबार शुरू करने वाले राकेश ने अपने दिवंगत बड़े भाई की प्रेरणा, अपनी कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से इस क्षेत्र में दौलत और शोहरत दोनों कमाई. आधुनिकता के इस दौर की सुखमय जीवन की तमाम सुविधाएं उनके घर-परिवार में थीं. उन्होंने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की, लेकिन सुराना परिवार अपनी सालों की जमा पूंजी दानकर आध्यात्म की तरफ रुख कर रहे हैं. (Balaghat jewellery trader donate 11 crores property)

Balaghat jewellery trader news
दीक्षा लेने की प्रक्रिया के दौरान का दृष्य

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लीना सुराना की मां ने भी ली थी दीक्षा: लीना सुराना ने प्रारंभिक शिक्षा अमेरिका से ली और बाद में बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. सुराना ने बताया कि साल 2017 में उनकी मां ने भी दीक्षा ली थी. उनकी माता चंदा देवी सुराना ने प्रज्ञा श्रीजी मासा के सानिध्य में दीक्षा ली थी. तब उनका नाम परम पूज्य चैतन्य निधि श्रीजी था, लेकिन दीक्षा लेने के महज 7 दिन बाद उनका देहांत हो गया. वह कैंसर से पीड़ित थीं. इनके अलावा राकेश सुराना की बहन नेहा सुराना ने मणिप्रभा श्रीजी के सानिध्य में साल 2008 में दीक्षा ली थी, जिसके बाद से उनका नाम साध्वी सौम्यनिधि श्रीजी हो गया.

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