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पुरी के 'बाहुबली' भगवान के विशाल रथों को खींचने में दे रहे हैं अपनी सेवा

कोरोना के चलते इस बार श्रद्धालुओं की जगह शहर के 'बाहुबली' ही अपनी पूरी शक्ति से प्रसिद्ध रथ यात्रा में भगवान के विशाल रथों को खींच रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 13, 2021, 6:48 PM IST

Bahubali
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पुरी : कोविड-19 महामारी के प्रसार को नियंत्रण में करने के लिए लागू नियमों की वजह से प्रसिद्ध रथ यात्रा में भगवान के विशाल रथों को खींचने के लिए इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ जमा नहीं हो पाई, जिसके बाद शहर के 'बाहुबली' ही अपनी पूरी शक्ति से रथों को खींच रहे हैं.

आम तौर पर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा के तीनों रथों को खींचने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जमा रहती है. लेकिन कोविड-19 दिशानिर्देशों ने अधिकारियों को सोचने पर मजबूर कर दिया और यह निर्णय लिया गया कि अब सिर्फ सेवकों को ही इस समारोह में हिस्सा लेने की इजाजत होगी. पिछले साल पुलिसकर्मियों ने सेवा दी थी लेकिन इस साल उन्हें भी अलग ही रहने को कहा गया.

इसके बाद 3,000 लोगों की जगह इस विशालकाय रथों को खींचने का काम 1,000 सेवकों को दिया गया.

पारंपरिक 'जगहार' या 'पहलवान केंद्रों' ने अपने सदस्यों खास तौर पर सेवक परिवारों से ताल्लुक रखने वालों को रोजाना कसरत करने के लिए कहा ताकि वे इतने चुस्त हो जाएं कि तीन लोगों का काम अकेले कर सकें. करीब 100 राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेने वाले बॉडी बिल्डर अनिल गोचीकर ने रथ यात्रा से पहले प्रशिक्षण के काम में मदद दी।उन्होंने कहा कि इन विशाल रथों को खींचने वाले ज्यादातर सेवक पहलवान हैं और उन सभी का शरीर चुस्त-दुरुस्त है.

आम तौर पर इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. कई बार तो राज्य के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल रहते हैं क्योंकि इसे एक शुभ कार्य के रूप में देखा जाता है.

पढ़ें :- जगन्नाथ रथयात्रा पर पुरी में कर्फ्यू, केवल सेवक ही खींचेंगे रथ

गोचीकर ने कहा, हम शुरुआत में आश्वस्त नहीं थे कि क्या इतनी कम संख्या बल के साथ रथों को खींचा जा सकेगा लेकिन भगवान के आशीर्वाद से हमने जब काम शुरू किया तो रथ घूमने लगा. यह हमारी शक्ति का कमाल नहीं बल्कि ऊपर वाले की इच्छा है.

खान-पान के मामले में शाकाहारी गोचीकर को भगवान जगन्नाथ में असीम विश्वास है. उन्होंने कहा कि सेवक 'जगहार' में कम से कम दो घंटे तक कसरत करते थे. उन्होंने कहा कि सुडौल शरीर बनाना उनकी परंपरा का हिस्सा है. कई बार मिस्टर ओडिशा और 2012 में मिस्टर इंडिया का खिताब जीत चुके गोचीकर की तस्वीर रथ की मोटी रस्सी खींचते हुए वायरल हो गई है.

जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने बताया कि जगघर लोकप्रिय है क्योंकि पुरी के इस समृद्ध मंदिर और जरूरत पड़ने पर साम्राज्य को आक्रमणकारियों के निशाने से बचाने के लिए इसे इसके आसपास तैयार किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

पुरी : कोविड-19 महामारी के प्रसार को नियंत्रण में करने के लिए लागू नियमों की वजह से प्रसिद्ध रथ यात्रा में भगवान के विशाल रथों को खींचने के लिए इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ जमा नहीं हो पाई, जिसके बाद शहर के 'बाहुबली' ही अपनी पूरी शक्ति से रथों को खींच रहे हैं.

आम तौर पर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा के तीनों रथों को खींचने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जमा रहती है. लेकिन कोविड-19 दिशानिर्देशों ने अधिकारियों को सोचने पर मजबूर कर दिया और यह निर्णय लिया गया कि अब सिर्फ सेवकों को ही इस समारोह में हिस्सा लेने की इजाजत होगी. पिछले साल पुलिसकर्मियों ने सेवा दी थी लेकिन इस साल उन्हें भी अलग ही रहने को कहा गया.

इसके बाद 3,000 लोगों की जगह इस विशालकाय रथों को खींचने का काम 1,000 सेवकों को दिया गया.

पारंपरिक 'जगहार' या 'पहलवान केंद्रों' ने अपने सदस्यों खास तौर पर सेवक परिवारों से ताल्लुक रखने वालों को रोजाना कसरत करने के लिए कहा ताकि वे इतने चुस्त हो जाएं कि तीन लोगों का काम अकेले कर सकें. करीब 100 राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेने वाले बॉडी बिल्डर अनिल गोचीकर ने रथ यात्रा से पहले प्रशिक्षण के काम में मदद दी।उन्होंने कहा कि इन विशाल रथों को खींचने वाले ज्यादातर सेवक पहलवान हैं और उन सभी का शरीर चुस्त-दुरुस्त है.

आम तौर पर इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. कई बार तो राज्य के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल रहते हैं क्योंकि इसे एक शुभ कार्य के रूप में देखा जाता है.

पढ़ें :- जगन्नाथ रथयात्रा पर पुरी में कर्फ्यू, केवल सेवक ही खींचेंगे रथ

गोचीकर ने कहा, हम शुरुआत में आश्वस्त नहीं थे कि क्या इतनी कम संख्या बल के साथ रथों को खींचा जा सकेगा लेकिन भगवान के आशीर्वाद से हमने जब काम शुरू किया तो रथ घूमने लगा. यह हमारी शक्ति का कमाल नहीं बल्कि ऊपर वाले की इच्छा है.

खान-पान के मामले में शाकाहारी गोचीकर को भगवान जगन्नाथ में असीम विश्वास है. उन्होंने कहा कि सेवक 'जगहार' में कम से कम दो घंटे तक कसरत करते थे. उन्होंने कहा कि सुडौल शरीर बनाना उनकी परंपरा का हिस्सा है. कई बार मिस्टर ओडिशा और 2012 में मिस्टर इंडिया का खिताब जीत चुके गोचीकर की तस्वीर रथ की मोटी रस्सी खींचते हुए वायरल हो गई है.

जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने बताया कि जगघर लोकप्रिय है क्योंकि पुरी के इस समृद्ध मंदिर और जरूरत पड़ने पर साम्राज्य को आक्रमणकारियों के निशाने से बचाने के लिए इसे इसके आसपास तैयार किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

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