भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों बाबाओं का जादू भक्तों के सिर चढ़कर बोल रहा है, लेकिन इस बीच दो फेमस बाबा जिसमें बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री और कुबेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा बुरे फंसते दिखाई दे रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से दोनों ही धामों में हो रही घटनाओं को लेकर मानव अधिकार आयोग ने छतरपुर के कलेक्टर, एसपी और सीहोर एसपी को नोटिस भेजा है. आयोग ने छतरपुर कलेक्टर और एसपी से एक हफ्ते में और सीहोर एसपी से तीन हफ्तों में जवाब मांगा है.
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री बुरे फंसे: बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री द्वारा मरीजों को ठीक कराने के लिए दी जाने वाली भभूति विवादों में पड़ गई है. बागेश्वर धाम में भभूति खिलाने से बच्ची की हुई मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. मानव अधिकार आयोग ने पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक, छतरपुर से एक हफ्ते में जवाब मांगा है. दरअसल बागेश्वर धाम में दस वर्षीय बच्ची की मौत के मामले ने तूल पकड़ते हुए विवाद खड़ा कर दिया है. मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम में एक दस साल की बच्ची की मौत हो जाने के मामले में संज्ञान लिया है. राजस्थान के बाड़मेर से एक मां अपनी बच्ची को लेकर पहुंची थी. बागेश्वर महाराज ने बच्ची को भभूति भी दी और कहा कि यह शांत हो चुकी है, इसे ले जाओ. मौत के बाद बच्ची को सरकारी एंबुलेंस भी नहीं मिली. परिजन उसे 11,500 रुपये में प्राइवेट एंबुलेंस से राजस्थान ले गये.
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सीहोर एसपी से मानव आयोग ने मांगा जवाब: वहीं दूसरी तरफ एमपी के दूसरे फेमस बाबा पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबरेश्वर धाम में हुई घटनाओं पर भी मानव अधिकार आयोग ने सख्त रवैया अपनाया है. बता दें कुबरेश्वर धाम समिति द्वारा महिला को चोर बताकर पीटने के मामले में मानव अधिकार आयोग ने खबरों के आधार पर एसपी से जवाब मांगा है. महिला ने शिकायत की है कि जब उसने 50 हजार रुपये जमा किए तब ही उसे छोड़ा गया है. नीमच जिले के मनासा निवासी एक महिला ने सीहोर जिले के कुबेरेश्वर धाम प्रबंधन समितिवालों द्वारा उसके साथ मारपीट किये जाने के आरोपों के संबंध में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट पर मानव आयोग ने संज्ञान लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक सीहोर के मंडी थाने पहुंची इंदिरा मालवीय ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह कुबेरेश्वर धाम दर्शन करने आई थी. तभी समितिवालों ने बुलाकर उसके साथ मारपीट कर चेन देने को कहा. जब उसके पास चेन नहीं मिली तो घरवालों के नंबर मांगकर उन्हें धमकी दी कि दस मिनिट में 50 हजार रुपए दे दो, नहीं तो चोरी का केस लगाकर जेल में डाल देंगे. घरवालों ने समिति के खाते में रुपए डाले तब ही उन्हें छोड़ा गया. मामले में मानवाधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, सीहोर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्रवाई के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है.