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शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद, अंतिम दिन 4366 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

चारधाम में शामिल प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. इसके साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया है.

Badrinath
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Published : Nov 20, 2021, 8:33 PM IST

चमोली : विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम (badrinath dham) के कपाट शाम 6.45 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरे विधि-विधान के साथ अगले 6 महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं. कपाट बंद होने की प्रक्रिया शाम चार बजे से शुरू हो गई थी. कपाट बंद होने के मौके पर 4366 श्रद्धालुओं ने बदरी विशाल के दर्शन किए. वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा (uttarakhand chardham yatra) का समापन भी हो गया है.

बदरीनाथ धाम के कपाट (badrinath temple kapat) बंद होने से पहले यानी आखिरी दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान बदरी-विशाल के दर्शन करने के लिए पहुंचे. इस दौरान श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखने को मिला. आज 4,366 श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल (Badri vishal darshan) के दर्शन किए. बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को चारों ओर से 20 क्विंटल गेंदा, गुलाब और कमल के फूलों से सजाया गया था.

शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद

वहीं, शनिवार को ब्रह्ममुहूर्त में 4:30 बजे बदरीनाथ मंदिर खुला और पूजा संपन्न हुई. सुबह छह बजे भगवान बदरीनाथ की अभिषेक और पूजा की गई. इसके बाद सुबह आठ बजे बाल भोग लगाया गया. दोपहर 12:30 बजे नित्य भोग लगने के बाद शाम 4 बजे से बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू की गई.

शाम चार बजे माता लक्ष्मी को बदरीनाथ गर्भगृह में स्थापित किया गया और गर्भगृह से गरुड़जी, उद्धवजी और कुबेरजी को बदरीश पंचायत से बाहर लाया गया. सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के बाद शाम 6:45 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट विधि विधान से बंद कर दिए गए. चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्य अधिकारी बीडी सिंह के मुताबिक, इस साल 1,97000 यात्रियों ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए.

पढ़ेंः शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए बाबा केदार

चमोली : विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम (badrinath dham) के कपाट शाम 6.45 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरे विधि-विधान के साथ अगले 6 महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं. कपाट बंद होने की प्रक्रिया शाम चार बजे से शुरू हो गई थी. कपाट बंद होने के मौके पर 4366 श्रद्धालुओं ने बदरी विशाल के दर्शन किए. वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा (uttarakhand chardham yatra) का समापन भी हो गया है.

बदरीनाथ धाम के कपाट (badrinath temple kapat) बंद होने से पहले यानी आखिरी दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान बदरी-विशाल के दर्शन करने के लिए पहुंचे. इस दौरान श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखने को मिला. आज 4,366 श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल (Badri vishal darshan) के दर्शन किए. बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को चारों ओर से 20 क्विंटल गेंदा, गुलाब और कमल के फूलों से सजाया गया था.

शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद

वहीं, शनिवार को ब्रह्ममुहूर्त में 4:30 बजे बदरीनाथ मंदिर खुला और पूजा संपन्न हुई. सुबह छह बजे भगवान बदरीनाथ की अभिषेक और पूजा की गई. इसके बाद सुबह आठ बजे बाल भोग लगाया गया. दोपहर 12:30 बजे नित्य भोग लगने के बाद शाम 4 बजे से बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू की गई.

शाम चार बजे माता लक्ष्मी को बदरीनाथ गर्भगृह में स्थापित किया गया और गर्भगृह से गरुड़जी, उद्धवजी और कुबेरजी को बदरीश पंचायत से बाहर लाया गया. सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के बाद शाम 6:45 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट विधि विधान से बंद कर दिए गए. चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्य अधिकारी बीडी सिंह के मुताबिक, इस साल 1,97000 यात्रियों ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए.

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