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शिक्षण संस्थानों में पिछले दरवाजों से प्रवेश बंद हो : दिल्ली हाई काेर्ट - Back door entry to educational institutions

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि मेडिकल कॉलेजों सहित अन्य संस्थानों में पिछले दरवाजे से प्रवेश बंद किए जाएं.

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Published : Sep 19, 2021, 5:16 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि देश में लाखों छात्र योग्यता के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अब समय आ गया है कि मेडिकल कॉलेजों सहित अन्य संस्थानों में पिछले दरवाजे से प्रवेश बंद हो जाएं.

उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी उन पांच छात्रों की अपील को खारिज करते हुए की, जिन्हें चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) द्वारा आयोजित केंद्रीकृत काउंसलिंग में शामिल हुए बगैर ही एलएन मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, भोपाल द्वारा 2016 में प्रवेश दिया गया था.

हालांकि, उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुताबिक देश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले नीट परीक्षा परिणाम के आधार पर केंद्रीकृत काउंसलिंग सिस्टम के जरिए ही होने हैं.

नतीजतन, भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने अप्रैल 2017 में पांच छात्रों के प्रवेश को निरस्त करने संबंधी पत्र (लेटर ऑफ डिस्चार्ज) जारी किए और उसके बाद, कई और संदेश भेजे गए लेकिन न तो छात्रों और न ही मेडिकल कॉलेज ने उन पर कोई ध्यान दिया. कॉलेज ने याचिकाकर्ताओं को अपना छात्र मानना जारी रखा और उन्हें कक्षाओं में आने देने, परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी और आगे बढ़ने दिया.

पांचों छात्रों ने एमसीआई द्वारा जारी किए गए डिस्चार्ज लेटर को रद्द करने के लिए याचिका दायर की, जिसमें कहा कि उन्हें मेडिकल कॉलेज में नियमित मेडिकल छात्रों के रूप में अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाए. यह याचिका एकल न्यायाधीश ने खारिज कर दी.

छात्रों ने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की. हालांकि, न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने भी अपील को खारिज कर दिया.

पीठ ने आदेश में कहा, 'अब समय आ गया है कि मेडिकल कॉलेजों सहित शिक्षण संस्थानों में इस तरह के पिछले दरवाजे से प्रवेश बंद हो जाएं. देश भर में लाखों छात्र अपनी योग्यता के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. पिछले दरवाजे से प्रवेश देना ऐसे मेधावी छात्रों के लिए घोर अनुचित होगा.'

इसे भी पढ़ें : DU Admission : अगर छात्रों के पास हैं ये सर्टिफिकेट, तो दाखिले में नहीं आयेगी दिक्कत

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि देश में लाखों छात्र योग्यता के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अब समय आ गया है कि मेडिकल कॉलेजों सहित अन्य संस्थानों में पिछले दरवाजे से प्रवेश बंद हो जाएं.

उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी उन पांच छात्रों की अपील को खारिज करते हुए की, जिन्हें चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) द्वारा आयोजित केंद्रीकृत काउंसलिंग में शामिल हुए बगैर ही एलएन मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, भोपाल द्वारा 2016 में प्रवेश दिया गया था.

हालांकि, उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुताबिक देश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले नीट परीक्षा परिणाम के आधार पर केंद्रीकृत काउंसलिंग सिस्टम के जरिए ही होने हैं.

नतीजतन, भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने अप्रैल 2017 में पांच छात्रों के प्रवेश को निरस्त करने संबंधी पत्र (लेटर ऑफ डिस्चार्ज) जारी किए और उसके बाद, कई और संदेश भेजे गए लेकिन न तो छात्रों और न ही मेडिकल कॉलेज ने उन पर कोई ध्यान दिया. कॉलेज ने याचिकाकर्ताओं को अपना छात्र मानना जारी रखा और उन्हें कक्षाओं में आने देने, परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी और आगे बढ़ने दिया.

पांचों छात्रों ने एमसीआई द्वारा जारी किए गए डिस्चार्ज लेटर को रद्द करने के लिए याचिका दायर की, जिसमें कहा कि उन्हें मेडिकल कॉलेज में नियमित मेडिकल छात्रों के रूप में अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाए. यह याचिका एकल न्यायाधीश ने खारिज कर दी.

छात्रों ने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की. हालांकि, न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने भी अपील को खारिज कर दिया.

पीठ ने आदेश में कहा, 'अब समय आ गया है कि मेडिकल कॉलेजों सहित शिक्षण संस्थानों में इस तरह के पिछले दरवाजे से प्रवेश बंद हो जाएं. देश भर में लाखों छात्र अपनी योग्यता के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. पिछले दरवाजे से प्रवेश देना ऐसे मेधावी छात्रों के लिए घोर अनुचित होगा.'

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