रामपुरः सपा नेता आजम खान 27 महीने के बाद सीतापुर जेल से रिहा होकर रामपुर अपने आवास पर पहुंचे, जहां लोगों ने जोरदार स्वागत किया. आजम खान ने घर पहुंचने पर मीडिया से बातचीत करते हुए रामपुर की जनता का शुक्रिया अदा किया और साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दिए गए फैसले का भी स्वागत किया. आजम खान ने कहा कि मेरी तबाही में अपनों का ही हाथ था. उन्होंने कहा कि 'इमरजेंसी के समय पौने साल जेल में था. जौहर यूनिवर्सिटी हमेशा बुलंद रहेगी. बाबरी और ज्ञानवापी की सुनवाई में काफी अंतर है. सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद. मेरा मिशन कभी सियासी नहीं था. मैं कई हादसों को जीतकर वापस आया हूं. इंसाफ करने वालों का शुक्रिया करता हूं.'
मीडिया से बातचीत करते हुए उनके परिवार के साथ जो हुआ उसे भूल नहीं सकते. मेरा 40 साल का सफर बेकार नहीं जाएगा. बिना किसी के नाम लिए कहा कि सबसे ज्यादा जुल्म तो मेरे अपनों ने किए हैं. उन्होंने कहा कि मेरा वक्त फिर लौटकर आएगा. जेल के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि रात होती थी तो सुबह और सुबह होती थी तो रात का इंतजार करते थे. मुझे सजायाफ्ता कैदी की तरह जेल में रखा गया.
आजम खान ने आगे कहा कि सैलाब को सैलाब से नहीं रोका जा सकता. कभी आग को आग से नहीं बुझाया जा सकता और कभी नफरत को नफरत से नहीं मिटाया जा सकता. उन्होंने कहा कि ज़ुल्म की मुद्दत बहुत लंबी नहीं होती और न जालिम की मुद्दत बहुत होती है. तारीख गवाह है जब जुल्म खत्म होता है तो जालिम भी खत्म होता है.
आजम खान ने कहा कि मैं यहां हू तो यह एक चमत्कार है. क्योंकि हमें जहां रखा गया था, वहां पर अंग्रेजों के जमाने में उन लोगों को रखा जाता था जिनको अगले दिन फांसी देनी होती थी. मेरे कमरे के पास में ही फांसी घर भी था. आजम खान ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मैंने जज साहब से कहा था कि ऊपर वाले ने आपको अपनी पावर से डेलीगेट की है. उसने इस पावर को देकर आपको इस कुर्सी पर बैठाया है. लिहाजा इंसाफ हमारी कम और आपकी ज्यादा जरूरत है.