नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि योग्य आयुष और होमियोपैथ डॉक्टर कोरोना के इलाज के रूप में किसी दवा को नहीं लिख सकते हैं और न ही इसका विज्ञापन कर सकते हैं, लेकिन कोविड-19 मरीजों के लिए पारंपरिक उपचार में ऐड-ऑन दवा (प्रतिरक्षा बूस्टर) के रूप में सरकार द्वारा अनुमोदित टैबलेट और मिश्रण निर्धारित कर सकते है.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने डॉ एकेबी सद्भावना मिशन स्कूल ऑफ होमो फार्मेसी की एक याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें आयुष डॉक्टरों को निर्देश दिया गया था कि वे आयुष डॉक्टरों को निर्देश दें कि वे किसी भी दवा को न लिखें.
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सुप्रीम कोर्ट की पहले सुनवाई में अदालत ने कहा था कि सभी को कोविड के इलाज की अनुमति नहीं दी जा सकती है और होम्योपैथी को केवल प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में विज्ञापित किया जा सकता है.