अयोध्याः राम नगरी अयोध्या के चतुर्दिक विकास की कड़ी में वैदिक सिटी बनाने की योजना पर तेज गति से काम चल रहा है. वास्तु शास्त्र के अनुसार 1200 एकड़ की जमीन पर ग्रीन टाउनशिप में वैदिक सिटी बनाने के लिए अब विधि विशेषज्ञों से सलाह ली गई है. ग्रीन टाउनशिप में वैदिक सिटी बनाने के लिए जिले के माझा बरहटा में जगह तय हो गई है. कौन सी बिल्डिंग ईशान कोण में बनेगी और कौन सी बिल्डिंग आग्नेय कोण में, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. वास्तु के अनुसार आइए जानते हैं इसकी खासियतों के बारे में...
अयोध्या विकास प्राधिकरण (Ayodhya Development Authority) के सचिव आरपी सिंह ने बताया कि कुछ बिल्डिंग के निर्माण में वास्तु का विशेष महत्व है. जैसे कुछ बिल्डिंग ईशान कोण में नहीं बन सकतीं तो कुछ का निर्माण आग्नेय कोण में नहीं हो सकता. इसी तरह से नैश्रित्य दिशा और वायव्य दिशा के लिए भी नियम है.
इसलिए ग्रीनफील्ड टाउनशिप वैदिक सिटी को बनाने के लिए वास्तु शास्त्र का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. ग्रीन टाउनशिप के बीचों-बीच बनने वाले ब्रह्म स्थान का शिखर राम मंदिर के शिखर से मिलता-जुलता होगा.
आरपी सिंह ने बताया कि भारतीय परंपरा में वास्तु शैली का एक परंपरागत सिद्धांत है, जिसमें दिशाओं का ध्यान रखा जाता है. विग्रह को किस दिशा में स्थापित करना है इसका भी विशेष ध्यान रखा जाता है. इसमें एक ब्रह्म स्थान भी बनाया जाता है जिसका अपना एक अलग धार्मिक महत्व है. वास्तु शास्त्र में ईशान कोण का विशेष महत्व है.
किसी भी भवन निर्माण में वास्तु का विशेष महत्व
रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सतेंद्र दास ने कहा कि वास्तु शास्त्र के मुताबिक उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम 4 मूल दिशाएं हैं. वास्तु शास्त्र में इन चार दिशाओं के अलावा चार विदिशा भी हैं. आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है.
इस प्रकार चार दिशा, 4 विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर शास्त्र में दिशाओं की कुल संख्या 10 मानी गई है. मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैश्रित्य और वायव्य कहा गया है.