अयोध्या : राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वालों को याद करने और उन्हें नमन करने के लिए शुक्रवार की शाम को 11 हजार दीप जलाए गए. इससे सरयू तट पर राम की पैड़ी रोशनी में नहा उठी. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से कराए गए इस कार्यक्रम में राम मंदिर के लिए जान न्यौछावर कर चुके भक्तों को याद किया गया. इस दौरान ट्रस्ट के तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे. दीपदान से पूर्व दोपहर में श्री राम जन्मभूमि परिसर में श्राद्ध और तर्पण का कार्यक्रम भी हुआ. इसके बाद भंडारा कराया गया.
काफी लोगों ने दिया था बलिदान : शुक्रवार की शाम ढलने के बाद राम की पैड़ी परिसर में 11000 दीपक जलाकर राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले भक्तों को श्रद्धांजलि दी गई. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मीडिया से बातचीत में बताया कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. भगवान राम के मंदिर के लिए बड़ी संख्या में राम भक्तों ने अपने प्राणों का बलिदान किया. उन सभी की पहली और अंतिम इच्छा यही थी कि राम जन्मभूमि परिसर में राम मंदिर का निर्माण हो, आज उनकी इच्छा पूर्ण हो रही है.
श्राद्ध और तर्पण भी हुआ : महासचिव ने बताया कि अब भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, ऐसे में जान गंवा चुके राम भक्तों का स्मरण करना जरूरी था. इसे देखते हुए उनकी आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पितृपक्ष के मौके पर यह आयोजन कराया गया. उनका श्राद्ध, तर्पण करने के साथ ही दीपदान भी किया गया. उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई. इस दौरान काफी संख्या में लोग मौजूद रहे. कांची कामकोटि के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने अपने शिष्यों के साथ मौजूद रहकर दीपदान संपन्न कराया.
अयोध्या और कांची कामकोटि पीठम से पुराना नाता : तमिलनाडु के कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने बताया कि अयोध्या और कांची कामकोटि पीठम का बेहद पुराना नाता है. मां कामाक्षी के आशीर्वाद से महाराजा दशरथ को चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी. इसका प्रमाण आज भी कांची कामकोटि के कामाक्षी मंदिर में उपलब्ध है. अयोध्या और कांची कामकोटि का बेहद करीबी संबंध है. शिला पूजन का कार्यक्रम 5 अगस्त को हुआ था, उसी दिन हमारे पूज्य गुरु महाराज कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी का जन्म दिवस भी था. यह सभी सहयोग अयोध्या और कांची कामकोटि के संबंधों को चरितार्थ करते हैं.
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