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Attipate Krishnaswami Ramanujan Death Anniversary: मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण हैं रामानुजन की कविताएं - अट्टीपट कृष्णास्वामी रामानुजन पुण्यतिथि

अट्टीपट कृष्णस्वामी रामानुजन एक कवि, निबंधकार, शोधकर्ता, अनुवादक, भाषाविद्, नाटककार और लोककथाओं के विद्वान थे. उन्होंने तमिल, कन्नड़ और अंग्रेज़ी में कवितायें लिखी है. जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि सात समुंदर पार अमेरिका वासियों को प्रभावित किया. आज भी बहुचर्चित कविताओं में से एक हैं. हालांकि, वह भारतीय थे और उनके अधिकांश काम भारत से संबंधित थे, लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी का काफी समय अमेरिका में ही बिताया.

Ramanujan Death Anniversary, Hyderabad News
अट्टीपट कृष्णस्वामी रामानुजन
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Published : Jul 11, 2021, 3:57 PM IST

हैदराबाद: प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार अट्टीपट कृष्णास्वामी रामानुजन की कविताएं मानवीय भावनाओं का बेहद सुंदर चित्रण हैं. इन कविताओं की खासियत यह भी है कि ये आधुनिकतावादी होने के साथ ही वैश्विक साहित्य से भी विषयगत और औपचारिक जुड़ाव रखती हैं. इसकी वजह ये है कि रामानुजन लंबे समय तक विदेश में रहे. आइए उनकी पुण्यतिथि (Attipate Krishnaswami Ramanujan Death Anniversary) पर जानते हैं जीवन और रचनाओं के कई अनछुए पहलुओं को...

कवि, अनुवादक और भाषाशास्त्री एके रामानुजन का जन्म मैसूर में हुआ. उन्होंने पुणे के डेक्कन कॉलेज और मैसूर विश्वविद्यालय से डिग्री तक की पढ़ाई की और इंडियाना विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. रामानुजन की जितनी बेहतर पकड़ कन्नड़ भाषा पर थी, उतना ही अंग्रेजी पर भी था.

मैसूर के अयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ जन्म

मैसूर के अयंगर (ब्राह्मण) परिवार में 16 मार्च 1929 को जन्मे कृष्णास्वामी रामानुजन का बचपन बेहद ही शैक्षणिक माहौल में बीता. वजह थी कि उनके पिता अत्तिपत असुरी कृष्णास्वामी मैसूर विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर और एक खगोलशास्त्री होने के साथ ही अंग्रेजी, कन्नड़ और संस्कृत भाषा के भी जानकार थे. वहीं उनकी माता मां अपने समय की एक कट्टर ब्राह्मण महिला थीं.

कृष्णास्वामी रामानुजन की शिक्षा की बात करें तो उनकी शिक्षा मारीमलप्पा के हाई स्कूल और मैसूर के महाराजा कॉलेज में हुई. कॉलेज में, रामानुजन ने अपने पहले वर्ष में विज्ञान में पढ़ाई की, लेकिन उनके पिता उन्हें गणितीय रूप से दिमागदार नहीं मानते थे. इसलिए एक दिन वे रामानुजन को कालेज रजिस्ट्रार के कार्यालय में ले गए और उनके विषय को विज्ञान से बदलकर अंग्रेजी करवा दिया. वे 1958-59 में पुणे के डेक्कन कॉलेज के फेलो और 1959-62 में इंडियाना विश्वविद्यालय के बेहद ही योग्य स्कॉलर रहे. उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त की और पीएचडी इंडियाना विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में की.

शुरुआती दिनों में अंग्रेजी के लेक्चरर के पद पर किया कार्य

करियर की बात करें तो शुरुआती दिनों में केरल के प्रमुख बंदरगाह शहर तत्कालीन क्विलोन (अब कोल्लम) और फिर कर्नाटक के बेलगाम में अंग्रेजी के लेक्चरर के पद पर कार्य किया. बाद में लगभग आठ वर्षों तक बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में पढ़ाया.

पढ़ें: केजरीवाल उत्तराखंड को देंगे मुफ्त बिजली, देहरादून में बोले- 4 गारंटी देने आया हूं

साल 1962 में वह सहायक प्रोफेसर के रूप में शिकागो विश्वविद्यालय से जुड़ गए. अपने पूरे करियर के दौरान इसी विश्वविद्यालय के कई विभागों में अध्यापन करते रहे. हालांकि, उन्होंने कई बार कई अन्य अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाया, जिनमें हार्वर्ड, विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय, मिशिगन, बर्कले में कैलिफोर्निया और कार्लटन कॉलेज शामिल हैं.

कृष्णास्वामी रामानुजन को उनकी बेहतर साहित्यिक रचनाओं के लिए 1976 में पद्म श्री से सम्मानित किया किया. साल 1983 में उन्हें मैकआर्थर पुरस्कार फैलोशिप से सम्मानित किया गया. 1983 में ही उन्हें शिकागो विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई भाषाओं और सभ्यताओं, भाषा विज्ञान के विभागों में प्रोफेसर नियुक्त किया गया और सामाजिक विचारों पर बनी समिति में भी शामिल किया गया. इसी साल, उन्हें मैकआर्थर फैलोशिप भी प्राप्त हुई.

जानें प्रसिद्ध रचनाओं के बारे में

उनकी रचनाओं में पुराने तमिल और पुराने कन्नड़ के अनुवाद शामिल हैं. इनमें प्रमुख रूप से द इंटीरियर लैंडस्केप: लव पोयम्स फ्रॉम अ क्लासिकल तमिल एंथोलॉजी, 1967, स्पीकिंग ऑफ शिवा 1973, द स्ट्राइडर्स, लंदन: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1966, रिलेशंस, लंदन, न्यूयॉर्क: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1971,सेकेंड लाइट, न्यूयॉर्क, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस आदि शामिल हैं.

हैदराबाद: प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार अट्टीपट कृष्णास्वामी रामानुजन की कविताएं मानवीय भावनाओं का बेहद सुंदर चित्रण हैं. इन कविताओं की खासियत यह भी है कि ये आधुनिकतावादी होने के साथ ही वैश्विक साहित्य से भी विषयगत और औपचारिक जुड़ाव रखती हैं. इसकी वजह ये है कि रामानुजन लंबे समय तक विदेश में रहे. आइए उनकी पुण्यतिथि (Attipate Krishnaswami Ramanujan Death Anniversary) पर जानते हैं जीवन और रचनाओं के कई अनछुए पहलुओं को...

कवि, अनुवादक और भाषाशास्त्री एके रामानुजन का जन्म मैसूर में हुआ. उन्होंने पुणे के डेक्कन कॉलेज और मैसूर विश्वविद्यालय से डिग्री तक की पढ़ाई की और इंडियाना विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. रामानुजन की जितनी बेहतर पकड़ कन्नड़ भाषा पर थी, उतना ही अंग्रेजी पर भी था.

मैसूर के अयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ जन्म

मैसूर के अयंगर (ब्राह्मण) परिवार में 16 मार्च 1929 को जन्मे कृष्णास्वामी रामानुजन का बचपन बेहद ही शैक्षणिक माहौल में बीता. वजह थी कि उनके पिता अत्तिपत असुरी कृष्णास्वामी मैसूर विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर और एक खगोलशास्त्री होने के साथ ही अंग्रेजी, कन्नड़ और संस्कृत भाषा के भी जानकार थे. वहीं उनकी माता मां अपने समय की एक कट्टर ब्राह्मण महिला थीं.

कृष्णास्वामी रामानुजन की शिक्षा की बात करें तो उनकी शिक्षा मारीमलप्पा के हाई स्कूल और मैसूर के महाराजा कॉलेज में हुई. कॉलेज में, रामानुजन ने अपने पहले वर्ष में विज्ञान में पढ़ाई की, लेकिन उनके पिता उन्हें गणितीय रूप से दिमागदार नहीं मानते थे. इसलिए एक दिन वे रामानुजन को कालेज रजिस्ट्रार के कार्यालय में ले गए और उनके विषय को विज्ञान से बदलकर अंग्रेजी करवा दिया. वे 1958-59 में पुणे के डेक्कन कॉलेज के फेलो और 1959-62 में इंडियाना विश्वविद्यालय के बेहद ही योग्य स्कॉलर रहे. उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त की और पीएचडी इंडियाना विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में की.

शुरुआती दिनों में अंग्रेजी के लेक्चरर के पद पर किया कार्य

करियर की बात करें तो शुरुआती दिनों में केरल के प्रमुख बंदरगाह शहर तत्कालीन क्विलोन (अब कोल्लम) और फिर कर्नाटक के बेलगाम में अंग्रेजी के लेक्चरर के पद पर कार्य किया. बाद में लगभग आठ वर्षों तक बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में पढ़ाया.

पढ़ें: केजरीवाल उत्तराखंड को देंगे मुफ्त बिजली, देहरादून में बोले- 4 गारंटी देने आया हूं

साल 1962 में वह सहायक प्रोफेसर के रूप में शिकागो विश्वविद्यालय से जुड़ गए. अपने पूरे करियर के दौरान इसी विश्वविद्यालय के कई विभागों में अध्यापन करते रहे. हालांकि, उन्होंने कई बार कई अन्य अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाया, जिनमें हार्वर्ड, विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय, मिशिगन, बर्कले में कैलिफोर्निया और कार्लटन कॉलेज शामिल हैं.

कृष्णास्वामी रामानुजन को उनकी बेहतर साहित्यिक रचनाओं के लिए 1976 में पद्म श्री से सम्मानित किया किया. साल 1983 में उन्हें मैकआर्थर पुरस्कार फैलोशिप से सम्मानित किया गया. 1983 में ही उन्हें शिकागो विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई भाषाओं और सभ्यताओं, भाषा विज्ञान के विभागों में प्रोफेसर नियुक्त किया गया और सामाजिक विचारों पर बनी समिति में भी शामिल किया गया. इसी साल, उन्हें मैकआर्थर फैलोशिप भी प्राप्त हुई.

जानें प्रसिद्ध रचनाओं के बारे में

उनकी रचनाओं में पुराने तमिल और पुराने कन्नड़ के अनुवाद शामिल हैं. इनमें प्रमुख रूप से द इंटीरियर लैंडस्केप: लव पोयम्स फ्रॉम अ क्लासिकल तमिल एंथोलॉजी, 1967, स्पीकिंग ऑफ शिवा 1973, द स्ट्राइडर्स, लंदन: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1966, रिलेशंस, लंदन, न्यूयॉर्क: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1971,सेकेंड लाइट, न्यूयॉर्क, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस आदि शामिल हैं.

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