नई दिल्ली : उद्योग मंडल एसोचैम ने वित्त मंत्रालय से 2021-22 के बजट में कोविड-19 टीके के शोध और विकास पर खर्च के लिए कर गणना में 200 प्रतिशत की कटौती की अनुमति देने का आग्रह किया है.
उद्योग मंडल ने वित्त मंत्रालय को दिए बजट-पूर्व ज्ञापन में कहा है कि वैज्ञानिक अनुसंधान से संबद्ध आयकर कानून की धारा 35 में कोविड-19 से जुड़े शोध को भी शामिल किया जाना चाहिए.
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एसोचैम ने सुझाव दिया है, 'करदाताओं को कोविड-19 के टीके/इलाज की खोज के लिए प्रोत्साहित करने और अन्य मूल दवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए शोध पर खर्च की जाने वाली राशि के एवज में 200 प्रतिशत विशेष कटौती का प्रावधान किया जाना चाहिए...'
दानदाताओं को भी मिले छूट
उद्योग मंडल के अनुसार 200 प्रतिशत की यह छूट उन दानदाताओं को (प्रवासी समेत) भी मिलनी चाहिए जो टीके के विकास से जुड़े भारतीय संस्थानों में योगदान करते हैं.
इसके अलावा इसी प्रकार की छूट इस प्रकार की गतिविधियों के लिए कंपनियों को भी मिलनी चाहिए. यह छूट पूंजी व्यय पर दी जानी चाहिए. हालांकि इसमें जमीन या इमारत पर होने वाले खर्च को शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
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प्रोत्साहन के लिए उठाने चाहिए कदम
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, 'हम 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ठोस और बड़ी पहल की उम्मीद कर रहे हैं. हमने अपने व्यापक बजट पूर्व ज्ञापन में यह कहा है कि टीका विनिर्माण, वितरण से संबद्ध पहलुओं पर होने वाले खर्च तथा पूरी चिकित्सा श्रृंखलाओं को किस प्रकार कर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
वैज्ञानिक शोध पर 100 प्रतिशत कटौती का है प्रावधान
उद्योग मंडल ने यह भी सुझाव दिया है कि एकबारगी कर कटौती का लाभ उन कंपनियों को भी मिलना चाहिए, जिन्होंने कानून की धारा 115 बीएए के तहत कम कर की दर का विकल्प चुना है. यह कम-से-कम दो वित्त वर्ष के लिए होना चाहिए.
एसोचैम के अनुसार फिलहाल कानून की धारा 35 के तहत वैज्ञानिक शोध पर होने पर खर्च को लेकर 100 प्रतिशत कटौती का प्रावधान है. वित्त वर्ष 2021-22 का बजट एक फरवरी को पेश किए जाने की संभावना है.