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बिहार में RJD के 18 विधायकों पर सदस्यता का खतरा, स्पीकर विजय सिन्हा ले सकते हैं एक्शन

अनुशासन समिति की ओर से आरजेडी के 18 विधायकों को दोषी बताया गया है. ऐसे में बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Bihar Assembly Speaker Vijay Sinha) कभी भी इन विधायकों पर कार्रवाई कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी.

ASSEMBLY MEMBERSHIP OF MANY RJD MLA MAY BE CANCELED IN BIHAR
ASSEMBLY MEMBERSHIP OF MANY RJD MLA MAY BE CANCELED IN BIHAR
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Published : Aug 9, 2022, 7:34 AM IST

पटना: बिहार में सत्ता परिवर्तन (Government will change in Bihar) की सुगबुगाहट के बीच विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि आरजेडी के कई विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ती दिख रही है. बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Bihar Assembly Speaker Vijay Sinha) आज-कल में इस पर अपना फैसला सुना सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो राष्ट्रीय जनता दल के करीब 18 विधायकों की सदस्यता रद्द (Assembly membership of RJD MLAs may be canceled) हो सकती है. इसके अलावे विपक्षी दलों के कई अन्य विधायकों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है.

ये भी पढ़ें: BJP से अलग होकर भी CM नीतीश आसानी से बना सकेंगे बिहार में सरकार, ऐसा होगा राजनीतिक समीकरण

आरजेडी के 18 विधायकों की सदस्यता खत्म होगी? दरअसल, सोमवार को स्पीकर के कोरोना निगेटिव होने के बाद आचार समिति की बैठक हुई. जहां समिति के सभापति रामनारायण मंडल की अध्यक्षता में पिछले साल 23 मार्च को हुई मारपीट की घटना मामले में कई विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. इसमें सबसे अधिक आरजेडी के विधायक शामिल हैं. संख्या को लेकर जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन यह एक दर्जन से अधिक हो सकता है, क्योंकि 18 विधायकों पर तलवार लटकी हुई है.

24 घंटे में स्पीकर कोरोना निगेटिव: विधानसभा अध्यक्ष रविवार को कोरोना पॉजिटिव हुए थे और एक दिन में ही नेगेटिव हो गए. इसको लेकर भी चर्चा हो रही है. वहीं आचार समिति की ओर से अचानक हुई बैठक और आरजेडी और अन्य दलों के विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को ही फैसला लेना है.

क्या है मामला? याद दिलाएं कि 23 मार्च 2021 को पुलिस बिल के विरोध में विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया था और उसके बाद पुलिस को बुलाना पड़ा. इस मामले में कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई है लेकिन आचार समिति की जांच विधायकों के व्यवहार को लेकर चल रही थी. समिति की कई बैठकें पहले हो चुकी हैं. वीडियो फुटेज के आधार पर समिति ने अनुशंसा की है. हालांकि बदली राजनीतिक परिस्थिति में आचार समिति की अचानक अनुशंसा पर सवाल भी उठने लगे हैं लेकिन देखना होगा कि इस मामले में बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा क्या कुछ फैसला लेते हैं.

बीजेपी से अलग होकर सरकार बनाना आसान: बिहार में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. महागठबंधन खेमे में अभी 114 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें आरजेडी के 79 विधायक, कांग्रेस के 19 विधायक, माले के 12 विधायक, सीपीआई के दो और सीपीएम के दो विधायक शामिल हैं. बहुमत से महागठबंधन खेमा अभी 8 विधायक दूर है लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर निकलने के बाद महागठबंधन के विधायकों की संख्या बढ़कर बहुमत से काफी अधिक हो जाएगी. यह संख्या बढ़कर 159 तक पहुंच जाएगी.

बहुमत के साथ नीतीश बना सकते हैं सरकार: इसमें से यदि जीतन राम मांझी के चार, एक निर्दलीय विधायक को भी जोड़ दें तो यह संख्या 164 तक पहुंच जाएगी, जो बहुमत के 122 के आंकड़े से काफी अधिक है. संख्या बल के हिसाब से सरकार (Bihar Political equation) बनाने में कहीं कोई परेशानी आने वाली नहीं है. अभी एनडीए के पास 127 विधायकों का समर्थन है और उस संख्या से नया समीकरण यदि बनता है तो वह काफी अधिक होगा.

यह है बिहार सरकार का राजनीतिक समीकरण: फिलहाल बिहार में डबल इंजन की सरकार है. बीजेपी और जदयू के साथ ही अन्य सहयोगियों की मदद से सरकार चल रही है. एनडीए में अभी बीजेपी के 77, जदयू के 45, हम के 04 और 01 निर्दलीय विधायक हैं. कुल विधायाकों की संख्या 127 है. वहीं अगर सीएम नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो जाते हैं तो कुछ इस तरह के समीकरण देखने को मिलेंगे. राजद के 79, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, माले के 12, सीपीआई के 02, सीपीएम के 01 और 01 निर्दलीय विधायकों की संख्या होगी जो कुल 159 है. इसमें हम के 4 विधायक जोड़ दें तो यह संख्या 163 हो जाएगी.

बैठक के बाद सीएम ले सकते हैं बड़ा फैसला: नीतीश कुमार जब भी कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो अपने सभी विधायक, सभी सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाते हैं. राय मशविरा लेने के बाद फैसला लेते हैं. 2017 में भी जब महागठबंधन से नीतीश कुमार को निकलना था तो इसी तरह से बैठक बुलाई थी और उसके बाद फैसला लिया था. इसके कारण राजनीतिक सरगर्मी बढ़नी शुरू हो गई है.

पढ़ें- बिहार में बड़े सियासी बदलाव के संकेत, CM नीतीश ने की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात

पटना: बिहार में सत्ता परिवर्तन (Government will change in Bihar) की सुगबुगाहट के बीच विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि आरजेडी के कई विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ती दिख रही है. बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Bihar Assembly Speaker Vijay Sinha) आज-कल में इस पर अपना फैसला सुना सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो राष्ट्रीय जनता दल के करीब 18 विधायकों की सदस्यता रद्द (Assembly membership of RJD MLAs may be canceled) हो सकती है. इसके अलावे विपक्षी दलों के कई अन्य विधायकों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है.

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आरजेडी के 18 विधायकों की सदस्यता खत्म होगी? दरअसल, सोमवार को स्पीकर के कोरोना निगेटिव होने के बाद आचार समिति की बैठक हुई. जहां समिति के सभापति रामनारायण मंडल की अध्यक्षता में पिछले साल 23 मार्च को हुई मारपीट की घटना मामले में कई विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. इसमें सबसे अधिक आरजेडी के विधायक शामिल हैं. संख्या को लेकर जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन यह एक दर्जन से अधिक हो सकता है, क्योंकि 18 विधायकों पर तलवार लटकी हुई है.

24 घंटे में स्पीकर कोरोना निगेटिव: विधानसभा अध्यक्ष रविवार को कोरोना पॉजिटिव हुए थे और एक दिन में ही नेगेटिव हो गए. इसको लेकर भी चर्चा हो रही है. वहीं आचार समिति की ओर से अचानक हुई बैठक और आरजेडी और अन्य दलों के विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को ही फैसला लेना है.

क्या है मामला? याद दिलाएं कि 23 मार्च 2021 को पुलिस बिल के विरोध में विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया था और उसके बाद पुलिस को बुलाना पड़ा. इस मामले में कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई है लेकिन आचार समिति की जांच विधायकों के व्यवहार को लेकर चल रही थी. समिति की कई बैठकें पहले हो चुकी हैं. वीडियो फुटेज के आधार पर समिति ने अनुशंसा की है. हालांकि बदली राजनीतिक परिस्थिति में आचार समिति की अचानक अनुशंसा पर सवाल भी उठने लगे हैं लेकिन देखना होगा कि इस मामले में बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा क्या कुछ फैसला लेते हैं.

बीजेपी से अलग होकर सरकार बनाना आसान: बिहार में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. महागठबंधन खेमे में अभी 114 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें आरजेडी के 79 विधायक, कांग्रेस के 19 विधायक, माले के 12 विधायक, सीपीआई के दो और सीपीएम के दो विधायक शामिल हैं. बहुमत से महागठबंधन खेमा अभी 8 विधायक दूर है लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर निकलने के बाद महागठबंधन के विधायकों की संख्या बढ़कर बहुमत से काफी अधिक हो जाएगी. यह संख्या बढ़कर 159 तक पहुंच जाएगी.

बहुमत के साथ नीतीश बना सकते हैं सरकार: इसमें से यदि जीतन राम मांझी के चार, एक निर्दलीय विधायक को भी जोड़ दें तो यह संख्या 164 तक पहुंच जाएगी, जो बहुमत के 122 के आंकड़े से काफी अधिक है. संख्या बल के हिसाब से सरकार (Bihar Political equation) बनाने में कहीं कोई परेशानी आने वाली नहीं है. अभी एनडीए के पास 127 विधायकों का समर्थन है और उस संख्या से नया समीकरण यदि बनता है तो वह काफी अधिक होगा.

यह है बिहार सरकार का राजनीतिक समीकरण: फिलहाल बिहार में डबल इंजन की सरकार है. बीजेपी और जदयू के साथ ही अन्य सहयोगियों की मदद से सरकार चल रही है. एनडीए में अभी बीजेपी के 77, जदयू के 45, हम के 04 और 01 निर्दलीय विधायक हैं. कुल विधायाकों की संख्या 127 है. वहीं अगर सीएम नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो जाते हैं तो कुछ इस तरह के समीकरण देखने को मिलेंगे. राजद के 79, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, माले के 12, सीपीआई के 02, सीपीएम के 01 और 01 निर्दलीय विधायकों की संख्या होगी जो कुल 159 है. इसमें हम के 4 विधायक जोड़ दें तो यह संख्या 163 हो जाएगी.

बैठक के बाद सीएम ले सकते हैं बड़ा फैसला: नीतीश कुमार जब भी कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो अपने सभी विधायक, सभी सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाते हैं. राय मशविरा लेने के बाद फैसला लेते हैं. 2017 में भी जब महागठबंधन से नीतीश कुमार को निकलना था तो इसी तरह से बैठक बुलाई थी और उसके बाद फैसला लिया था. इसके कारण राजनीतिक सरगर्मी बढ़नी शुरू हो गई है.

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