नई दिल्ली :आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उम्मीदवारों के नामों की पहली सूची को अंतिम रूप देने के लिए को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं के मौजूद रहने की संभावना है.
केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पूर्व दिल्ली में पश्चिम बंगाल बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक हो रही है. बैठक में गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं.
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में 27 मार्च को असम और पश्चिम बंगाल में पहले चरण के तहत जिन सीटों पर मतदान होना है, वहां के उम्मीदवारों के नाम तय किए जा सकते हैं.
इससे पहले दोनों राज्यों के भाजपा कोर समूह की पार्टी के केंद्रीय नेताओं के साथ भी बैठक प्रस्तावित है. इसमें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा भी मौजूद रहेंगे.
असम के कोर समूह में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, मंत्री हेमंत बिस्व सरमा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत कुमार दास शामिल हैं जबकि पश्चिम बंगाल के कोर समूह में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और संगठन से जुड़े कुछ प्रमुख नेता हैं.
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और केंद्र शासित पुडुचेरी में 27 मार्च से मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ होगी और 29 अप्रैल तक अलग-अलग चरणों में संपन्न होगी. दो मई को मतों की गिनती के बाद स्पष्ट होगा कि साल 2021 में होने वाले इन पहले चुनावों में बाजी किसके हाथ लगती है.
पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में जबकि असम में 27 मार्च से छह अप्रैल के बीच तीन चरणों में मतदान संपन्न होगा. तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में एक चरण में छह अप्रैल को मतदान होगा.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पिछले 10 सालों से सत्ता में है. इस बार भाजपा और अन्य विपक्षी दल उसे चुनौती दे रहे हैं. भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है.
असम में पहले चरण के तहत राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण के तहत 39 विधानसभा सीटों पर एक अप्रैल और तीसरे व अंतिम चरण के तहत 40 विधानसभा सीटों पर छह अप्रैल को मतदान संपन्न होगा. असम में विधानसभा की 126 सीटें हैं. असम विधानसभा का कार्यकाल 31 मई को पूरा हो रहा है.
इस बार असम में भाजपा को अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है. वहां उसका सामना कांग्रेस और एआईयूडीएफ के गठबंधन से है. भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में 10 सालों के कांग्रेस शासन का अंत करते हुए पहली बार पूर्वोत्तर के किसी राज्य में सत्ता हासिल की थी.
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तमिलनाडु में विधानसभा की कुल 234 सीटें हैं और इसका कार्यकाल 24 मई को पूरा हो रहा है. केरल में विधानसभा की 140 सीटें है और यहां विधानसभा का कार्यकाल एक जून को पूरा हो रहा है. पुडुचेरी में 30 सीटों के लिए चुनाव होगा और यहां विधानसभा का कार्यकाल आठ जून को पूरा हो रहा है.
तमिलनाडु में पिछले 10 सालों से ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) का शासन है. राज्य की जनता ने वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता को दोबारा गद्दी सौंपी थी. इस चुनाव में अन्नाद्रमुक को 135 सीटों पर विजय हासिल हुई थी जबकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) 88 सीटों पर सिमट गई थी. कांग्रेस को आठ सीटें मिली थी जबकि भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका था.
इस बार के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक और भाजपा का गठबंधन हुआ है और उसका मुकाबला द्रमुक और कांग्रेस गठबंधन से होगा.
केरल में फिलहाल वाम लोकतांत्रिक मोर्चा की सरकार है. उसका मुकाबला कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे से है. भाजपा भी वहां खुद को स्थापित करने के लिए लंबे समय से जोर आजमाइश कर रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में माकपा को 58 सीटों पर जबकि उसकी सहयोगी भाकपा को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस को 22 सीटें और आईयूएमएल को 18 सीटों पर विजय हासिल हुई थी. भाजपा को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था.
वर्ष 2016 के चुनाव के बाद पुडुचेरी में वी नारायणसामी के नेतृत्व में कांग्रेस और द्रमुक गठबंधन की सरकार बनी थी और वी नारायणसामी राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. हाल ही में विधायकों के इस्तीफे के बाद यह सरकार अल्पमत में आ गई थी और इसके बाद मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.