ETV Bharat / bharat

Undeveloped village: असम सीएम हिमंत के सीमावर्ती गांव में न बिजली, न सड़क, बचा एक ही परिवार, जानें कारण - असम का अनोखा गांव

जब हम किसी गांव के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में पड़ोसियों से मिले हुए घर और परिवार जो सौहार्दपूर्ण रहने वाला और विविध संस्कृति, परंपरा, भाषाओं से जुड़ा हुआ समाज आता है, लेकिन असम के इस गांव में सिर्फ एक ही घर है और वह भी इक्कीसवी सदी में नए भारत की कल्पना से दूर, बिजली तो है ही नहीं, लेकिन गांव जाने तक सड़क भी नहीं है.

assam undoveloped village
असम का गांव
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2023, 10:26 AM IST

Updated : Sep 12, 2023, 2:36 PM IST

नलबाड़ी: असम में एक ऐसा गांव है जो गांव शब्द के बारे में हमारी आम धारणा से अलग है. यह नलबाड़ी जिले के घाघरापार क्षेत्र के अंतर्गत एक अजीब गांव है. पानी से घिरे वीरान टापू जैसे इस गांव में सिर्फ एक ही परिवार रहता है. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है. बिजली का कोई कनेक्शन नहीं है. इस गांव में न तो चिकित्सा सुविधा है और न ही शिक्षा. विभिन्न मुश्किलों का सामना करते हुए भी परिवार नलबाड़ी में घाघरा नदी के तट पर रहकर गांव की गरिमा को बनाए रखे हुए है, हालांकि उनका जीवन दयनीय लगता है.

घोगरापार राजस्व मंडल के अंतर्गत आने वाले इस अजीब गांव का नाम नंबर 2 बोरधनारा गांव है. यह गांव नवनिर्मित नलबाड़ी मेडिकल कॉलेज से सिर्फ तीन किलोमीटर और नलबाड़ी शहर से 12 किलोमीटर दूर है. इससे भी दिलचस्प बात यह है कि यह गांव असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के पैतृक गांव लतीमा से सटा हुआ है. असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिष्णु राम मेधी के समय में गांव तक जाने वाली एक सड़क का निर्माण किया गया था, लेकिन बाढ़ से सड़क बह गई और समय के साथ सड़क का अस्तित्व समाप्त हो गया.

अभी, इस विशेष गांव में जाने के लिए लगभग एक किलोमीटर तक जलाशय के कीचड़ भरे इलाकों में चलकर जाना पड़ेगा. लगातार बारिश के दौरान गांव की ओर जाने वाली सभी सड़कें खराब हो जाती हैं. इस गांव में बिमल डेका और अनिमा डेका के साथ-साथ उनकी दो बेटियों और एक बेटे सहित पांच लोगों का परिवार है. इस स्थानीय परिवार के लिए आने जाने का एकमात्र साधन नाव है, आमतौर पर, परिवार खराब सड़क से नाव से बाहर आता हैं वहां से उनकी बाहरी दुनिया की यात्रा शुरू होती है.

2011 की जनगणना के अनुसार गाँव की आबादी केवल सोलह थी. लेकिन गांव की खराब हालत और सरकार-प्रशासन की अनदेखी के कारण सभी लोग गांव छोड़कर दूसरी जगह चले गये. वर्तमान में ग्रामीण विकास मंच नामक एक गैर सरकारी संगठन ने इस गांव में एक कृषि फार्म स्थापित किया है. यह परिवार अब खेत में बने तालाब के किनारे से होकर गांव में आवागमन कर पा रहा है. फिर भी अगर बारिश हो तो गांव तक जाना बिल्कुल असंभव हो जाता है. यहां तक ​​कि जब दोनों बेटियां कॉलेज जाती हैं, तो उन्हें वहां से बाकी पूरी करने के लिए अपनी साइकिल लेने के लिए तीन किलोमीटर पैदल चलकर दूसरे लोगों के घरों तक जाना पड़ता है. अब बड़ा आश्चर्य यह है कि जब वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा राज्य को देश के शीर्ष-5 राज्यों में ले जाने की योजना बना रहे हैं, तो जो स्थान उनके पैतृक गांव के इतना करीब है, वह बाकी गांव से अलग-थलग है और यह दशकों से चले आ रही अनदेखी और लापरवाही का प्रमाण है.

एकस्ट्रा इनपुट-एजेंसी

ये भी पढ़ें :इस गांव के हर घर में सेना के जवान, 1994 के बाद से कोई भी सैनिक नहीं हुआ शहीद

नलबाड़ी: असम में एक ऐसा गांव है जो गांव शब्द के बारे में हमारी आम धारणा से अलग है. यह नलबाड़ी जिले के घाघरापार क्षेत्र के अंतर्गत एक अजीब गांव है. पानी से घिरे वीरान टापू जैसे इस गांव में सिर्फ एक ही परिवार रहता है. गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है. बिजली का कोई कनेक्शन नहीं है. इस गांव में न तो चिकित्सा सुविधा है और न ही शिक्षा. विभिन्न मुश्किलों का सामना करते हुए भी परिवार नलबाड़ी में घाघरा नदी के तट पर रहकर गांव की गरिमा को बनाए रखे हुए है, हालांकि उनका जीवन दयनीय लगता है.

घोगरापार राजस्व मंडल के अंतर्गत आने वाले इस अजीब गांव का नाम नंबर 2 बोरधनारा गांव है. यह गांव नवनिर्मित नलबाड़ी मेडिकल कॉलेज से सिर्फ तीन किलोमीटर और नलबाड़ी शहर से 12 किलोमीटर दूर है. इससे भी दिलचस्प बात यह है कि यह गांव असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के पैतृक गांव लतीमा से सटा हुआ है. असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिष्णु राम मेधी के समय में गांव तक जाने वाली एक सड़क का निर्माण किया गया था, लेकिन बाढ़ से सड़क बह गई और समय के साथ सड़क का अस्तित्व समाप्त हो गया.

अभी, इस विशेष गांव में जाने के लिए लगभग एक किलोमीटर तक जलाशय के कीचड़ भरे इलाकों में चलकर जाना पड़ेगा. लगातार बारिश के दौरान गांव की ओर जाने वाली सभी सड़कें खराब हो जाती हैं. इस गांव में बिमल डेका और अनिमा डेका के साथ-साथ उनकी दो बेटियों और एक बेटे सहित पांच लोगों का परिवार है. इस स्थानीय परिवार के लिए आने जाने का एकमात्र साधन नाव है, आमतौर पर, परिवार खराब सड़क से नाव से बाहर आता हैं वहां से उनकी बाहरी दुनिया की यात्रा शुरू होती है.

2011 की जनगणना के अनुसार गाँव की आबादी केवल सोलह थी. लेकिन गांव की खराब हालत और सरकार-प्रशासन की अनदेखी के कारण सभी लोग गांव छोड़कर दूसरी जगह चले गये. वर्तमान में ग्रामीण विकास मंच नामक एक गैर सरकारी संगठन ने इस गांव में एक कृषि फार्म स्थापित किया है. यह परिवार अब खेत में बने तालाब के किनारे से होकर गांव में आवागमन कर पा रहा है. फिर भी अगर बारिश हो तो गांव तक जाना बिल्कुल असंभव हो जाता है. यहां तक ​​कि जब दोनों बेटियां कॉलेज जाती हैं, तो उन्हें वहां से बाकी पूरी करने के लिए अपनी साइकिल लेने के लिए तीन किलोमीटर पैदल चलकर दूसरे लोगों के घरों तक जाना पड़ता है. अब बड़ा आश्चर्य यह है कि जब वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा राज्य को देश के शीर्ष-5 राज्यों में ले जाने की योजना बना रहे हैं, तो जो स्थान उनके पैतृक गांव के इतना करीब है, वह बाकी गांव से अलग-थलग है और यह दशकों से चले आ रही अनदेखी और लापरवाही का प्रमाण है.

एकस्ट्रा इनपुट-एजेंसी

ये भी पढ़ें :इस गांव के हर घर में सेना के जवान, 1994 के बाद से कोई भी सैनिक नहीं हुआ शहीद
Last Updated : Sep 12, 2023, 2:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.