नगांव (असम) :असम सरकार भी उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की राह पर चलते हुए अपराधियों के घरो पर बुलडोजर चलाया है. बता दें कि असम पुलिस पर आरोप हे कि नगांव में एक मछली विक्रेता से पुलिस ने 10000 रुपये और एक बतख मांगा था. जब विक्रेता ने देने से मना कर दिया तो उसे थाने ले आए. जब उसके परिजन थाना में मिलने आए तो पुलिस ने कहा कि उसकी तबीयत खराब है. फिर बताया कि अस्पताल ले गए है जहां उसकी मौत हो गई है. इससे गुस्साए ग्रामीणों ने नगांव जिले में स्थित बतरद्रवा थाना को आग के हवाले कर दिया. अभी इसकी जांच जारी है हिरासत में मौत कैसे हुई और थाना में आग किसने लगाई. इसी बीच असम के जिला प्रशासन ने आगजनी की घटना में शामिल अपराधी के घरों पर बुलडोजर चला दिया है. हालांकि डीजीपी इसको अतिक्रमण मुक्त अभियान बता रहे हैं.
असम के विशेष पुलिस महानिदेशक, कानून और व्यवस्था, जी.पी. सिंह ने मीडिया से कहा कि असम पुलिस ने थाने में आगजनी के लिए एसआईटी गठित की है. जबकि सफीकुल इस्लाम की कथित हिरासत में मौत की अलग जांच के आदेश दिए गए हैं. जमीन के फर्जी पट्टों (दस्तावेज) से खरीदी गई अतिक्रमित जमीन पर लोग अवैध रूप से बैठे हैं इसलिए आज कुछ झोपडिय़ों को तोड़ा गया. पुलिस हिरासत में हुई मौत की अलग से जांच के आदेश दिए गए हैं. सिंह ने कहा कि पुलिस इस बात की जांच करेगी कि थाने में आए लोगों के जेहादी तत्वों से संबंध थे या नहीं, क्योंकि उन्होंने उस जगह को निशाना बनाया जहां मामलों और हथियारों का रिकॉर्ड रखा जाता है. यदि पुख्ता सबूत मिलते हैं तो उन पर यूएपीए की धारा लगाई जाएगी.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मृतक रात में नशे की हालत में मिला था और पुलिस उसे सड़क से थाने ले आई. भीड़ ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उस व्यक्ति को मार डाला जो मछली बेचने वाला था. असम पुलिस ने दस हजार रुपये और एक बत्तख की मांग की थी. उनके परिवार का आरोप है कि जब वे मांग पूरी नहीं कर पाए तो हिरासत में उनके साथ मारपीट की गई. परिवार के सदस्यों ने कहा कि जब वे उससे मिलने थाने गए तो पुलिस ने कहा कि वह अस्वस्थ है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अस्पताल में परिजनों को पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है. इसके बाद गुस्साई भीड़ शव को लेकर थाने पहुंची और थाने में आग लगा दी.
असम पुलिस के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने ट्वीट किया, "हमने सफीकुल इस्लाम की दुर्भाग्यपूर्ण मौत को बहुत गंभीरता से लिया है और बटाद्रबा थाने के ओसी को निलंबित कर दिया गया है और बाकी कर्मचारियों को बंद कर दिया है. अगर हमारी ओर से कोई गड़बड़ी हुई है तो हमारा मतलब है कि उसे ढूंढो और दोषियों को कानून के अनुसार सजा दो. इसमें कोई दो राय नहीं है."एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, "तो यह मत सोचो कि यह एक साधारण क्रिया-प्रतिक्रिया घटना है. इसमें और भी बहुत कुछ है. हम इसकी तह तक जाएंगे. असम के आदरणीय शांतिप्रिय लोगों, यह हमारा आपको आश्वासन है, जबकि हम दोषी पाए जाने वाले किसी भी पुलिस कर्मी को नहीं जाने देंगे."डीजीपी ने कहा, "हम उन तत्वों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई करेंगे जो सोचते हैं कि वे थानों को जलाकर भारतीय न्याय प्रणाली से बच सकते हैं. हम इसकी अनुमति नहीं देंगे. इसे सभी असामाजिक / आपराधिक तत्वों के लिए एक खुली चेतावनी समझें."
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