नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह असम में अवैध आप्रवासियों से संबंधित नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता की जांच के लिए पांच दिसंबर को सुनवाई शुरू करेगा. नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए को असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था.
प्रावधान है कि जो लोग 1985 में संशोधित नागरिकता अधिनियम के अनुसार एक जनवरी 1966 को या उसके बाद, लेकिन 25 मार्च, 1971 से पहले बांग्लादेश सहित निर्दिष्ट क्षेत्रों से असम आए हैं और तब से असम के निवासी हैं, उन्हें नागरिकता के लिए धारा 18 के तहत खुद को पंजीकृत करना होगा.
परिणामस्वरूप प्रावधान असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने की कट-ऑफ तारीख 25 मार्च, 1971 तय करता है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा मामले का उल्लेख करने के बाद मामले को टाल दिया. एसजी ने कहा, 'मैं अपनी ओर से और भारत के अटॉर्नी जनरल की ओर से उल्लेख कर रहा हूं. कल आने वाला मामला नागरिकता संशोधन कानून है.
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यदि मामले को थोड़ा टाला जा सकता है. यह दिवाली से पहले आखिरी कार्य सप्ताह है और हम एक संविधान पीठ से बाहर आए हैं. इसलिए, हमें कुछ समय चाहिए.' इसके बाद पीठ ने सभी वकीलों की उपलब्धता पर चर्चा की और मामले को दिसंबर में सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया. पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई करने वाली थी.