ETV Bharat / bharat

असम में बाढ़ पीड़ित और भारतीय वायु सेना को रेलवे ट्रैक का सहारा - hundreds of families living on rail track

असम के 29 जिले बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हैं. जमुनामुख जिले के दो गांवों के 500 से अधिक परिवार रेलवे ट्रैक पर जीवन गुजारने को मजबूर हैं. भारतीय वायु सेना भी रिलीफ बांटने के लिए रेल की पटरी का सहारा ले रही है.

असम में बाढ़
असम में बाढ़
author img

By

Published : May 21, 2022, 10:07 AM IST

Updated : May 21, 2022, 1:35 PM IST

गुवाहाटी : असम के 29 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. जमुनामुख जिले के दो गांवों के 500 से अधिक परिवार रेलवे ट्रैक पर जीवन गुजारने को मजबूर हैं. क्योंकि एकमात्र उंची जगह वही बची है जो बाढ़ में डूबी नहीं है. बाढ़ में अपना लगभग सब कुछ खोने के बाद चांगजुरई और पटिया पाथर गांव के लोग खुले आसमान में रेलवे ट्रैक पर रह रहे हैं. तिरपाल से बने अस्थायी टेंटों के नीचे रह रहे ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें पिछले पांच दिनों में राज्य सरकार और जिला प्रशासन से ज्यादा मदद नहीं मिली है. भारतीय वायु सेना भी रिलीफ बांटने के लिए रेल की पटरी का सहारा ले रही है. जो हाल मे सेना द्वारा चलाए जा रहे रिलीफ ऑपरेशन के दौरान देखने को मिला है.

भारतीय वायु सेना भी रिलीफ बांटने के लिए रेल की पटरी का सहारा ले रही है
भारतीय वायु सेना भी रिलीफ बांटने के लिए रेल की पटरी का सहारा ले रही है

असम के चांगजुरई और पटिया पाथर गांव के लोग बाढ़ में सर्वस्व खोने के बाद रेलवे ट्रेक के सहारे हैं. 43 वर्षीय मोनवारा बेगम अपने परिवार के साथ एक अस्थायी कतरे के नीचे रह रही है, जब पटिया पत्थर गांव में उनका घर बाढ़ में नष्ट हो गया था. बाढ़ से बचने के लिए उनके साथ चार अन्य परिवार भी शामिल हुए हैं. वे सभी अमानवीय परिस्थितियों में एक ही चादर के नीचे रह रहे हैं और खाने के लिए कुछ भी नहीं है.

मोनवारा बेगम ने कहा कि तीन दिनों तक हम खुले आसमान के नीचे थे, फिर हमने कुछ पैसे उधार लिए और इस तिरपाल को खरीदा. हम एक ही चादर के नीचे रहने वाले पांच परिवार हैं, कोई प्राइवेसी नहीं है. चंगजुराई गांव में अपना घर गंवाने के बाद ब्यूटी बोरदोलोई का परिवार भी तिरपाल के सहारे रह रहा है. हमारी फसल के लिए तैयार धान की पौध नष्ट हो गई. अनिश्चितता हावी है क्योंकि इस तरह से जीवित रहना बहुत मुश्किल है.

यह भी पढ़ें-असम : बाढ़ की स्थिति में सुधार परंतु चार जिले में हालत गंभीर

गुवाहाटी : असम के 29 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. जमुनामुख जिले के दो गांवों के 500 से अधिक परिवार रेलवे ट्रैक पर जीवन गुजारने को मजबूर हैं. क्योंकि एकमात्र उंची जगह वही बची है जो बाढ़ में डूबी नहीं है. बाढ़ में अपना लगभग सब कुछ खोने के बाद चांगजुरई और पटिया पाथर गांव के लोग खुले आसमान में रेलवे ट्रैक पर रह रहे हैं. तिरपाल से बने अस्थायी टेंटों के नीचे रह रहे ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें पिछले पांच दिनों में राज्य सरकार और जिला प्रशासन से ज्यादा मदद नहीं मिली है. भारतीय वायु सेना भी रिलीफ बांटने के लिए रेल की पटरी का सहारा ले रही है. जो हाल मे सेना द्वारा चलाए जा रहे रिलीफ ऑपरेशन के दौरान देखने को मिला है.

भारतीय वायु सेना भी रिलीफ बांटने के लिए रेल की पटरी का सहारा ले रही है
भारतीय वायु सेना भी रिलीफ बांटने के लिए रेल की पटरी का सहारा ले रही है

असम के चांगजुरई और पटिया पाथर गांव के लोग बाढ़ में सर्वस्व खोने के बाद रेलवे ट्रेक के सहारे हैं. 43 वर्षीय मोनवारा बेगम अपने परिवार के साथ एक अस्थायी कतरे के नीचे रह रही है, जब पटिया पत्थर गांव में उनका घर बाढ़ में नष्ट हो गया था. बाढ़ से बचने के लिए उनके साथ चार अन्य परिवार भी शामिल हुए हैं. वे सभी अमानवीय परिस्थितियों में एक ही चादर के नीचे रह रहे हैं और खाने के लिए कुछ भी नहीं है.

मोनवारा बेगम ने कहा कि तीन दिनों तक हम खुले आसमान के नीचे थे, फिर हमने कुछ पैसे उधार लिए और इस तिरपाल को खरीदा. हम एक ही चादर के नीचे रहने वाले पांच परिवार हैं, कोई प्राइवेसी नहीं है. चंगजुराई गांव में अपना घर गंवाने के बाद ब्यूटी बोरदोलोई का परिवार भी तिरपाल के सहारे रह रहा है. हमारी फसल के लिए तैयार धान की पौध नष्ट हो गई. अनिश्चितता हावी है क्योंकि इस तरह से जीवित रहना बहुत मुश्किल है.

यह भी पढ़ें-असम : बाढ़ की स्थिति में सुधार परंतु चार जिले में हालत गंभीर

Last Updated : May 21, 2022, 1:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.