गुवाहाटी: प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (ULFA-I) ने अपने ही दो सदस्यों की हत्या कर दी है. इससे संगठन में आंतरिक संघर्षों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. मृत उल्फा-आई सदस्यों की पहचान लाचित हजारिका जिसे एज सिरुनम असोम और बरनाली असोम उर्फ नयनमोनी चेतिया के रूप में की गई है. वहीं दोनों कैडरों को हत्या किए जाने की खबर से उनके घरों में शोक का माहौल है. साथ ही परिवार के लोगों ने संगठन के फैसले की निंदा करते हुए मृतकों के शव को उन्हें सौंपने की मांग की है.
इसी बीच पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने सोशल मीडिया के माध्यम से उल्फा-आई प्रमुख परेश बरुआ से सार्वजनिक अपील की है और संगठन से शवों को वापस करने का आग्रह किया है. उन्होंने मृतकों के शवों की वापसी की सुविधा के लिए सरकार के साथ समन्वय करने के महत्व पर जोर दिया. जीपी सिंह ने कहा कि हम किसी भी सरकार के साथ समन्वय करके अपने लोगों के शवों को वापस लाएंगे. कृपया हमें बताएं की आपने शवों को कहां छोड़ा है. शोक संतप्त परिवर आपकी ओर से इसके हकदार हैं.
कथित तौर पर 20 सितंबर को म्यांमार बेस कैंप में असम पुलिस की ओर से संगठन विरोधी गतिविधियों और जासूसी में कथित संलिप्तता की प्रतिक्रिया के रूप में उल्फा-आई ने इन्हें दोषी ठहराया था. उल्फा-आई ने आगे दावा किया कि पीड़ित भारतीय खुफिया बलों की सहायता करने, महिला सैनिकों के दबाव में साथी सदस्यों पर हथियारों के साथ दुश्मन के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए दबाव डालने और सभी कैडरों और हथियारों के साथ शिविर से भागने की योजना बनाने जैसे कार्यों में लगे हुए थे.
मूल रूप से लखीमपुर जिले के बिहपुरिया के रहने वाला वरिष्ठ उल्फा-आई कैडर लाचित हजारिका, 2004 की कुख्यात धेमाजी बम विस्फोट घटना में एक प्रमुख संदिग्ध था. वहीं बरनाली असोम, जिस महिला कैडर को फांसी दी गई है वह तिनसुकिया की रहने वाली थी और कथित तौर पर पिछले साल ही दो अन्य सहयोगियों के साथ संगठन में शामिल हुई थी. यह पहली बार नहीं है जब उल्फा-आई ने इस तरह के कठोर कदम उठाए हैं, इससे पहले उन्होंने तथाकथित अदालती कार्यवाही के माध्यम से असम पुलिस और सेना के लिए जासूसी करने के आरोप में अपने दो कैडरों को मार डाला था.
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