गुवाहाटी : असम के लोगों ने प्रतिबंधित गुट उल्फा द्वारा अगवा किया गए गैस कर्मचारियों को रिहा न करने को लेकर निंदा किया है. क्विपो ऑयल एंड गैस कंपनी के असम और बिहार में रहने वाले दो कर्मचारियों को दिसंबर में प्रतिबंधित संगठन द्वारा बंधक बना लिया गया था.
प्रतिबंधित संगठन ने दोनों अगवा कर्मचारियों की रिहाई के लिए 16 फरवरी की तारीख समय सीमा के रूप में निर्धारित की थी. इसके बाद गंभीर कदम उठाने की चेतावनी दी थी.
शुक्रवार को एक मीडिया बयान में संगठनों ने कहा कि दोनों कर्मचारियों की रिहाई की वार्ता तेल कंपनी के साथ विफल हो गई थी. संगठन दोनों अगवा कर्मचारियों के भाग्य पर फैसला लेने से पहले एक सप्ताह और इंतजार करेगा.
उल्फा गुट ने शुक्रवार को मीडिया को जारी बयान में कहा, 16 फरवरी से 19 फरवरी के बीच क्विपो ऑयल एंड गैस के अधिकारियों के साथ बातचीत विफल रही है, इसलिए हमने एक सप्ताह के बाद इनपर अंतिम निर्णय लेने का फैसला किया है.
संगठन ने यह भी कहा था कि वे पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में क्विपो पर प्रतिबंध लगा देंगे, साथ ही कहा कि अन्य कर्मचारी आने वाले दिनों में विकल्प तलाशें.
आतंक जैसे कृत्य के लिए संगठन की निंदा करने के लिए सैकड़ों लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया. लोगों ने सोशल मीडिया पर संगठन की निंदा करते हुए कर्मचारियों को तुरंत रिहा करने की मांग की.
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सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने कहा, तेल कंपनी में कुछ मुद्दों के लिए उल्फा को दो निर्दोष व्यक्तियों को दंडित करने का कोई अधिकार नहीं है.
बता दें कि दोनों अपहृत व्यक्तियों के परिवारों ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दोनों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की अपील की थी.
क्विपो ऑयल और गैस को ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा अपने ड्रिलिंग कार्यों के लिए काम पर रखा गया था.
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनावाल ने हाल ही में कहा था कि तेल ड्रिलिंग फर्म के दो अपहृत कर्मचारियों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.