नई दिल्ली: असम कैबिनेट ने बुधवार को हजारों आशा स्वयंसेवकों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष तय की गई, साथ ही उन्हें निरंतर सेवा प्रदान करने के लिए सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त वित्तीय सहायता भी दी. नई दिल्ली में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई. यह राष्ट्रीय राजधानी में असम सरकार की तीसरी कैबिनेट बैठक थी.
बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने कहा कि आशा कार्यकर्ता को आर्थिक मुआवजे के रूप में 2 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि आशा पर्यवेक्षक को मुआवजे के रूप में 3 लाख रुपये मिलेंगे. इन सभी को 10 साल की सेवा पूरी करनी होगी. बरुआ ने यह भी कहा कि अगर आशा कार्यकर्ता अपनी सेवानिवृत्ति से पहले वीआरएस लेना चाहती हैं तो वे 50 प्रतिशत मौद्रिक मुआवजे का लाभ उठा सकती हैं.
कैबिनेट बैठक में राज्य के 24,000 आईआईटी में मोरन, मोटोक, कोच राजबोंगशी, ताई अहोम और चुटिया सहित असम के पांच समुदायों के लिए आरक्षण करने का भी निर्णय लिया गया. बरुआ ने कहा कि कोच राजबोंगशी को 3.25 प्रतिशत (213), ताई अहोम को 2.5 प्रतिशत (164), चुटिया को 2.25 प्रतिशत (147), मोरान और मोटोक को 2 प्रतिशत (131) मिलेंगे.
असम की पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा धक्का देते हुए, कैबिनेट बैठक ने गैर-उड़ान योजना के तहत व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण को मंजूरी देकर गुवाहाटी-जोरहाट और जोरहाट-गुवाहाटी-गैर उड़ान क्षेत्र बनाने का भी निर्णय लिया. बरुआ ने कहा कि व्यवहार्यता अंतर निधि निश्चित रूप से राज्य के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देगी.
गौरतलब है कि असम में युवाओं की खेल क्षमता का पता लगाने के लिए कैबिनेट ने 1 नवंबर से खेल महारन शुरू करने का भी फैसला किया है जो 10 जनवरी तक जारी रहेगा. बरुआ ने कहा कि खेल महारान के तहत युवाओं को पंचायत, जिला, निर्वाचन क्षेत्र और राज्य स्तर सहित चार स्तरों पर पदोन्नत किया जाएगा. मंत्री ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान एथलेटिक्स, फुटबॉल, वॉलीबॉल, कबड्डी, खोको जैसे खेलों को बढ़ावा दिया जायेगा.