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जानें किन राज्याें में सबसे अधिक दूषित भूजल का इस्तेमाल करने काे बाध्य हैं लाेग - बिहार असम में भूजल की स्थिति

कहते हैं जल ही जीवन है, इससे जीवन में जल के महत्व काे आसानी से समझा जा सकता है. लेकिन जीवन के लिए जरूरी यह जल जब आपको शुद्ध रूप में न मिले ताे इससे हाेने वाले नुकसान का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. केंद्र सरकार के संबंधित विभाग से मिले आंकड़े बताते हैं कि कुछ राज्याें में बड़ी संख्या में लाेग इससे प्रभावित हैं. पढ़ें पूरी रिपाेर्ट...

असम
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Published : Nov 2, 2021, 8:08 PM IST

नई दिल्ली : असम, राजस्थान, बिहार और ओडिशा में बड़ी संख्या में ग्रामीण बस्तियां दूषित भूजल से प्रभावित हैं, बड़ी संख्या में यहां के लाेगाें को सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों (सीडब्ल्यूपीपी) के तहत लाया जाना बाकी है.

ईटीवी भारत काे केंद्र सरकार से प्राप्त आंकड़ों में कहा गया है कि असम 20,956 बस्तियों के साथ दूषित पानी वाले राज्यों की सूची में सबसे आगे है, इसके बाद राजस्थान 12,160, बिहार 3966 और ओडिशा 3465 बस्तियां हैं, जाे दूषित जल से प्रभावित हैं. असम में 1194 बस्तियां आर्सेनिक से प्रभावित हैं, 12 बस्तियां फ्लोराइड से प्रभावित हैं और 19745 बस्तियां आयरन से प्रभावित हैं.
इसी प्रकार राजस्थान में 1358 बस्तियाें के भूजल फ्लोराइड से, 10106 बस्तियां लवणता ( salinity) से प्रभावित, 691 बस्तियां नाइट्रेट से और पांच बस्तियां आयरन से प्रभावित हैं.आंकड़ों में कहा गया है कि बिहार में अधिकांश बस्तियां (3939) आयरन से प्रभावित हैं और कुछ बस्तियां फ्लोराइड और आर्सेनिक से भी प्रभावित हैं.

इसी तरह, ओडिशा में 3338 बस्तियां आयरन से प्रभावित हैं जबकि 69 बस्तियां फ्लोराइड से प्रभावित हैं, 33 बस्तियां लवणता (salinity) से प्रभावित हैं और ओडिशा में 25 बस्तियां नाइट्रेट से प्रभावित हैं.

विडंबना यह है कि इन राज्यों में कुछ बस्तियों काे सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों (सीडब्ल्यूपीपी) का लाभ मिल पाता है. आंकड़ों में कहा गया है कि असम में 1220 बस्तियों काे सीडब्ल्यूपीपी का लाभ मिल पाता है जबकि बड़ी संख्या में बस्तियां ऐसे जल शोधन संयंत्रों से वंचित हैं.

इसमें आगे कहा गया है कि बिहार में केवल दो बस्तियां, राजस्थान में 1220 और ओडिशा में एक बस्ती काे सीडब्ल्यूपीपी का लाभ मिल रहा है.

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हाल ही में एक संवाद में, केंद्र सरकार ने उन्हें सलाह दी है कि वे ऐसी बस्तियों में सीडब्ल्यूपीपी स्थापित करें ताकि हर घर को पीने योग्य पानी 8-10 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (एलपीसीडी) की दर से पीने और खाना पकाने के लिए उपलब्ध कराया जा सके.

पढ़ें : यूपी के तीन जिलों के भूजल में फ्लोराइड खतरनाक स्तर पर

केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने अपने भूजल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रमों और विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के एक हिस्से के रूप में क्षेत्रीय स्तर पर देश के भूजल गुणवत्ता डेटा को तैयार किया.

पढ़ें : भूजल स्रोतों का पता लगा रहा CSIR, पेयजल के रूप में कर सकेंगे इस्तेमाल: जितेंद्र सिंह

नई दिल्ली : असम, राजस्थान, बिहार और ओडिशा में बड़ी संख्या में ग्रामीण बस्तियां दूषित भूजल से प्रभावित हैं, बड़ी संख्या में यहां के लाेगाें को सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों (सीडब्ल्यूपीपी) के तहत लाया जाना बाकी है.

ईटीवी भारत काे केंद्र सरकार से प्राप्त आंकड़ों में कहा गया है कि असम 20,956 बस्तियों के साथ दूषित पानी वाले राज्यों की सूची में सबसे आगे है, इसके बाद राजस्थान 12,160, बिहार 3966 और ओडिशा 3465 बस्तियां हैं, जाे दूषित जल से प्रभावित हैं. असम में 1194 बस्तियां आर्सेनिक से प्रभावित हैं, 12 बस्तियां फ्लोराइड से प्रभावित हैं और 19745 बस्तियां आयरन से प्रभावित हैं.
इसी प्रकार राजस्थान में 1358 बस्तियाें के भूजल फ्लोराइड से, 10106 बस्तियां लवणता ( salinity) से प्रभावित, 691 बस्तियां नाइट्रेट से और पांच बस्तियां आयरन से प्रभावित हैं.आंकड़ों में कहा गया है कि बिहार में अधिकांश बस्तियां (3939) आयरन से प्रभावित हैं और कुछ बस्तियां फ्लोराइड और आर्सेनिक से भी प्रभावित हैं.

इसी तरह, ओडिशा में 3338 बस्तियां आयरन से प्रभावित हैं जबकि 69 बस्तियां फ्लोराइड से प्रभावित हैं, 33 बस्तियां लवणता (salinity) से प्रभावित हैं और ओडिशा में 25 बस्तियां नाइट्रेट से प्रभावित हैं.

विडंबना यह है कि इन राज्यों में कुछ बस्तियों काे सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों (सीडब्ल्यूपीपी) का लाभ मिल पाता है. आंकड़ों में कहा गया है कि असम में 1220 बस्तियों काे सीडब्ल्यूपीपी का लाभ मिल पाता है जबकि बड़ी संख्या में बस्तियां ऐसे जल शोधन संयंत्रों से वंचित हैं.

इसमें आगे कहा गया है कि बिहार में केवल दो बस्तियां, राजस्थान में 1220 और ओडिशा में एक बस्ती काे सीडब्ल्यूपीपी का लाभ मिल रहा है.

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हाल ही में एक संवाद में, केंद्र सरकार ने उन्हें सलाह दी है कि वे ऐसी बस्तियों में सीडब्ल्यूपीपी स्थापित करें ताकि हर घर को पीने योग्य पानी 8-10 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (एलपीसीडी) की दर से पीने और खाना पकाने के लिए उपलब्ध कराया जा सके.

पढ़ें : यूपी के तीन जिलों के भूजल में फ्लोराइड खतरनाक स्तर पर

केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने अपने भूजल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रमों और विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के एक हिस्से के रूप में क्षेत्रीय स्तर पर देश के भूजल गुणवत्ता डेटा को तैयार किया.

पढ़ें : भूजल स्रोतों का पता लगा रहा CSIR, पेयजल के रूप में कर सकेंगे इस्तेमाल: जितेंद्र सिंह

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