नई दिल्ली: ऐसे समय में जब बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार की कार्रवाई ने देश भर में हंगामा खड़ा कर दिया है, एक रिपोर्ट में कहा गया कि असम, बिहार, झारखंड, राजस्थान और देश के छह अन्य राज्यों में बाल विवाह के अधिकतम मामले दर्ज किए गए हैं (maximum cases of child marriage).
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक बिधान चंद्र सिंह (Bidhan Chandra Singh) ने नई दिल्ली में ईटीवी भारत से कहा कि, 'पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा जैसे कुछ अन्य राज्य हैं जहां बाल विवाह की अधिकतम घटनाएं होती हैं.'
सिंह ने कहा कि असम पुलिस ने जो कार्रवाई की है वह वास्तव में तारीफ के काबिल है. उन्होंने कहा कि 'हम आशा करते हैं कि देशभर के राज्यों को बाल विवाह को रोकने के लिए इस प्रकार की कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.'
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन (Kailash Satyarthi Children's Foundation) ने सोमवार को 'बाल विवाह मुक्त भारत' पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया. इसमें राज्य बाल अधिकार संरक्षण केंद्र (एससीपीसीआर) के अध्यक्ष और प्रतिनिधियों ने बाल अधिकारों पर अपनी राय साझा की.
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने इस संवाददाता से कहा, 'इस समय जब हमारा देश अपनी आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि हमारी लाखों बेटियां-बहनें बाल विवाह की कैद खाने को मजबूर हैं. अपनी क्षमताओं और ताकत के उचित आकलन के साथ, हमने 200 जिलों में 10,000 गांवों और कस्बों की पहचान करने में कामयाबी हासिल की है, जहां यह अपराध होता है.'
उन्होंने कहा कि देश में 23 प्रतिशत लड़कियाें का विवाह 18 साल से पहले कर दिया जाता है. सत्यार्थी ने कहा कि 'हमने वर्ष 2025 तक इस संख्या को 10 प्रतिशत तक लाने का संकल्प लिया है. हम बाल विवाह को एक सामाजिक बुराई और अपराध तो मानते ही हीं, साथ-साथ मानव स्वतंत्रता, गरिमा, सामाजिक नैतिकता पर एक क्रूर हमला मानते हैं.'
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-V (NFHS-5) की 2019-21 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 20-24 वर्ष के आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत महिलाएं हैं, जिनकी शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हुई.
16 अक्टूबर 2022 को कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन ने बाल विवाह के खिलाफ दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा जमीनी अभियान शुरू किया था. कैंपेन का नेतृत्व देश के 26 राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 7,588 गांवों में 76,377 से अधिक जमीनी स्तर की महिला नेताओं ने किया.
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