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आसाराम उपचार की आड़ में सजा टालने की ताक में : सुप्रीम कोर्ट से राजस्थान सरकार - Asaram Bapu

राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि स्वयंभू संत आसाराम बापू (self styled Godman, Asaram Bapu,) अपने चिकित्सा उपचार की आड़ में अपनी उम्रकैद की सजा को टालने की ताक में है. दूसरी ओर आसाराम के वकील ने बताया कि वह उत्तराखंड में हरिद्वार तथा ऋषिकेष के बीच स्थित प्रकाश दीप इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद में उपचार कराना चाहते हैं.

आसाराम
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Published : Jun 9, 2021, 3:11 PM IST

Updated : Jun 9, 2021, 6:48 PM IST

जयपुर : दुष्कर्म मामले में दोषी आसाराम केस में राजस्थान सरकार (Rajasthan Govt in Asaram Case) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि चिकित्सा उपचार की आड़ में आसाराम (Asaram Medical Treatment) अपनी उम्रकैद की सजा को टालने की ताक में है. सरकार ने कहा है कि आसाराम की मेडिकल रिपोर्ट (Asaram Medical Report) के अनुसार उसे विशेष उपचार या स्थानांतरण की कोई आवश्यकता नहीं है.

गौरतलब है कि आसाराम ने 2014 और 2016 में भी चिकित्सा शर्तों पर जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन हर बार उनकी दलीलें खारिज कर दी गईं, क्योंकि उनके स्वास्थ्य की जांच के लिए गठित मेडिकल टीम ने हमेशा कहा कि उन्हें किसी विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं है और नियमित दिनचर्या के माध्यम से आसाराम का इलाज (Treatment of Asaram) किया जा सकता है.

रेप के दोषी ने तीसरी बार मांगी जमानत
यह तीसरा मौका है जब बलात्कार के दोषी आसाराम (Rape Convict Asaram) ने जमानत और आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment) के नाम पर जमानत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

आसाराम ने एम्स के डॉक्टरों के साथ नहीं किया सहयोग
राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मई, 2021 की उनकी मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि वह स्वयं एम्स, जोधपुर के डॉक्टरों के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे और उन्होंने निर्धारित दवाएं लेने से इनकार कर दिया था.

सरकार ने बताया कि आसाराम को एम्स से तीन दिनों में छुट्टी दे दी गई, क्योंकि उन्हें कोई जटिलता नहीं थी या विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं थी. आरोपी/याचिकाकर्ता चिकित्सा उपचार की आड़ में अपनी हिरासत का स्थान बदलने का प्रयास कर रहा है, जो कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. आरोपी ने जानबूझकर गांधी नगर (Gandhi Nagar ) और जोधपुर में मुकदमे में देरी करने की दुर्भावना से ऐसी दलीलें दीं, जबकि वह स्थिर और फिट है.

उचित मार्गदर्शन में इलाज की जरूरत
राज्य सरकार ने आसाराम के आयुर्वेदिक डॉक्टर की रिपोर्ट (Asaram's Ayurvedic Doctor's Report) का भी हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, ऑर्थोपेडिक कंसल्टेंट और एक्सपायरी आयुर्वेदाचार्य आदि के उचित मार्गदर्शन में इलाज की जरूरत है.

प्रभावी इलाज में सक्षम हैं अस्पताल
सरकार ने कहा कि इस तरह की राय से ही पता चलता है कि एलोपैथिक विशेषज्ञ और आयुर्वेदाचार्य की समिति के तहत आरोपी का इलाज किया जाना चाहिए. समिति की यह विशिष्ट आवश्यकता जोधपुर में उपलब्ध है, जिसमें एम्स जोधपुर और आयुर्वेद विश्वविद्यालय अस्पताल (Ayurveda University Hospital) स्थित है और अभियुक्त / रोगी का प्रभावी ढंग से इलाज करने में सक्षम हैं.

सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत के पक्ष में नहीं
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीड़न के मामलों में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम की उत्तराखंड में हरिद्वार के निकट एक आयुर्वेदिक केंद्र में उपचार कराने की इजाजत के लिए याचिका पर शुक्रवार को राजस्थान सरकार से जवाब मांगा. हालांकि शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी भी की कि वह इसके लिए आसाराम की सजा दो महीने निलंबित कर अंतरिम जमानत देने के पक्ष में नहीं है. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, 'नोटिस जारी करें (राजस्थान सरकार को)'. इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया.

आसाराम की याचिका हाईकोर्ट (Asaram Plea before High Court) में खारिज
शीर्ष अदालत राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ आसाराम की याचिका की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने आसाराम को उनकी पंसद के चिकित्सा केंद्र में उपचार कराने के लिए सजा निलंबन की याचिका खारिज कर दी थी. उल्लेखनीय है कि आसाराम को यौन उत्पीड़न के मामलों में उम्र कैद की सजा समेत विविध अवधि के कारावास की कई सजा मिली है.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सरकार का रूख
याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'हम चिकित्सा के विशेषज्ञ नहीं हैं.' पीठ ने कहा कि वह सजा निलंबन पर विचार नहीं करेगी बल्कि आसाराम को उत्तराखंड के एक केंद्र में उपचार कराने की इजाजत देने के बाबत राज्य का रूख जानना चाहेगी. न्यायालय ने कहा, 'हम सरकार से कहेंगे कि वह उन्हें वहां (केंद्र में) भर्ती कराए.'

किशोरी के दुष्कर्म का दोषी आसाराम (Asaram Rape convict)

जोधपुर की एक अदालत ने 25 अप्रैल, 2018 को आसाराम को 2013 में अपने आश्रम में एक किशोरी से दुष्कर्म का दोषी पाया था और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने आसाराम के सहयोगी शरद और शिल्पी को भी इसी मामले में उनकी भूमिका के लिये 20-20 साल की कैद की सजा सुनाई थी. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की 16 वर्षीय यह किशोरी मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा में आसाराम के आश्रम में पढ़ाई करती थी. इस किशोरी ने अपनी शिकायत में कहा था कि आसाराम ने जोधपुर के निकट मनई इलाके में स्थित अपने आश्रम में उसे बुलाया था जहां उन्होंने 15 अगस्त, 2013 की रात में उसके साथ बलात्कार किया.

पढ़ें - HC ने हिमाचल और पंजाब के DGP को जारी किया नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला

सितंबर, 2013 से न्यायिक हिरासत में आसाराम (Asaram Judicial Custody)
अदालत ने 2002 के बलात्कार के एक अन्य मामले में भी आसाराम को 20 साल की कैद की सजा सुनाई थी. आसाराम पर गुजरात के सूरत मे भी बलात्कार का एक मामला चल रहा है. आसाराम को एक सितंबर, 2013 को गिरफ्तार करके जोधपुर लाया गया था और इसके बाद से ही वह न्यायिक हिरासत में है.

जयपुर : दुष्कर्म मामले में दोषी आसाराम केस में राजस्थान सरकार (Rajasthan Govt in Asaram Case) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि चिकित्सा उपचार की आड़ में आसाराम (Asaram Medical Treatment) अपनी उम्रकैद की सजा को टालने की ताक में है. सरकार ने कहा है कि आसाराम की मेडिकल रिपोर्ट (Asaram Medical Report) के अनुसार उसे विशेष उपचार या स्थानांतरण की कोई आवश्यकता नहीं है.

गौरतलब है कि आसाराम ने 2014 और 2016 में भी चिकित्सा शर्तों पर जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन हर बार उनकी दलीलें खारिज कर दी गईं, क्योंकि उनके स्वास्थ्य की जांच के लिए गठित मेडिकल टीम ने हमेशा कहा कि उन्हें किसी विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं है और नियमित दिनचर्या के माध्यम से आसाराम का इलाज (Treatment of Asaram) किया जा सकता है.

रेप के दोषी ने तीसरी बार मांगी जमानत
यह तीसरा मौका है जब बलात्कार के दोषी आसाराम (Rape Convict Asaram) ने जमानत और आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment) के नाम पर जमानत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

आसाराम ने एम्स के डॉक्टरों के साथ नहीं किया सहयोग
राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मई, 2021 की उनकी मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि वह स्वयं एम्स, जोधपुर के डॉक्टरों के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे और उन्होंने निर्धारित दवाएं लेने से इनकार कर दिया था.

सरकार ने बताया कि आसाराम को एम्स से तीन दिनों में छुट्टी दे दी गई, क्योंकि उन्हें कोई जटिलता नहीं थी या विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं थी. आरोपी/याचिकाकर्ता चिकित्सा उपचार की आड़ में अपनी हिरासत का स्थान बदलने का प्रयास कर रहा है, जो कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. आरोपी ने जानबूझकर गांधी नगर (Gandhi Nagar ) और जोधपुर में मुकदमे में देरी करने की दुर्भावना से ऐसी दलीलें दीं, जबकि वह स्थिर और फिट है.

उचित मार्गदर्शन में इलाज की जरूरत
राज्य सरकार ने आसाराम के आयुर्वेदिक डॉक्टर की रिपोर्ट (Asaram's Ayurvedic Doctor's Report) का भी हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, ऑर्थोपेडिक कंसल्टेंट और एक्सपायरी आयुर्वेदाचार्य आदि के उचित मार्गदर्शन में इलाज की जरूरत है.

प्रभावी इलाज में सक्षम हैं अस्पताल
सरकार ने कहा कि इस तरह की राय से ही पता चलता है कि एलोपैथिक विशेषज्ञ और आयुर्वेदाचार्य की समिति के तहत आरोपी का इलाज किया जाना चाहिए. समिति की यह विशिष्ट आवश्यकता जोधपुर में उपलब्ध है, जिसमें एम्स जोधपुर और आयुर्वेद विश्वविद्यालय अस्पताल (Ayurveda University Hospital) स्थित है और अभियुक्त / रोगी का प्रभावी ढंग से इलाज करने में सक्षम हैं.

सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत के पक्ष में नहीं
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीड़न के मामलों में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम की उत्तराखंड में हरिद्वार के निकट एक आयुर्वेदिक केंद्र में उपचार कराने की इजाजत के लिए याचिका पर शुक्रवार को राजस्थान सरकार से जवाब मांगा. हालांकि शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी भी की कि वह इसके लिए आसाराम की सजा दो महीने निलंबित कर अंतरिम जमानत देने के पक्ष में नहीं है. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, 'नोटिस जारी करें (राजस्थान सरकार को)'. इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया.

आसाराम की याचिका हाईकोर्ट (Asaram Plea before High Court) में खारिज
शीर्ष अदालत राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ आसाराम की याचिका की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने आसाराम को उनकी पंसद के चिकित्सा केंद्र में उपचार कराने के लिए सजा निलंबन की याचिका खारिज कर दी थी. उल्लेखनीय है कि आसाराम को यौन उत्पीड़न के मामलों में उम्र कैद की सजा समेत विविध अवधि के कारावास की कई सजा मिली है.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सरकार का रूख
याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'हम चिकित्सा के विशेषज्ञ नहीं हैं.' पीठ ने कहा कि वह सजा निलंबन पर विचार नहीं करेगी बल्कि आसाराम को उत्तराखंड के एक केंद्र में उपचार कराने की इजाजत देने के बाबत राज्य का रूख जानना चाहेगी. न्यायालय ने कहा, 'हम सरकार से कहेंगे कि वह उन्हें वहां (केंद्र में) भर्ती कराए.'

किशोरी के दुष्कर्म का दोषी आसाराम (Asaram Rape convict)

जोधपुर की एक अदालत ने 25 अप्रैल, 2018 को आसाराम को 2013 में अपने आश्रम में एक किशोरी से दुष्कर्म का दोषी पाया था और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने आसाराम के सहयोगी शरद और शिल्पी को भी इसी मामले में उनकी भूमिका के लिये 20-20 साल की कैद की सजा सुनाई थी. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की 16 वर्षीय यह किशोरी मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा में आसाराम के आश्रम में पढ़ाई करती थी. इस किशोरी ने अपनी शिकायत में कहा था कि आसाराम ने जोधपुर के निकट मनई इलाके में स्थित अपने आश्रम में उसे बुलाया था जहां उन्होंने 15 अगस्त, 2013 की रात में उसके साथ बलात्कार किया.

पढ़ें - HC ने हिमाचल और पंजाब के DGP को जारी किया नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला

सितंबर, 2013 से न्यायिक हिरासत में आसाराम (Asaram Judicial Custody)
अदालत ने 2002 के बलात्कार के एक अन्य मामले में भी आसाराम को 20 साल की कैद की सजा सुनाई थी. आसाराम पर गुजरात के सूरत मे भी बलात्कार का एक मामला चल रहा है. आसाराम को एक सितंबर, 2013 को गिरफ्तार करके जोधपुर लाया गया था और इसके बाद से ही वह न्यायिक हिरासत में है.

Last Updated : Jun 9, 2021, 6:48 PM IST
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