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कांग्रेस पार्टी में हिमाचल के विधायकों को सुरक्षित रखने की कवायद तेज - assembly election result 2022

हिमाचल में कांग्रेस पार्टी की निर्णायक बढ़त के बावजूद एआईसीसी के भीतर चिंता है कि भगवा पार्टी उनकी जीत को छीनने की कोशिश कर सकती है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

As Himachal numbers look comfortable, Congress moves in quickly to secure MLAsEtv Bharat
कांग्रेस में हिमाचल के विधायकों को सुरक्षित रखने की कवायद तेज Etv Bharat
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Published : Dec 8, 2022, 4:31 PM IST

नई दिल्ली : हिमाचल में कांग्रेस ने निर्णायक बढ़त बना ली है, लेकिन भाजपा उसके विधायक न तोड़ ले उसे इस बात का डर है. एआईसीसी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को नवनिर्वाचित विधायकों को सुरक्षित करने लगाया गया है. सूत्रों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी राजीव शुक्ला, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला पहुंचने के लिए कहा गया है, ताकि नवनिर्वाचित विधायकों को सुरक्षित रखा जा सके. भूपेश बघेल पहाड़ी राज्य के लिए एआईसीसी के पर्यवेक्षक हैं.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा,'हम विधायकों को राज्य के बाहर नहीं ले जा सकते हैं लेकिन हमें उन्हें सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. सभी जानते हैं कि भाजपा कैसे गंदी चालें चलती है.' खबर लिखे जाने तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर कांग्रेस 68 में से 40 सीटों पर आगे चल रही थी. हिमाचल में सरकार बनाने के लिए आवश्यक आधे रास्ते के निशान से ऊपर, जबकि भाजपा 24 सीटों पर आगे चल रही थी, जो दो प्रतिद्वंद्वियों के बीच स्पष्ट अंतर को दर्शाती है.

हिमाचल की जीत कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, जिसे गुजरात में हार का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भाजपा पश्चिमी राज्य में 27 साल तक सत्ता में रहने के बाद रिकॉर्ड जीत के लिए तैयार दिख रही है. हिमाचल में जीत के करीब होने के बावजूद एआईसीसी के भीतर एक चिंता है कि भगवा पार्टी उनके विधायकों की खरीद-फरोख्त करके जीत छीनने की कोशिश कर सकती है.

चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भाजपा के शीर्ष नेता दावा कर रहे थे कि पहाड़ी राज्य हर पांच साल में सत्तारूढ़ पार्टी को बदलने की प्रवृत्ति को कम करेगा और लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए भगवा पार्टी की सरकार बनाएगा. इसके बजाय कांग्रेस का अभियान हिमाचल को विकास की पटरी पर वापस लाने के लिए परिवर्तन की आवश्यकता पर आधारित था. एआईसीसी प्रबंधक गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तराखंड के पिछले उदाहरणों से चिंतित हैं, जहां कांग्रेस अपने विधायकों को लुभाने की भाजपा की क्षमता के आगे सत्ता का खेल हार गई.

भगवा पार्टी द्वारा हाल के राज्यसभा चुनावों के दौरान भी इसी तरह के प्रयास किए गए थे, जब कांग्रेस प्रबंधकों को पार्टी के हरियाणा के विधायकों को छत्तीसगढ़ ले जाना पड़ा था और राजस्थान के विधायकों को उदयपुर के एक होटल में बंद कर दिया था ताकि भाजपा के प्रयासों को विफल किया जा सके. भाजपा दो मीडिया दिग्गजों के लिए संख्या सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही थी, जो स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में राज्यसभा चुनाव लड़ रहे थे, राजस्थान में सुभाष चंद्रा और हरियाणा में कार्तिक शर्मा.

ये भी पढ़ें- Gujarat Election Results 2022 : फिर बनी भाजपा सरकार, अगली बार जरूर टूटेगा पश्चिम बंगाल का रिकार्ड..!

जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी की जीत सुनिश्चित करने में सक्षम थे, हरियाणा में सीएलपी नेता भूपिंदर हुड्डा पार्टी के दो विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग के कारण पार्टी के उम्मीदवार अजय माकन को निर्वाचित करने में विफल रहे, जिससे बीजेपी ने कार्तिक शर्मा का साथ दिया.

नई दिल्ली : हिमाचल में कांग्रेस ने निर्णायक बढ़त बना ली है, लेकिन भाजपा उसके विधायक न तोड़ ले उसे इस बात का डर है. एआईसीसी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को नवनिर्वाचित विधायकों को सुरक्षित करने लगाया गया है. सूत्रों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी राजीव शुक्ला, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला पहुंचने के लिए कहा गया है, ताकि नवनिर्वाचित विधायकों को सुरक्षित रखा जा सके. भूपेश बघेल पहाड़ी राज्य के लिए एआईसीसी के पर्यवेक्षक हैं.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा,'हम विधायकों को राज्य के बाहर नहीं ले जा सकते हैं लेकिन हमें उन्हें सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. सभी जानते हैं कि भाजपा कैसे गंदी चालें चलती है.' खबर लिखे जाने तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर कांग्रेस 68 में से 40 सीटों पर आगे चल रही थी. हिमाचल में सरकार बनाने के लिए आवश्यक आधे रास्ते के निशान से ऊपर, जबकि भाजपा 24 सीटों पर आगे चल रही थी, जो दो प्रतिद्वंद्वियों के बीच स्पष्ट अंतर को दर्शाती है.

हिमाचल की जीत कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, जिसे गुजरात में हार का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भाजपा पश्चिमी राज्य में 27 साल तक सत्ता में रहने के बाद रिकॉर्ड जीत के लिए तैयार दिख रही है. हिमाचल में जीत के करीब होने के बावजूद एआईसीसी के भीतर एक चिंता है कि भगवा पार्टी उनके विधायकों की खरीद-फरोख्त करके जीत छीनने की कोशिश कर सकती है.

चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भाजपा के शीर्ष नेता दावा कर रहे थे कि पहाड़ी राज्य हर पांच साल में सत्तारूढ़ पार्टी को बदलने की प्रवृत्ति को कम करेगा और लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए भगवा पार्टी की सरकार बनाएगा. इसके बजाय कांग्रेस का अभियान हिमाचल को विकास की पटरी पर वापस लाने के लिए परिवर्तन की आवश्यकता पर आधारित था. एआईसीसी प्रबंधक गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तराखंड के पिछले उदाहरणों से चिंतित हैं, जहां कांग्रेस अपने विधायकों को लुभाने की भाजपा की क्षमता के आगे सत्ता का खेल हार गई.

भगवा पार्टी द्वारा हाल के राज्यसभा चुनावों के दौरान भी इसी तरह के प्रयास किए गए थे, जब कांग्रेस प्रबंधकों को पार्टी के हरियाणा के विधायकों को छत्तीसगढ़ ले जाना पड़ा था और राजस्थान के विधायकों को उदयपुर के एक होटल में बंद कर दिया था ताकि भाजपा के प्रयासों को विफल किया जा सके. भाजपा दो मीडिया दिग्गजों के लिए संख्या सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही थी, जो स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में राज्यसभा चुनाव लड़ रहे थे, राजस्थान में सुभाष चंद्रा और हरियाणा में कार्तिक शर्मा.

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जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी की जीत सुनिश्चित करने में सक्षम थे, हरियाणा में सीएलपी नेता भूपिंदर हुड्डा पार्टी के दो विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग के कारण पार्टी के उम्मीदवार अजय माकन को निर्वाचित करने में विफल रहे, जिससे बीजेपी ने कार्तिक शर्मा का साथ दिया.

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