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जैसे-जैसे चीन सैन्य ताकत बढ़ा रहा, भारत के लिए श्रीलंका को आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में शामिल करना महत्वपूर्ण: विशेषज्ञ

ईटीवी भारत के साथ एक साक्षात्कार में, एक रणनीतिक विशेषज्ञ ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यात्रा निश्चित रूप से चीन को एक संदेश देगी. श्रीलंका में नियमित रूप से चीनी जहाजों के रुकने की स्थिति को लेकर भारत हमेशा से सतर्क रहा है. ईटीवी भारत के लिए चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

China flexes military muscles
राजनाथ सिंह प्रतिकात्मक तस्वीर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 7:46 AM IST

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा के लिए रवाना होंगे. उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही श्रीलंका ने चीन के युद्धपोतों को अपने बंदरगाह पर ठहराव की इजाजत दे दी है. जिसका भारत विरोध करता रहा है.

इससे पहले भी साल 2022 अगस्त में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज 'युआन वांग' श्रीलंका के बंदरगाह पर ठहराव ने नई दिल्ली में राजनयिक चिंता पैदा कर दी थी. जिसे भारत ने श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय स्तर पर साझा भी किया था. हालांकि, क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत श्रीलंका के साथ अपने समग्र रणनीतिक संबंधों का विस्तार कर रहा है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की श्रीलंका यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि यह दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध बनाने की दिशा तय करेगी. माना जा रहा है कि इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर बात होगी. एक रणनीतिक विशेषज्ञ ने ईटीवी भारत को बताया कि रक्षा मंत्री की यात्रा निश्चित रूप से एक संदेश देगी.

उन्होंने कहा कि खासतौर से श्रीलंका से चीनी जहाजों को उनके बंदरगाहों पर रुकने की इजाजत देने पर भी बात होगी. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली में अध्ययन के उपाध्यक्ष प्रोफेसर हर्ष पंत ने कहा कि आखिरकार, श्रीलंका को ऐसी नीति की लागत और परिणामों का सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा.

उन्होंने कहा कि भारत के लिए, श्रीलंका को रक्षा और सुरक्षा मामलों और आर्थिक और रक्षा दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रूप से शामिल करना महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने बताया कि भारत और श्रीलंका मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं. जिसमें हिंद महासागर में क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करना शामिल हो सकता है.

ताकि दुनिया की राजनीति शक्ति का संतुलन स्थापित किया जा सके. उन्होंने कहा कि यह संभावना नहीं है कि चीन का मामला इतनी आसानी से सुलझ जायेगा. लेकिन, भारत के लिए, आने वाले वर्षों में मुद्दा यह होगा कि हम श्रीलंका में अपनी भूमिका कैसे बढ़ा सकते हैं.

श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, राजनाथ सिंह राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने से बातचीत करेंगे. इसमें कहा गया कि बैठकों के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों के संपूर्ण पहलू की समीक्षा की जाएगी. राजनाथ सिंह का मध्य श्रीलंका में नुवारा एलिया और देश के पूर्वी हिस्से में स्थित त्रिंकोमाली का भी दौरा करने का कार्यक्रम है.

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मंत्रालय ने कहा कि राजनाथ सिंह की यात्रा श्रीलंका के साथ मौजूदा मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दोहराएगी. बयान में कहा गया है कि उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच दोस्ती के मजबूत बंधन के निर्माण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगी.

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा के लिए रवाना होंगे. उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही श्रीलंका ने चीन के युद्धपोतों को अपने बंदरगाह पर ठहराव की इजाजत दे दी है. जिसका भारत विरोध करता रहा है.

इससे पहले भी साल 2022 अगस्त में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज 'युआन वांग' श्रीलंका के बंदरगाह पर ठहराव ने नई दिल्ली में राजनयिक चिंता पैदा कर दी थी. जिसे भारत ने श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय स्तर पर साझा भी किया था. हालांकि, क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत श्रीलंका के साथ अपने समग्र रणनीतिक संबंधों का विस्तार कर रहा है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की श्रीलंका यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि यह दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध बनाने की दिशा तय करेगी. माना जा रहा है कि इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर बात होगी. एक रणनीतिक विशेषज्ञ ने ईटीवी भारत को बताया कि रक्षा मंत्री की यात्रा निश्चित रूप से एक संदेश देगी.

उन्होंने कहा कि खासतौर से श्रीलंका से चीनी जहाजों को उनके बंदरगाहों पर रुकने की इजाजत देने पर भी बात होगी. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली में अध्ययन के उपाध्यक्ष प्रोफेसर हर्ष पंत ने कहा कि आखिरकार, श्रीलंका को ऐसी नीति की लागत और परिणामों का सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा.

उन्होंने कहा कि भारत के लिए, श्रीलंका को रक्षा और सुरक्षा मामलों और आर्थिक और रक्षा दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रूप से शामिल करना महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने बताया कि भारत और श्रीलंका मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं. जिसमें हिंद महासागर में क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करना शामिल हो सकता है.

ताकि दुनिया की राजनीति शक्ति का संतुलन स्थापित किया जा सके. उन्होंने कहा कि यह संभावना नहीं है कि चीन का मामला इतनी आसानी से सुलझ जायेगा. लेकिन, भारत के लिए, आने वाले वर्षों में मुद्दा यह होगा कि हम श्रीलंका में अपनी भूमिका कैसे बढ़ा सकते हैं.

श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, राजनाथ सिंह राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने से बातचीत करेंगे. इसमें कहा गया कि बैठकों के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों के संपूर्ण पहलू की समीक्षा की जाएगी. राजनाथ सिंह का मध्य श्रीलंका में नुवारा एलिया और देश के पूर्वी हिस्से में स्थित त्रिंकोमाली का भी दौरा करने का कार्यक्रम है.

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मंत्रालय ने कहा कि राजनाथ सिंह की यात्रा श्रीलंका के साथ मौजूदा मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दोहराएगी. बयान में कहा गया है कि उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच दोस्ती के मजबूत बंधन के निर्माण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगी.

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