चंडीगढ़: दिल्ली में पानी की कमी हो तो इसका जिम्मेदार हरियाणा, बरसात में दिल्ली में यमुना से बाढ़ आए तो जिम्मेदार हरियाणा. क्या सच में दिल्ली की बाढ़ या पानी की कमी के लिए हरियाणा जिम्मेदार है या फिर यह राजनीतिक बयानबाजी है? दरअसल बीते चार दिनों से हरियाणा हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह पहाड़ों में हुई जोरदार बारिश है. पहाड़ों से आने वाले नदी नालों में सामान्य से अधिक पानी आया तो हरियाणा को हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ना पड़ा या यों कहें डायवर्ट करना पड़ा. जिसकी वजह से दिल्ली में बाढ़ के हालात बन गए हैं. वहीं, दिल्ली के सीएम इसके लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. इसको लेकर दिल्ली के सीएम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र भी लिखा है.
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अरविंद केजरीवाल के बयान पर हरियाणा के डिप्टी सीएम का पलटवार: अरविंद केजरीवाल के बयान पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि, अरविंद केजरीवाल की आदत है दूसरे राज्य पर कॉमेंट करना. यह एक प्राकृतिक आपदा है स्थिति पर काबू पाने की बजाय एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. पानी छोड़ना हरियाणा की गलती है और हर कार्य में हरियाणा की गलती है तो अरविंद केजरीवाल हरियाणा में क्यों पैदा हुए. हरियाणा में पैदा होना भी तो केजरीवाल की गलती है.
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क्या है बैराज और डैम में अंतर?: दिल्ली में यमुना में बाढ़ आने के लिए हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज को जिम्मेदार ठहराने की राजनीति आज की नहीं है, जब भी दिल्ली में यमुना से बाढ़ के हालात बनते हैं तो इसके लिए हथिनीकुंड बैराज को जिम्मेदार ठहराया जाता है. यानी हरियाणा को इसका जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन हमें साधारण भाषा में पहले यह समझना होगा कि बैराज और डैम में क्या अंतर होता है? बैराज पानी रोकने का वह स्थान होता है जहां से पानी जरूरत के हिसाब से डायवर्ट किया जाता है. इसमें बड़े बड़े कई गेट लगे होते हैं जिन्हें आवश्यकता के मुताबिक खोला या बंद किया जाता है. यानि साधारण भाषा में कहें तो बैराज से पानी डाइवर्ट किया जाता है, जबकि डैम में पानी स्टोर किया जाता है, और जरूरत के हिसाब से पानी छोड़ा जाता है. बैराज बहने वाले पानी को रोकने के लिए बनाया जाता है. लेकिन, इसमें स्टोरेज का कोई ऑप्शन नहीं होता. वहीं, डैम के पानी से बिजली का उत्पादन, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति होती है. यह स्पष्ट है कि बैराज सिर्फ बहने वाले पानी को रोकने का काम करता है और उसे जरूरत के हिसाब से डायवर्ट करता है.
किस तरह और कहां से आता है हथिनीकुंड बैराज में पानी?: यमुना नदी हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ों से निकलकर हथिनीकुंड बैराज पर धरातल पर पहुंचती है, यानी पहाड़ों से आने वाले पानी को यहां रोकने का काम होता है. जहां से इस पानी को दिल्ली, यूपी और हरियाणा की जरूरत के हिसाब से डायवर्ट करने का काम किया जाता है. हथिनीकुंड बैराज से एक तरफ हरियाणा को वेस्टर्न यमुना कैनाल लिंक ( डब्ल्यूजेसी ) डायवर्ट की जाती है, जो हरियाणा के पावर प्रोजेक्टों और सिंचाई के लिए काम आती है, वहीं उत्तर प्रदेश ईस्टर्न जमुना कैनाल ( ईजेसी ) डायवर्ट की जाती है. वहीं जब हथिनी कुंड बैराज में एक लाख क्यूसेक पानी बहना शुरू हो जाता है तब इन दोनों नेहरों को पानी बंद कर दिया जाता है और सारा पानी बैराज के 18 गेट खोल कर दिल्ली की तरफ डायवर्ट कर दिया जाता है. क्योंकि, बाढ़ का पानी आने से इन दोनों नेहरों के ब्लॉक होने का खतरा बन जाता है.
क्या कहते हैं इसको लेकर अधिकारी?: इस मामले में हथिनी कुंड बैराज के एसई (सिंचाई विभाग यमुनानगर) आर एस मित्तल कहते हैं कि बैराज में हम ऊपर यानी पहाड़ों से आने वाले पानी को रोकते हैं, उसको एक लेवल तक रखते हैं. जिससे हम हमारे चैनल यानी नहर, जिसको हमें पानी देना होता है, उसके लेवल तक रोककर उनको फीड करते हैं. वे कहते हैं कि हथिनीकुंड बैराज का 334 मीटर का लेवल है, उसे हम मेंटेन रखते हैं. इसकी जरूरत इसलिए है, क्योंकि वेस्टर्न यमुना कैनाल और ईस्टर्न यमुना कैनाल 331 मीटर पर कनेक्ट है.
उन्होंने कहा कि, जब हमारे पास एक लाख क्यूसेक से पानी कम होता है तो हम अपने गेट को डाउन रखते हैं. जीतना हमें चैनल यानि डब्ल्यूजेसी, ईजेसी की जरूरत है उसमें हम छोड़ देते हैं, बाकि पानी को हम यमुना में छोड़ देते हैं. क्योंकि हमारे पास पानी के स्टोरेज का कोई साधन नहीं है, और ना ही हो सकती है. 334 मीटर का जो लेवल है वो दोनों कैनाल को पानी फीड करने के लिए है. क्योंकि उनका लेवल 331 मीटर है, उससे ऊपर पानी को रोका भी नहीं जा सकता. क्योंकि हमारे गेट का लेवल 334.32 मीटर है. यानि हमारा जो पानी का लेवल है, उससे करीब डेढ़ फीट उपर है. ऐसे में हम अगर पानी रोकना भी चाहें तो वह गेट के ऊपर से निकलकर यमुना में चला जाएगा.
हमारे पास हिमाचल उत्तराखंड और यूपी का पानी आ रहे हैं, जहां तक बात दिल्ली सरकार के द्वारा इस मामले में बयानबाजी की बात है तो मैं उस पर कुछ नहीं कह सकता. क्योंकि अगर हम यमुना में पानी छोड़ रहे हैं तो उससे हमारे कई जिलों यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत में भी फ्लड आ रहा है. ऐसे में इस मामले में कुछ कहना सही नहीं है. अगर हम बैराज के गेट भी बंद कर दें तो फिर भी बारिश की वजह से जो लगातार पानी आ रहा है वह गेट के ऊपर से चला जाएगा. बैराज स्टोरेज के लिए नहीं बल्कि फीडिंग की जरूरत से बना है. हम सेंट्रल वाटर कमीशन की गाइडलाइन के मुताबिक ही काम करते हैं. - आर एस मित्तल, हथिनीकुंड बैराज के एसई
केंद्र के सामने हथिनीकुंड डैम बनाने का प्रस्ताव: आर एस मित्तल कहते हैं कि, अगर हम इस वक्त स्टोरेज कर सकते तो जरूर करते. क्योंकि, इसका फायदा हमारे पानी की कमी से दो चार हो रहे जिलों को उस वक्त होता जब उन्हें पानी की सबसे ज्यादा जरूरत रहती है. फिर हम उसे अभी यमुना नदी में क्यों बहने देते. वे कहते हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसी को देखते हुए केंद्र के सामने हथिनीकुंड डैम बनाने का प्रस्ताव भी रखा है. जिस पर करीब सात हजार करोड़ को खर्च आएगा. इसकी रिपोर्ट सीडब्ल्यूसी यानी सेंट्रल वाटर कमीशन को भी सब्मिट कर दी गई है. ताकि हम पानी को स्टोर कर सकें. वे कहते हैं कि अगर हम बैराज में पानी रोक पाते तो फिर हम डैम बनाने का विचार क्यों रखते.
कब और क्यों बनाया गया बैराज?: हथिनीकुंड बैराज यमुनानगर जिले में बनाया गया है. यमुना नदी पर इस बैराज के निर्माण का कार्य 1996 में शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने का था. 1999 में इसका उद्घाटन किया गया था. साल 2002 के बाद इसने पूरी तरह से काम करना शुरू किया था. बैराज का मुख्य काम पहाड़ी इलाकों से आने वाले पानी को नियंत्रित करना है. बैराज की लंबाई 360 मीटर है और जब बैराज बना था तो इसमें 10 फ्लड गेट थे जो आज 18 हो गए हैं. इस बैराज के निर्माण पर 168 करोड़ रुपये का खर्च आया था. बैराज की क्षमता 10 लाख क्यूसेक पानी को सहन करने की है.