नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे बृहस्पतिवार को बांग्लादेश की पांच दिन की यात्रा पर रवाना हुए. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई रणनीतिक मुद्दों पर सहयोग एवं समन्वय बढ़ाने को लेकर चर्चा की जाएगी.
जनरल नरवणे की इस यात्रा से दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पड़ोसी देश की यात्रा की थी. अधिकारियों ने बताया कि जनरल नरवणे बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे और इसके बाद वह तीनों सेनाओं के प्रमुखों से आमने-सामने की मुलाकात करेंगे.
सेना प्रमुख 11 अप्रैल को बांग्लादेश के विदेश मंत्री से भी बातचीत करेंगे.सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया, 'आठ अप्रैल से 12 अप्रैल की यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और गहराई देगी तथा कई सामरिक मुद्दों पर दोनों देशों के बीच करीबी समन्वय एवं सहयोग को बढ़ाने में मददगार होगी.'
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इस साल बांग्लादेश की आजादी को 50 वर्ष पूरे हो गए हैं और यह देश के संस्थापक बंगबधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती का वर्ष भी है. बांग्लादेश से करीबी संबंधों के परिचायक के तौर पर, भारत देश को आजादी दिलाने वाले 1971 के मुक्ति संग्राम की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है.
कर्नल आनंद ने बताया कि जनरल नरवणे 12 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण मिशनों के बल कमांडरों और रॉयल भूटानीज आर्मी के अभियान उपप्रमुख अधिकारियों से भी संवाद करेंगे.
वह 'शांतिर आग्रोसेना' के समापन समारोह में भी शामिल होंगे जो आतंकवाद को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा आवश्यक बनाया गया अभ्यास है और चार अप्रैल से 12 अप्रैल तक होगा. बांग्लादेश और भारत की सेना के अलावा, इस अभ्यास में भूटान, श्रीलंका के साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की और सऊदी अरब के पर्यवेक्षक भी हिस्सा ले रहे हैं.
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सेना प्रवक्ता ने बताया कि सेना प्रमुख बांग्लादेश शांति समर्थन एवं प्रशिक्षण अभियान संस्थान (बिपसोट) के सदस्यों के साथ भी संवाद करेंगे. उन्होंने बताया कि जनरल नरवणे संयुक्त राष्ट्र शांति समर्थन अभियानों पर एक सम्मेलन में भाग लेंगे और 'वैश्विक संघर्षों की बदलती प्रकृति : संरा शांतिरक्षकों की भूमिका' विषय पर भाषण देंगे.
सेना प्रमुख धानमोंडी में मुजीबुर रहमान स्मारक संग्रहालय भी जाएंगे जहां वह बांग्लादेश के राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देंगे.