हैदराबाद: जब पैसे की जरूरत होती है तो बहुत से लोग सोना गिरवी रखकर वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेते हैं. लोन लेते समय नॉमिनी का नाम के नाम की जानकारी देनी होती है. लेकिन, कई ऐसे भी लोन हैं, जिनमें कर्ज लेने वाले को नॉमिनी की जानकारी नहीं मांगी जाती है.
गोल्ड लोन के लिए नॉमिनी : सोना किसी भी फाइनेंशियल इमरजेंसी में मदद कर सकता है. कई लोग पैसे की जरूरत होने पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लोन लेते हैं, कुछ मामलों में ऐसे लोन लेते समय नॉमिनी का नाम नहीं बताने से दिक्कत होती है. लोन लेने वाले को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए.
नॉमिनी का नाम आमतौर पर बैंक खाते, डीमैट, बीमा, फिक्स्ड डिपोजिट और अन्य सभी निवेशों के लिए उपयोग किया जाता है. हालांकि, कई लोन के लिए नॉमिनी के नाम की आवश्यकता नहीं होती है. नॉमिनी का होना जरूरी है, क्योंकि जब लोन लेने वाले के साथ अप्रत्याशित घटना घट जाती है, तो नॉमिनी ही गारंटीड लोन पर दावा पेश करता है. नॉमिनी के नाम नहीं होने से कई दिक्कतें आती हैं. ज्यादातर मामलों में लोन लेने वाले शख्स के परिवार के सदस्यों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि सोना कहां गिरवी रखा गया है.
गोल्ड लोन भी शर्तों के साथ ही मिलता है. इसमें उधार लेने वाले को एक समय सीमा के भीतर कर्ज चुकाना होता है. साथ ही उसे बैंकों या वित्तीय संस्थानों को मासिक ब्याज का भुगतान भी करना होता है. अगर तय अवधि के बाद ब्याज और मूलधन का भुगतान नहीं किया जाता है तो गोल्ड लोन को ननपरफॉर्मिंग असेट माना जाता है.
ऐसी स्थिति में लोन लेने वालों के वारिस या नॉमिनी को नोटिस भेजा जाता है. अगर वह नोटिस का जवाब नहीं देते हैं तो लोन देने वाली कंपनियां सोने की नीलामी कर देती है. अगर परिवार के सदस्यों को लोन के बारे में पता चलता है और वे बैंकों/वित्तीय संस्थानों से संपर्क करते हैं और कर्ज की पूरी राशि का भुगतान करते हैं. इस प्रक्रिया के लिए कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है.
बैंकों ने गोल्ड लोन लेते समय नॉमिनी का नाम देना अनिवार्य कर दिया था, लेकिन कुछ गैर-बैंकिंग संस्थान कथित तौर पर उस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं. लोन लेते समय जरूर देखें कि क्या बैंक या संस्थान ने नॉमिनी का नाम दर्ज कर लिया है. अगर नॉमिनी का नाम नहीं है तो बैंक से संपर्क करें और पूरी डिटेल दर्ज कराएं. नए कर्जदारों को नॉमिनी का नाम लिखना नहीं भूलना चाहिए.