ETV Bharat / bharat

बेशकीमती पत्थरों से चमकेगा मोहब्बत की निशानी ताज - ताजमहल का गुंबद

ताजमहल पर जड़े बेशकीमती पत्थरों की चमक अब फीकी पड़ती जा रही है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने गुंबद के घिसे, खराब और उखड़े पत्थरों को बदलने का फैसला लिया है. इसके लिए एएसआई ने राजस्थान से बेशकीमती पत्थर मंगवाए हैं.

taj mahal stones
taj mahal stones
author img

By

Published : Dec 3, 2020, 11:05 AM IST

आगरा : मोहब्बत की निशानी ताजमहल की दुनिया दीवानी है. धूल, धूप और प्रदूषण की मार से ताजमहल पर जड़े बेशकीमती नगीनों (पत्थर) की चमक फीकी पड़ती जा रही है. ताजमहल की मुख्य गुंबद के ड्रम पोर्शन की पच्चीकारी में जड़े बेशकीमती पत्थरों की चमक अब कम हो गई.

बदले जाएंगे ताजमहल के पत्थर.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अब गुंबद के घिसे, खराब और उखड़े बेशकीमती पत्थर बदल रहा है. एएसआई उसी रंग और आकार में तराश कर पत्थर बदलने का काम करा रहा है. एएसआई ने राजस्थान के अलग-अलग स्थानों से बेशकीमती और चमकीले पत्थर मंगवाए हैं, जिससे ताजमहल की चमक और खूबसूरती पहले जैसी बरकरार रखी जा सके.

राजस्थान से मंगवाएं गए हैं चमकीले पत्थर
राजस्थान से मंगवाएं गए हैं चमकीले पत्थर

मुगल बादशाह शाहजहां ने पत्नी मुमताज की याद में सन् 1631 से सन् 1648 के बीच ताजमहल का निर्माण कराया था. सन् 1983 में यूनेस्को ने ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित किया. मोहब्बत की निशानी ताजमहल के दीदार का दुनियाभर के पर्यटकों में क्रेज है. हर साल ताजमहल निहारने लाखों पर्यटक आगरा (उत्तर प्रदेश) आते हैं.

बदल रहे पच्चीकारी के खराब पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि ताजमहल का गुंबद अपने आप में बहुत ही विशिष्ट है. इसके दो पोर्शन है. एक पोर्शन गुंबद और दूसरा पोर्शन उसके नीचे का ड्रम है. ड्रम पोर्शन पर पच्चीकारी का काम है. समय के साथ पच्चीकारी के जो बेशकीमती पत्थर हैं, वो निकल गए हैं. कुछ पत्थर समय के साथ खराब हो गए हैं. ऐसे सभी बेशकीमती पत्थरों को बदला जा रहा है.

ताजमहल के गुंबद के खराब हुए पत्थरों को बदला जा रहा है
ताजमहल के गुंबद के खराब हुए पत्थरों को बदला जा रहा है

राजस्थान से मंगवाए बेशकीमती पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि ताजमहल के गुंबद के ड्रम पोर्शन पर पच्चीकारी में अलग बेशकीमती पत्थरों का उपयोग किया है. ब्लैक कलर के लिए कडप्पा पत्थर या स्लेट पत्थर का उपयोग किया गया है. ओरेंज कलर या रेड कलर के लिए कार्नेलियम, हरे रंग के लिए जैस्पर और पीले रंग के लिए गोल्डन पत्थर का उपयोग किया गया है. गोल्डन पत्थर जैसलमेर का है. अधिकतर पत्थर राजस्थान के हैं. जिन जगहों से और जिस आकार का पत्थर मिसिंग है. उसे तैयार करके लगाया जा रहा है.

चांदनी रात में चमकती है स्टोन
टूरिस्ट गाइड सुखदेव शर्मा का कहना है कि फुल मून यानी शरद पूर्णिमा की रात ताजमहल बहुत आकर्षक दिखता है. जब चंद्रमा की किरणें ताजमहल पर जड़े बेशकीमती पत्थरों पर पड़ती हैं, तो पत्थरें चमकती है. एएसआई समय-समय पर ताजमहल की चमक और सुंदरता को बनाए रखने के लिए संरक्षण का कार्य करता है. फिलहाल ताजमहल के मुख्य गुंबद और ड्रम पोर्शन पर काम किया जा रहा है.

आगरा : मोहब्बत की निशानी ताजमहल की दुनिया दीवानी है. धूल, धूप और प्रदूषण की मार से ताजमहल पर जड़े बेशकीमती नगीनों (पत्थर) की चमक फीकी पड़ती जा रही है. ताजमहल की मुख्य गुंबद के ड्रम पोर्शन की पच्चीकारी में जड़े बेशकीमती पत्थरों की चमक अब कम हो गई.

बदले जाएंगे ताजमहल के पत्थर.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अब गुंबद के घिसे, खराब और उखड़े बेशकीमती पत्थर बदल रहा है. एएसआई उसी रंग और आकार में तराश कर पत्थर बदलने का काम करा रहा है. एएसआई ने राजस्थान के अलग-अलग स्थानों से बेशकीमती और चमकीले पत्थर मंगवाए हैं, जिससे ताजमहल की चमक और खूबसूरती पहले जैसी बरकरार रखी जा सके.

राजस्थान से मंगवाएं गए हैं चमकीले पत्थर
राजस्थान से मंगवाएं गए हैं चमकीले पत्थर

मुगल बादशाह शाहजहां ने पत्नी मुमताज की याद में सन् 1631 से सन् 1648 के बीच ताजमहल का निर्माण कराया था. सन् 1983 में यूनेस्को ने ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित किया. मोहब्बत की निशानी ताजमहल के दीदार का दुनियाभर के पर्यटकों में क्रेज है. हर साल ताजमहल निहारने लाखों पर्यटक आगरा (उत्तर प्रदेश) आते हैं.

बदल रहे पच्चीकारी के खराब पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि ताजमहल का गुंबद अपने आप में बहुत ही विशिष्ट है. इसके दो पोर्शन है. एक पोर्शन गुंबद और दूसरा पोर्शन उसके नीचे का ड्रम है. ड्रम पोर्शन पर पच्चीकारी का काम है. समय के साथ पच्चीकारी के जो बेशकीमती पत्थर हैं, वो निकल गए हैं. कुछ पत्थर समय के साथ खराब हो गए हैं. ऐसे सभी बेशकीमती पत्थरों को बदला जा रहा है.

ताजमहल के गुंबद के खराब हुए पत्थरों को बदला जा रहा है
ताजमहल के गुंबद के खराब हुए पत्थरों को बदला जा रहा है

राजस्थान से मंगवाए बेशकीमती पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि ताजमहल के गुंबद के ड्रम पोर्शन पर पच्चीकारी में अलग बेशकीमती पत्थरों का उपयोग किया है. ब्लैक कलर के लिए कडप्पा पत्थर या स्लेट पत्थर का उपयोग किया गया है. ओरेंज कलर या रेड कलर के लिए कार्नेलियम, हरे रंग के लिए जैस्पर और पीले रंग के लिए गोल्डन पत्थर का उपयोग किया गया है. गोल्डन पत्थर जैसलमेर का है. अधिकतर पत्थर राजस्थान के हैं. जिन जगहों से और जिस आकार का पत्थर मिसिंग है. उसे तैयार करके लगाया जा रहा है.

चांदनी रात में चमकती है स्टोन
टूरिस्ट गाइड सुखदेव शर्मा का कहना है कि फुल मून यानी शरद पूर्णिमा की रात ताजमहल बहुत आकर्षक दिखता है. जब चंद्रमा की किरणें ताजमहल पर जड़े बेशकीमती पत्थरों पर पड़ती हैं, तो पत्थरें चमकती है. एएसआई समय-समय पर ताजमहल की चमक और सुंदरता को बनाए रखने के लिए संरक्षण का कार्य करता है. फिलहाल ताजमहल के मुख्य गुंबद और ड्रम पोर्शन पर काम किया जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.