प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे के वाराणसी जिला अदालत के आदेश पर लगी रोक 30 नवम्बर तक बढ़ा दी है. हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में पुरातात्विक सर्वे के मामले में सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के डायरेक्टर जनरल की ओर से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल किया गया. कोर्ट ने अन्य पक्षकारों को उस पर प्रत्युत्तर के लिए 10 दिन का समय दिया है. कोर्ट ने इस केस की अलगी सुनवाई के लिए 11 नवम्बर की तारीख नियत की है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने दिया है.आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल के हलफनामे में मुख्य रूप से दो बातें कही गई हैं. पहली यह कि इससे पहले एएसआई ने ज्ञानवापी के विवादित परिसर का कभी सर्वेक्षण नहीं किया है. दूसरी बात यह कि एएसआई के पास सर्वेक्षण के लिए एक्सपर्ट हैं. एएसआई इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण कर सच्चाई का पता लगा सकने में पूरी तरह सक्षम है. कहा गया है कि कोर्ट एएसआई को सर्वेक्षण का आदेश देती है, तो वह इसके लिए पूरी तरह तैयार है. वह सर्वेक्षण करके दोनों पक्षों के दावे पर अपनी राय दे सकती है.
एएसआई ने देश में अब तक जिन पुरातात्विक स्थलों का सर्वे किया है, उनकी सूची भी पेश की है. हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि अगली सुनवाई पर 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन पक्ष रखेंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद में भी सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की पैरवी कर चुके हैं.
वैद्यनाथन ने अयोध्या मामले में रामलला का केस लड़ते हुए हिंदू पक्ष को जीत दिलाई थी. बता दें कि ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी 5 याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी. इसमें से 3 पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. शेष 2 याचिकाएं इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दाखिल हैं. हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में भारतीय पुरातत्व विभाग पर 10 हजार रुपये हर्जाना जमा करने की शर्त पर 10 में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया था. यह हर्जाना हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में 31 अक्टूबर तक जमा होना था. इस पर एएसआई के निदेशक की ओर से सोमवार को हलफनामा दाखिल कर दिया गया.