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Aquifer mapping: देश के जलभृत मानचित्रण का काम इस वर्ष मार्च तक पूरा हो जाएगा: सरकार - एक्वीफर मैपिंग मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा

भूजल प्रबंधन एवं विनियमन योजना के तहत केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा एक्वीफर मैपिंग इस साल मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा. जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने यह जानकारी दी.

Etv BharatAquifer mapping of the country to be completed by March this year: Government (file photo)
Etv Bharatदेश के जलभृत मानचित्रण का काम इस वर्ष मार्च तक पूरा हो जाएगा: सरकार( फाइल फोटो)
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Published : Feb 14, 2023, 2:31 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने राज्यसभा में बताया है कि देश के जलभृत मानचित्रण (Aquifer mapping) का काम इस वर्ष मार्च तक पूरा हो जाएगा. इस मानचित्रण से विभिन्न राज्यों को भूजल की उपलब्धता और इसकी पुनर्भरण क्षमता का आकलन करने में मदद मिलेगी. जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू (Minister of State for Jal Shakti Bishweshwar Tudu) ने सोमवार को एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि पूरे देश के लगभग 33 लाख वर्ग किलोमीटर के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर मानचित्र क्षेत्र की पहचान की गई है.

उन्होंने कहा, 'अब तक 24.57 लाख वर्ग किलोमीटर (30 दिसंबर, 2022 तक) क्षेत्र को इस कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है. शेष क्षेत्रों को मार्च 2023 तक कवर करने का लक्ष्य रखा गया है.' केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड (Central Ground Water Board) ने भूजल प्रबंधन और विनियमन स्कीम के अंतर्गत वर्ष 2012 से जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किया है.

ये भी पढ़ें- Shah on karnataka Assembly Polls 2023: कर्नाटक पर बोले शाह, 'पूर्ण बहुमत से लौटेगी हमारी सरकार'

इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के साथ जलभृत या क्षेत्र विशिष्ट भूजल प्रबंधन योजनाओं को तैयार करने के लिए जलभृत प्रकृति और उनके लक्षण वर्णन को निरूपित करना है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रबंधन योजनाओं को उचित उपाय या कार्यान्वयन के लिए संबंधित राज्य सरकारों के साथ साझा किया जाता है.

जलभृत मानचित्रण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें जलभृतों में भूजल की मात्रा, गुणवत्ता और स्थिरता को चिह्नित करने के लिए विभिन्न विश्लेषण लागू किए जाते हैं. जब एक पानी वाली चट्टान आसानी से कुओं और झरनों में पानी पहुंचाती है तो इसे एक जलभृत कहा जाता है. सरकार ने जल भंडारण, संयोजन, प्रबंधन और प्रसार को लेकर एक व्यापक स्तर पर डेटा एकत्र करवाई है. इस संबंध में राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र की स्थापना की है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सरकार ने राज्यसभा में बताया है कि देश के जलभृत मानचित्रण (Aquifer mapping) का काम इस वर्ष मार्च तक पूरा हो जाएगा. इस मानचित्रण से विभिन्न राज्यों को भूजल की उपलब्धता और इसकी पुनर्भरण क्षमता का आकलन करने में मदद मिलेगी. जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू (Minister of State for Jal Shakti Bishweshwar Tudu) ने सोमवार को एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि पूरे देश के लगभग 33 लाख वर्ग किलोमीटर के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर मानचित्र क्षेत्र की पहचान की गई है.

उन्होंने कहा, 'अब तक 24.57 लाख वर्ग किलोमीटर (30 दिसंबर, 2022 तक) क्षेत्र को इस कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है. शेष क्षेत्रों को मार्च 2023 तक कवर करने का लक्ष्य रखा गया है.' केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड (Central Ground Water Board) ने भूजल प्रबंधन और विनियमन स्कीम के अंतर्गत वर्ष 2012 से जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किया है.

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इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के साथ जलभृत या क्षेत्र विशिष्ट भूजल प्रबंधन योजनाओं को तैयार करने के लिए जलभृत प्रकृति और उनके लक्षण वर्णन को निरूपित करना है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रबंधन योजनाओं को उचित उपाय या कार्यान्वयन के लिए संबंधित राज्य सरकारों के साथ साझा किया जाता है.

जलभृत मानचित्रण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें जलभृतों में भूजल की मात्रा, गुणवत्ता और स्थिरता को चिह्नित करने के लिए विभिन्न विश्लेषण लागू किए जाते हैं. जब एक पानी वाली चट्टान आसानी से कुओं और झरनों में पानी पहुंचाती है तो इसे एक जलभृत कहा जाता है. सरकार ने जल भंडारण, संयोजन, प्रबंधन और प्रसार को लेकर एक व्यापक स्तर पर डेटा एकत्र करवाई है. इस संबंध में राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र की स्थापना की है.

(पीटीआई-भाषा)

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