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नयी 'बूस्टर' खुराक कोरोना वायरस के मौजूदा, भावी स्वरूपों के खिलाफ कारगर होनी चाहिए: रणदीप गुलेरिया - नयी बूस्टर खुराक

एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (former AIIMS director dr Randeep Guleria) का कहना है कि भारत में प्रयोग हो रहे कोविड-19 रोधी टीके कोरोना वायरस के मूल स्वरूप के खिलाफ कारगर है. पढ़िए पूरी खबर...

former AIIMS director dr Randeep Guleria
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया
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Published : Mar 23, 2023, 10:43 PM IST

Updated : Mar 24, 2023, 7:01 AM IST

नई दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (former AIIMS director dr Randeep Guleria) का कहना है कि भारत में इस्तेमाल हो रहे कोविड-19 रोधी टीके कोरोना वायरस के मूल वुहान स्वरूप के खिलाफ कारगर तो हैं ही, लेकिन नए स्वरूप के उभरने के साथ अगर फिर से 'बूस्टर' (एहतियाती) खुराक की आवश्यकता महसूस होती है, तो ये टीके वायरस के मौजूदा स्वरूपों के साथ-साथ भविष्य के स्वरूपों के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होने चाहिए.

एक साक्षात्कार में यह पूछे जाने पर कि क्या लगभग एक साल बाद कोविड-19 के मामलों में हालिया उछाल के बीच यह एक और एहतियाती खुराक लेने का समय है, उन्होंने आंकड़ों के दो सेट तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया-पहला यह पता लगाने के लिए कि क्या प्रतिरक्षा कमजोर हो रही है और दूसरा कि क्या टीकों में सुधार करने की आवश्यकता है. गुलेरिया ने कहा, 'भारत में मौजूदा समय में जो टीके लगाए जा रहे हैं, वे वायरस के मूल वुहान स्वरूप के खिलाफ कारगर हैं. इसके बाद वायरस के कई स्वरूप आए. लिहाजा हमें एक नए टीके की आवश्यकता है, जो वायरस के मौजूदा स्वरूपों पर कारगर हो, जैसा कि हम इन्फ्लुएंजा के मामलों में करते हैं.'

जाने-माने श्वसन रोग विशेषज्ञ गुलेरिया राष्ट्रीय कोविड-19 कार्य बल का हिस्सा थे. उन्होंने ऐसे टीके विकसित करने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता को रेखांकित किया, जो न सिर्फ वायरस के मौजूदा स्वरूपों पर कारगर हों, बल्कि भविष्य के संभावित स्वरूपों से भी प्रतिरक्षा प्रदान करने में सक्षम हों. गुलेरिया की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए बुधवार को उच्च स्तरीय बैठक की और सार्वजनिक स्वास्थ्य की तैयारियों का जायजा लिया.

वायरस के नए एक्सबीबी.1.16 स्वरूप के कारण कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं. एक्सबीबी.1.16 स्वरूप को 'वायरस का नया-नवेला स्वरूप' बताते हुए गुलेरिया ने कहा, 'नए-नए स्वरूप आते रहेंगे, क्योंकि वायरस समय के साथ लगातार बदल रहा है, लेकिन 'इससे मरीजों में गंभीर लक्षण उभरने, उनके अस्पताल में भर्ती होने और दम तोड़ने' के मामले सामने नहीं आ रहे हैं. यह ठीक है, क्योंकि अगर मरीजों में संक्रमण के हल्के लक्षण दिखते हैं, तो इसका मतलब यह है कि लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या एक्सबीबी़ 1.16 से महामारी की नयी लहर आने या अगले कुछ दिनों में मामलों में भारी वृद्धि होने की आशंका है, गुलेरिया ने कहा, 'अगर हम मामलों में वृद्धि देखते भी हैं, तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इससे अस्पताल में भर्ती होने और संक्रमण से मौत के मामले नहीं आ रहे हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या कोविड-19 अब खत्म हो रहा है, उन्होंने कहा, 'मेरी राय में कोविड-19 कमोबेश खत्म हो गया है. हमारे पास अच्छी खासी प्रतिरक्षा है. मामले आते-जाते रहेंगे और यही हो रहा है. संक्रमण की लहरें आती-जाती रहेंगी, लेकिन वे वैसी नहीं होंगी, जैसा कि हमने बीते दो वर्षों में देखा है। हमें वायरस के साथ जीना सीखना होगा.'

मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस के एक उपप्रकार एच3एन2 के मामलों के साथ कोविड-19 के मामलों में वृद्धि पर गुलेरिया ने कहा कि एच3एन2 वायरस इन्फ्लूएंजा परिवार का हिस्सा है और इन्फ्लुएंजा वायरस लंबे समय से हमारे बीच है. उन्होंने कहा, '1918 में एच1एन1 महामारी आई थी. इसलिए यह वायरस तब से है, लेकिन इसका स्वरूप बदलता रहा है और वर्तमान में जो वायरस फैल रहा है, वह एच3एन2 है.'

गुलेरिया ने कहा कि यह फ्लू के जैसा होता है और इससे संक्रमित होने पर लोगों को बुखार, गले में दर्द, बदन में दर्द और लगातार खांसी-जुकाम की शिकायत सता सकती है. उन्होंने कहा कि उच्च जोखिम वाले लोगों को इससे निमोनिया हो सकता है, जो गंभीर हो सकता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ सकती है. गुलेरिया ने कहा कि संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले व्यक्ति के इन्फ्लुएंजा की चपेट में आने का खतरा रहता है.

ये भी पढ़ें - H3N2 Virus Cases : 'H3N2 वायरस से निपटने के लिए कोविड के अनुकूल व्यवहार जरूरी'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (former AIIMS director dr Randeep Guleria) का कहना है कि भारत में इस्तेमाल हो रहे कोविड-19 रोधी टीके कोरोना वायरस के मूल वुहान स्वरूप के खिलाफ कारगर तो हैं ही, लेकिन नए स्वरूप के उभरने के साथ अगर फिर से 'बूस्टर' (एहतियाती) खुराक की आवश्यकता महसूस होती है, तो ये टीके वायरस के मौजूदा स्वरूपों के साथ-साथ भविष्य के स्वरूपों के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होने चाहिए.

एक साक्षात्कार में यह पूछे जाने पर कि क्या लगभग एक साल बाद कोविड-19 के मामलों में हालिया उछाल के बीच यह एक और एहतियाती खुराक लेने का समय है, उन्होंने आंकड़ों के दो सेट तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया-पहला यह पता लगाने के लिए कि क्या प्रतिरक्षा कमजोर हो रही है और दूसरा कि क्या टीकों में सुधार करने की आवश्यकता है. गुलेरिया ने कहा, 'भारत में मौजूदा समय में जो टीके लगाए जा रहे हैं, वे वायरस के मूल वुहान स्वरूप के खिलाफ कारगर हैं. इसके बाद वायरस के कई स्वरूप आए. लिहाजा हमें एक नए टीके की आवश्यकता है, जो वायरस के मौजूदा स्वरूपों पर कारगर हो, जैसा कि हम इन्फ्लुएंजा के मामलों में करते हैं.'

जाने-माने श्वसन रोग विशेषज्ञ गुलेरिया राष्ट्रीय कोविड-19 कार्य बल का हिस्सा थे. उन्होंने ऐसे टीके विकसित करने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता को रेखांकित किया, जो न सिर्फ वायरस के मौजूदा स्वरूपों पर कारगर हों, बल्कि भविष्य के संभावित स्वरूपों से भी प्रतिरक्षा प्रदान करने में सक्षम हों. गुलेरिया की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए बुधवार को उच्च स्तरीय बैठक की और सार्वजनिक स्वास्थ्य की तैयारियों का जायजा लिया.

वायरस के नए एक्सबीबी.1.16 स्वरूप के कारण कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं. एक्सबीबी.1.16 स्वरूप को 'वायरस का नया-नवेला स्वरूप' बताते हुए गुलेरिया ने कहा, 'नए-नए स्वरूप आते रहेंगे, क्योंकि वायरस समय के साथ लगातार बदल रहा है, लेकिन 'इससे मरीजों में गंभीर लक्षण उभरने, उनके अस्पताल में भर्ती होने और दम तोड़ने' के मामले सामने नहीं आ रहे हैं. यह ठीक है, क्योंकि अगर मरीजों में संक्रमण के हल्के लक्षण दिखते हैं, तो इसका मतलब यह है कि लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या एक्सबीबी़ 1.16 से महामारी की नयी लहर आने या अगले कुछ दिनों में मामलों में भारी वृद्धि होने की आशंका है, गुलेरिया ने कहा, 'अगर हम मामलों में वृद्धि देखते भी हैं, तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इससे अस्पताल में भर्ती होने और संक्रमण से मौत के मामले नहीं आ रहे हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या कोविड-19 अब खत्म हो रहा है, उन्होंने कहा, 'मेरी राय में कोविड-19 कमोबेश खत्म हो गया है. हमारे पास अच्छी खासी प्रतिरक्षा है. मामले आते-जाते रहेंगे और यही हो रहा है. संक्रमण की लहरें आती-जाती रहेंगी, लेकिन वे वैसी नहीं होंगी, जैसा कि हमने बीते दो वर्षों में देखा है। हमें वायरस के साथ जीना सीखना होगा.'

मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस के एक उपप्रकार एच3एन2 के मामलों के साथ कोविड-19 के मामलों में वृद्धि पर गुलेरिया ने कहा कि एच3एन2 वायरस इन्फ्लूएंजा परिवार का हिस्सा है और इन्फ्लुएंजा वायरस लंबे समय से हमारे बीच है. उन्होंने कहा, '1918 में एच1एन1 महामारी आई थी. इसलिए यह वायरस तब से है, लेकिन इसका स्वरूप बदलता रहा है और वर्तमान में जो वायरस फैल रहा है, वह एच3एन2 है.'

गुलेरिया ने कहा कि यह फ्लू के जैसा होता है और इससे संक्रमित होने पर लोगों को बुखार, गले में दर्द, बदन में दर्द और लगातार खांसी-जुकाम की शिकायत सता सकती है. उन्होंने कहा कि उच्च जोखिम वाले लोगों को इससे निमोनिया हो सकता है, जो गंभीर हो सकता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ सकती है. गुलेरिया ने कहा कि संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले व्यक्ति के इन्फ्लुएंजा की चपेट में आने का खतरा रहता है.

ये भी पढ़ें - H3N2 Virus Cases : 'H3N2 वायरस से निपटने के लिए कोविड के अनुकूल व्यवहार जरूरी'

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 24, 2023, 7:01 AM IST
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