मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court ) ने एंटीलिया विस्फोटक सामग्री मामले (Antilia Explosive Material Case) में क्रिकेट सट्टेबाज नरेश गौड़ को दी गई जमानत पर रोक लगाने का एक विशेष अदालत का आदेश बुधवार को रद्द कर दिया.
न्यायमूर्ति एस. के. शिंदे की एकल पीठ ने गौड़ की अर्जी पर अपने आदेश में कहा कि सत्र अदालत के न्यायाधीश को अपने ही आदेश पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है और सिर्फ उच्च न्यायालय ही ऐसा कर सकता है.
विशेष एनआईए अदालत ने 20 नवंबर को नरेश गौड़ को जमानत दी थी लेकिन एनआईए के अनुरोध पर 25 दिन के लिए इस आदेश पर रोक लगा दी थी. गौड़ ने विशेष अदालत के इसी आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति शिंदे ने आदेश में कहा कि एक सत्र अदालत के न्यायाधीश को अपने ही आदेश पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है और सिर्फ उच्च न्यायालय ही ऐसे मामले में जमानत आदेश पर स्थगन आदेश दे सकता है, जिसमें अदालती प्रक्रिया का दुरूपयोग रोकने या न्याय प्रदान करने के लिए ऐसा करना जरूरी प्रतीत हो.
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इस साल मार्च में गौड़ को एंटीलिया विस्फाटक सामग्री मामले और व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. विशेष एनआईए अदालत ने 20 नवंबर को गौड़ को यह कहते हुए जमानत दे दी कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि उसे साजिश की जानकारी नहीं थी.
एंटीलिया, उद्योगपति मुकेश अंबानी का दक्षिण मुंबई स्थित बहुमंजिला आवास है जिसके पास इस साल फरवरी में एक संदिग्ध वाहन खड़ा पाया गया था. वाहन से जिलेटिन की छड़े (विस्फोटक सामग्री) बरामद हुई थी. कुछ दिन बाद वाहन के कथित मालिक व कारोबारी हिरेन मनसुख ठाणे के क्रीक में मृत पाये गये थे.
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गौड़ इस मामले में जमानत पाने वाला पहला आरोपी था. हालांकि, विशेष अदालत ने अभियोजन पक्ष के अनुरोध के बाद 25 दिन के लिए अपने ही आदेश पर रोक लगा दी. अभियोजन ने कहा था कि वह एक अपीली अदालत में जमानत की मंजूरी को चुनौती देना चाहता है. इसके बाद गौड़ ने अपने वकील अनिकेत निकम के माध्यम से उच्च न्यायालय में आवेदन दायर कर विशेष अदालत द्वारा जमानत आदेश पर रोक को चुनौती दी थी.